मोदी राज में अर्थव्यवस्था का बंटाधार, औंधे मुंह गिरी जीडीपी का सूचकांक पहली बार माइनस 24 पर

कहीं सरकार इसको भी 'एक्ट ऑफ गोड' नहीं कह दे, पिछले पांच से लगातार गिर रही जीडीपी इस साल नीचे जमीन में घुस गई, रघुराजन या राहुल गांधी को गाली देने से कुछ नहीं होगा, अनलिमिटेड बरोजगारी बर्बाद अर्थव्यवस्था का आईना, बिहार विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा सीधा असर

मोदी राज में अर्थव्यवस्था का बंटाधार
मोदी राज में अर्थव्यवस्था का बंटाधार

Politalks.News/Bharat. कुछ समय पहले तक दुनिया में तेजी से बढ़ती भारत की अर्थव्यवस्था अब औंधे मुंह गिर गई है. इसके साथ ही अर्थव्यस्था की मजबूती को लेकर मोदी सरकार के द्वारा पिछले कुछ सालों में किए जा रहे सारे दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. हालात इतने बिगड चुके हैं कि जीडीपी सूचकांक माइनस 24 तक पहुंच गया है. दुनिया के 20 देशों की बडी अर्थव्यवस्था में भारत ऐसा देश बन गया है, जिसका सूंचकांक माइनस में पहुंच गया है. अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार के पास राज्य सरकारों को देने के लिए जीएसटी का पैसा तक नहीं है. केंद्र और राज्य सरकारों की यह हालत है तो जनता का तो भगवान ही मालिक होगा.

ऐसे समझिए जीडीपी के माइनस ग्रोथ को

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय एनएसओ की ओर से जारी किए गए आंकडे किसी भी भारतीय को हिला देने वाले हैं. आंकडों में कोई एक सेक्टर की बात नहीं है बल्कि यह आंकडे बता रहे हैं कि पूरी अर्थव्यवस्था का बंटाधार हो चुका है. यह आंकडे 22 मार्च को मोदी सरकार द्वारा अचानक लगाए गए लाॅकडाउन अप्रेल, मई, जून पर आधारित हैं.

कौनसा सेक्टर कितना माइनस में

देश का उद्योग सेक्टर माइनस 38.1, सर्विस सेक्टर माइनस 20.6, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर माइनस 39.3, छोटे, व्यापार और होटल माइनस 47, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 50 प्रतिशत गिरावट आई है. इससे साफ हो चुका है कि भारत की अर्थव्यवस्था अचानक लगे लाॅकडाउन यानि सबकुछ बंद कर दिए जाने के कारण खड्डे में जा गिरी है.

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आसान भाषा में कैसे समझें जीडीपी का गिरना

पिछले साल जीडीपी 4.2 थी, वहीं इस बार माइनस 24 है. अब इसे आसान भाषा में मौसम के तापमान से समझें, पिछले साल अर्थव्यवस्था का तापमान 4.2 था जबकि इस समय आप माइनस 24 डिग्री में खडे हैं. आप अनुमान लगा सकते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था कितनी ठिठुर रही होगी. इस ठंड से बचने के लिए हमें कितनी रजाईयां चाहिए होंगी, जबकि अभी हम ठिठुरती अर्थव्यवस्था को चद्दर तक ओढाने की स्थिति में नहीं हैं.

अब नजर डालते हैं पिछले 5 साल के आंकडों पर

2015-16 में देश की जीडीपी 8 प्रतिशत थी, जबकी 2016-17 में 8.2 प्रतिशत हुई. वहीं 2017-18 में यह गिरकर 7.2 पर पहुंची तो 2018-19 में यह और गिरी और 6.1 पर पहुंची. 2019-120 में और दो प्रतिशत गिरकर 4.2 पर पहुंच गई. अब नए आंकडों में यह सीधे माइनस 24 (-24) पर पहुंच गई. जी-7 देशों से तुलना की जाए तो भारत की जीडीपी सबसे ज्यादा नीचे गिरी है.

राहुल गांधी या रघुराजन को गाली देने से कुछ नहीं होगा

किसी को गाली देने से नहीं सच्चाई नहीं छुप सकती
भले ही आप राहुल गांधी को पप्पू बताईए, भले ही पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराजन द्वारा दी गई चेतावनी की आलोचना कीजिए या फिर आर्थिक विशेषज्ञों की बात को नजर अंदाज कीजिए. लेकिन जीडीपी के नए आंकडे बता रहे हैं कि अब जो देश के लोगों पर आर्थिक आसमान टूटकर गिरने वाला है, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत की तेजगति से बढती अर्थव्यवस्था पर पहला प्रभाव अचानक की गई नोटबंदी से पडा. सरकार के दावों के अनुसार कालाधान तो बाहर आया नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था को बडा नुकसान पहुंचा. इसके बाद लाई गई जीएसटी से अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई. कोरोना तो अभी मार्च 2020 में आया है. देश की अर्थव्यवस्था तो पहले ही चरमरा चुकी थी. फिर मार्च में लगाए गए अनप्लांड लाॅकडाउन ने तो पूरी तबाही ही मचा दी.

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अब हालात यह हैं कि जीएसटी में अपनी हिस्सेदारी नहीं मिलने से देश के सभी राज्यों के आर्थिक हालात पूरी तरह बिगड चुके हैं. केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा कि जीएसीटी नहीं दी जा सकती सो बैंकों से लोन ले लो. अब राज्य और केंद्र सरकारों के बीच इस बात को लेकर तनाव शुरू हो रहा है. इसके साथ ही भारत के संघीय ढांचे में अविश्वास की स्थिति बन रही है. बैंकों की हालत बहुत खराब है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले तीन महीनों में कई बैंक बर्बादी के कागार पर पहुंच जाएंगे.

अनलिमिटेड बरोजगारी बर्बाद अर्थव्यवस्था का आईना

सरकार के अलावा कुछ और बडे आंकडे बेरोजगारी को लेकर सामने आए हैं. नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के बाद से लोगों की नौकरियां और कामधंधों पर सीधा असर पड़ना शुरू हो गया था. अब कारोना के कारण हुए लाॅकडाउन से बेरोजगारी का आंकडा 10 करोड से अधिक का हो चुका है.

बिहार विधानसभा चुनाव पर पडेगा सीधा असर

अर्थव्यवस्था को बचा पाने में नाकाम रही भाजपा की मोदी सरकार को अभी कई राज्यों में चुनाव का सामना भी करना है. बिहार में चुनाव होने वाले हैं. बिहार का एक बडा वर्ग मजदूरों का है. जो दूसरे राज्यों में मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालते थे. अचानक हुए लाॅकडाउन का असली खामियाजा लाॅकडाउन लगाने वाली सरकारों ने नहीं बल्कि मजूदरों ने भुगता. जगह-जगह पुलिस के डंडे खाने पडे. सैंकडों किलोमीटर बच्चों को लेकर नंगे पांव पैदल चलना पडा. इन मजूदरों ने ऐसी बर्बादी की कल्पना भी नहीं की थी. फिर मजूदरों पर हुई राजनीति को भी देखा. अब तक निर्णय लेने का अधिकार सरकारों के पास था. अब सरकारों के बारे में निर्णय करने का अधिकार इन मजदूर और उनसे जुडे परिवार के पास आ गया है.

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आधी रात को जगी भाजपा मीडिया सेल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया मन की बात को यूट्यूब पर जिस तरह से लोगों ने डिस-लाइक किया और जिस रोष के साथ उस पर कमेंट किए गए, भाजपा के मीडिया सेल में हडकंप मच गया. रात 12 बजे प्रधानमंत्री मोदी की मन की बात पर आए कमेंट्स को हाइड किया गया. जिससे उन्हें कोई देख या पढ नहीं सके. इसके साथ ही कोई कमेंट नया ना डाल सके, उसका भी स्विच आॅफ कर दिया गया.

शत्रुधन सिन्हा ने किया व्यंग्य

पूर्व भाजपा नेता और वर्तमान कांग्रेस नेता बिहारी बाबू शत्रुधन सिन्हा ने जीडीपी के माइनस 24 तक पहुंचने पर मोदी सरकार पर व्यंग्य करते हुए कहा कि कहीं सरकार इसे ‘एक्ट आॅफ गाॅड’ ना कह दे.

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