कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड चिंता का विषय, गहलोत सरकार छुपा रही संक्रमण के आंकड़े: राजेंद्र राठौड़

कांग्रेस सरकार के प्रतिदिन 51 हजार जांचों के दावे को बताया सरासर गलत, निजी अस्पतालों में उपचार की दरों को लेकर भी उठाया सवाल, सर्वदलीय बैठक बुलाकर कार्य योजना बनाने की अपील

Rajendra Rathore File Photo
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Politalks.news. राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने प्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण पर चिंता जताई है, साथ ही गहलोत सरकार पर संक्रमण और मरीजों के आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए सूबे की कांग्रेस सरकार पर मरीजों के आंकड़े छुपाने का गंभीर आरोप भी लगाया. उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़ ने गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में पिछले एक पखवाड़े से कोरोना के संक्रमित मरीजों की संख्या प्रतिदिन 1500 से अधिक होने व मृत्यु का आंकड़ा भी प्रतिदिन 13 से 15 होने के आंकड़ों से यह प्रमाणित हो गया है कि प्रदेश में वैश्विक महामारी कोरोना का सामाजिक विस्तार (कम्युनिटी स्प्रेड) हो चुका है, जो गंभीर चिंता का विषय है.

राजेंद्र राठौड़ ने आगे कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 90 हजार को छू रही है, प्रतिदिन 15 हजार से ज्यादा एक्टिव केस निरतंर आ रहे हैं. चिकित्सा विभाग द्वारा जारी इलाज के प्रोटोकाॅल के अनुसार कोरोना संक्रमित एक्टिव केसों को 14 दिन चिकित्सालय में आइसोलेशन बेड पर भर्ती होना आवश्यक है. मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण अब सरकारी व निजी चिकित्सालयों में कोरोना मरीजों के लिए बेड की उपलब्धता कम पड़ने लगी है. राजधानी जयपुर में ही गंभीर मरीजों को सरकारी व निजी चिकित्सालय में ऑक्सीजन व वेंटिलेटरयुक्त बेड की उपलब्धता विगत दो सप्ताह से निरंतर कम पड़ना इस बात को सिद्ध करता है कि अब सरकार को अपने चिकित्सा संसाधन बढ़ाने के साथ निजी चिकित्सालयों को भी विश्वास में लेना पड़ेगा.

उपनेता प्रतिपक्ष ने​ निजी अस्पतालों में कोरोना के उपचार दर पर भी सवाल उठाया. राठौड़ ने कहा कि निजी चिकित्सालयों में कोरोना के मरीजों के प्रतिदिन उपचार हेतु दरें 5000 से लेकर 9000 रुपये निर्धारित की है, जो आम व्यक्ति के बूते से बाहर है. राठौड़ ने मांग की है कि प्रदेश में कोरोना के लिए चिन्हित राजकीय व निजी चिकित्सालयों में संसाधनों और स्टाफ की अनुपलब्धता के कारण हालात निरंतर बिगड़ रहे हैं और कोरोना संक्रमित मरीजों को पर्याप्त इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है. चिकित्सालयों में मानव संसाधनों की कमी को दूर करते हुए राज्य सरकार को चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ की आपात भर्ती तुरंत करनी चाहिए. राठौड़ ने निजी चिकित्सालय संचालक संघ से अपील की है कि कोरोना के सामाजिक फैलाव को दृष्टिगत रखते हुए वह राज्य सरकार को इस संकट की घड़ी में सहयोग करें.

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राजेंद्र राठौड़ ने सरकार के स्क्रीनिंग, जांच और इलाज के सरकारी दावों को महज नाटक बताते हुए कहा कि दुर्भाग्य इस बात का है कि जून माह में उच्चतम न्यायालय द्वारा सरकार को कोरोना के इलाज के लिए चिन्हित निजी व सरकारी चिकित्सालयों का 15 दिन में उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा निरीक्षण किए जाने, सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने और भर्ती मरीज के एक परिवारजन को चिकित्सालय परिसर में रुकने की व्यवस्था करने के निर्देशों की पालना भी सरकार नहीं कर रही है. इसकी वजह से विगत एक माह में दो बार माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा कोरोना के इलाज में बरती जा रही कोताही के कारण राज्य सरकार को नोटिस तक जारी किए है. इससे यह सिद्ध होता है कि प्रदेश में कोरोना के बीमार व्यक्तियों की स्क्रीनिंग, जांच व इलाज के सरकारी दावे कपोल कल्पित है.

वहीं गहलोत सरकार पर कोरोना के मामलों के आंकड़ों को छिपाने का गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार एक और प्रतिदिन 51,505 जांच करने की क्षमता का दावा भर रही है वहीं पिछले सप्ताह जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर व चूरू सहित कई स्थानों पर प्रतिदिन जांचों की संख्या अनुपात में 33 फीसदी तक कम की जा रही है व संक्रमित मरीजों के आंकड़ों को छुपाने का कार्य किया जा रहा है.

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कोरोना के सामाजिक फैलाव का कारण 15000 से ज्यादा ऐसे संक्रमित रोगी है जिनके संक्रमण फैलाव का कारण आज तक मालूम नहीं हो सका. ऐसी चिंताजनक स्थिति को देखते हुए सरकार को हर जिले में कोरोना की वस्तुस्थिति पर व्हाईट पेपर जारी करना चाहिए. इन हालात में सर्वदलीय बैठक बुलाकर बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए सभी वर्गों को विश्वास में लेकर नये सिरे से कार्यकारी योजना बनानी चाहिए, साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के निर्देशों की गंभीरता से पालना करनी चाहिए ताकि बढ़ते हुए सामाजिक संक्रमण को रोका जा सके.

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