सचिन पायलट के जन्मदिन पर हो जाएगी प्रदेश कांग्रेस में चल रही दो कांग्रेस की पूरी तस्वीर साफ!

क्या 30 से ज्यादा विधायक कर रहे हैं पायलट का जन्मदिन मनाने की तैयारियां?, भाजपा क्यों कह रही है कि गहलोत सरकार नहीं चलेगी 5 साल, क्या है 30 विधायक और 6 महीने की सरकार की कहानी? क्या डोटासरा भी मनाएंगे पूर्व पीसीसी चीफ का जन्मदिन?

सचिन पायलट का जन्मदिन
सचिन पायलट का जन्मदिन

Politalks.News/Rajasthan. क्या बाहर से एक नजर आने वाली राजस्थान में अब भी दो कांग्रेस चल रही है? क्या गहलोत और पायलट खेमे में से कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर किसका वर्चस्व ज्यादा है, यह दिखाने के लिए संघर्ष शुरू हो गया है? क्या सचिन पायलट के जन्मदिन 7 सितंबर को कांग्रेस के अंदर की दो कांग्रेस की तस्वीर साफ हो जाएगी? क्यों भाजपा बार बार कह रही है कि गहलोत सरकार नहीं चलेगी पूरे 5 साल? क्या है सियासत का समीकरण और क्या हो सकता है, आने वाले समय में? प्रदेश अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा 7 सितंबर को किस भूमिका में होंगे? क्या पायलट के जन्मदिन पर पीसीसी में कुछ होगा? प्रदेश में लगातार चल रहे घटनाक्रमों से समझा जा सकता है.

ऐसा माना जा रहा है कि सारे सवालों के जवाब सचिन पायलट के 7 सिंतबर को मनाए जाने वाले जन्मदिन से सामने आ जाएंगे. यानि कांग्रेस की तस्वीर उस दिन साफ हो जाएगी. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि सियासी हल्कों में इन दिनों चर्चा है कि पूरे प्रदेश में लगभग 30 से ज्यादा विधायक आने वाली 7 तारीख को अपने नेता सचिन पायलट का जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रहे हैं.

अब सचिन पायलट के जन्मदिन की तैयारियों में जुटे इन 30 से अधिक विधायकों की खबरों के बीच पहले बात करते हैं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के हालिया उस बयान के बारे में, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि गहलोत सरकार पूरे 5 साल नहीं चलेगी. आखिर भाजपा की ओर से ऐसा दावा क्यों किया गया? उसका आधार क्या है? उधर, पायलट के जन्मदिन से पहले वर्तमान प्रदेश भाजपा में नम्बर 2 के नेता राजेंद्र राठौड ने हाल ही में सचिन पायलट के प्रति अपना प्रेम फिर से जगजाहिर किया. राठौड ने गहलोत सरकार पर सियासी वार करते हुए पायलट की तारीफों के न सिर्फ पुल बांधे बल्कि राठौड़ ने भी इसी बात की साफ सम्भावना जताई कि नहीं चल पाएगी पूरे 5 साल गहलोत सरकार.

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अब सवाल उठता है कि बहुमत का पूरा आंकडा लेकर बैठी गहलोत सरकार को किससे खतरा है? आखिर वो कौनसा आंकडा है, जिसको छूते ही गहलोत सरकार की विदाई का समय आ जाएगा? हालांकि अभी साढे पांच महीने तक सरकार पूरी तरह सुरक्षित है. लेकिन साढे पांच महीने का समय बहुत ज्यादा भी नहीं होता.

क्या है यह 30 का आंकडा

आखिर यह 30 का आंकडा है क्या? इसे समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा जहां विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के बीच हुई एक बातचीत का वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो की बातचीत से साफ समझा जा सकता है कि आखिर यह 30 का आंकड़ा है क्या? इस वीडियो क्लिप में स्पीकर जोशी कह रहे हैं कि अगर सचिन पायलट अपने साथ 30 विधायक मानेसर ले जाते तो गहलोत सरकार गिर जाती.

अगर मन में सवाल उठ रहा हो कि कैसे? तो जरा, मध्य प्रदेश में हुए राजनीतक घटनाक्रम पर नजर डाल लिजिए. वहां ज्योतिरादित्य सिंधिया को कमलनाथ सरकार गिराने के लिए 22 विधायक चाहिए थे. यह संख्या जैसे ही पूरी हुई, सबने एक साथ इस्तीफा दे दिया और कमलनाथ सरकार गिर गई. संख्या बल के आधार पर वहां भाजपा की शिवराज सिंह सरकार बन गई. अब विधानसभा स्पीकर के वायरल वीडियो के अनुसार राजस्थान में भी अगर इस गणित से समझा जाए तो पायलट के साथ अगर 22 नहीं 30 विधायक गए होते तो गहलोत सरकार गिर चुकी होती.

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लेकिन एक महीने चले सियासी घटनाक्रम के दौरान सचिन पायलट ने उनकी भाजपा से सांठगांठ के आरोपों को तो नहीं नकारा लेकिन यह जरूर कहा कि चाहे कुछ भी हो वो भाजपा में नहीं जाएंगे और यह भी कहा था पार्टी से उनकी कोई शिकायत नहीं है बल्कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रवैये से नाराज हैं. वहीं मुख्यमंत्री गहलोत से नाराज होकर पायलट के साथ गए 18 विधायकों ने भी कहा था कि उनके नेता सचिन पायलट के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही है.

खैर कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप करते हुए सचिन पायलट की नाराजगी को दूर करने के लिए उनकी सभी मांगों को पूरा करने का वादा किया जिसके लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया. इसके बाद पायलट अपने सभी समर्थक विधायकों के साथ वापस लौट आए और पार्टी को मजबूत करने के कार्यों में जुट गए. लेकिन बावजूद उसके मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट के बीच तल्खी बनी हुई है, यानि कि दूरियां कम नहीं हुई हैं.

इधर कांग्रेस में सचिन पायलट का जन्मदिन कोरोना के चलते पूरे ऐतिहात के साथ मनाया जाएगा. प्रदेशभर में लाखों पायलट समर्थक पायलट के जन्मदिन को लेकर तैयारियों में जुटे हुए हैं. कोरोना के चलते पायलट ने समर्थकों को जयपुर आने से साफ मना कर दिया तो अब समर्थकों ने अपने-अपने क्षेत्र में ही इस दिन को ऐतिहासिक बनाने का फैसला किया है. चूंकि यह सचिन पायलट का 43वां जन्मदिन है इसलिए 43 हजार यूनिट ब्लड डोनेट करने का लक्ष्य पायलट समर्थकों ने रखा है. दूसरे शब्दों में पायलट से जुडे लोग राजस्थान भर में अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे.

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जयपुर लौटने के बाद अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक के दौरे पर अपनी शक्ति का एक ट्रेलर दिखा चुके सचिन पायलट समर्थक अब 7 सितम्बर को जन्मदिन के बहाने अपनी पूरी फ़िल्म भी दिखाने की तैयारी में हैं. इसके साथ ही राजस्थान कांग्रेस में चल रही दो कांग्रेस की तस्वीर भी साफ हो जाएगी.

चूंकि सचिन पायलट के जन्मदिन का कार्यक्रम कांग्रेस पार्टी का अधिकृत कार्यक्रम नहीं है इसलिए जो विधायक या नेता पायलट से जुडा है, वो ब्लड डोनेशन कैंप या अन्य जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में दिखाई देगा. वहीं जो विधायक या नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जुडा है, वो गायब रहेगा. यानि कि पायलट के जन्मदिन पर राजस्थान में चल रही दो कांग्रेस ए और कांग्रेस पी साफ दिखाई देगी.

पायलट कर सकेंगे अपनी ताकत का आंकलन
सचिन पायलट भी अपने जन्मदिन पर समर्थकों द्वारा किए जाने वाले शक्ति प्रदर्शन से अपने समर्थकों का आंकलन भी कर सकेंगे. हालांकि ऐसे कई नेता भी होंगे जो पायलट को फोन करके जन्मदिन की बधाई तो देंगे, साथ ही अपनी मजबूरी भी बता देंगे. अब इतना तो पायलट भी समझते हैं, कई नेताओं की कई तरह की मजबूरियां हो सकती हैं. ऐसे ही कई नेताओं की मजबूरियां मुख्यमंत्री गहलोत को भी समझनी पड़ेंगी. यह नेता कांग्रेस ए और कांग्रेस पी के बीच वाले होंगे जो भविष्य में समय के अनुकूल अपना साफ सुथरा निर्णय कर लेंगे.

अब कर लेते हैं पीसीसी चीफ डटोसरा की बात
कांग्रेस हल्कों में बडा सवाल खडा होकर चर्चा की गुलाटियां खा रहा है कि क्या 7 सितंबर को प्रदेश भर में होने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं और विधायकों द्वारा मनाए जाने वाले पायलट के जन्मदिन कार्यक्रम में पायलट के बाद प्रदेश अध्यक्ष बने गोविंदसिंह डटोसरा सम्मिलत होंगे? क्या वो पायलट का जन्मदिन मनाएंगे? मनाएंगे तो कहां, मनाएंगे? प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आॅफिस पर या फिर किसी ओर स्थान पर?
यहा एक तथ्य यह भी है कि डटोसरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ ही जिला और ब्लाॅक कांग्रेस की सभी ईकाईयां भंग कर दी गई थी. यह सभी ईकांईयां पायलट ने अपने प्रदेश अध्यक्ष कार्यकाल के दौरान बनाई थी. ऐसे में एक बात तो साफ है कि पायलट की बनाई हुई भंग की गई ईकाईयां यानि कांग्रेस कार्यकर्ता पायलट के जन्मदिन के कार्यक्रम को सफलता से मनाने में जुटें हैं. एक तरह से पायलट का जन्मदिन भंग हुई इन ईकाईयों के लिए ‘अधिकार दिवस’ से कम नहीं है.

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गोविंद सिंह डोटासरा किसी कार्यकर्ता को मना तो कर नहीं सकते, तो फिर क्या कर सकते हैं, तो जवाब है, कुछ भी नहीं कर सकते हैं. ये वो ही तो डटोसरा हैं, जिन्हें पायलट खेमे के विधायक के ऐतराज के बाद प्रदेश प्रभारी अजय माकन से संवाद के दौरान कमरे से बाहर जाना पड़ा था. यानि कि विधायकों के साथ संवाद कार्यक्रम से प्रदेश अध्यक्ष को बाहर कर देना, क्या इतनी बडी पोस्ट के साथ न्याय जैसा कुछ है? शायद नहीं, लेकिन जब डटोसरा को कोई आपत्ति नहीं, तो भला हमें भी क्या.

इन दिनों कांग्रेस में सवालों की कोई कमी नहीं है. एक सवाल लेकर चले जाओ तो कांग्रेस के नेता खुद ही दस सवाल बता देंगे. जिनका जवाब खुद कांग्रेस के पास ही नहीं है.

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