रोजगार पर खामोश मोदी सरकार, क्या सरक रहा है युवा जनाधार?

क्या युवाओं का बदल रहा है मूड, क्या बदल रहा है मेरा देश, युवाओं के 'मैं भी बेरोजगार, नौकरी दो सरकार' जैसे रोष से हिल रहे हैं भाजपा रणनीतिकार

Modi Vs Unemployment
Modi Vs Unemployment

Politalks.News/Bharat. 2014 के चुनाव का वो शोर कौन भूल सकता है, जब प्रधानमंत्री पद के चेहरे के रूप में नरेंद्र मोदी चुनावी रैलियों को संबोधित करने के लिए मंच पर पहुंचते थे. पूरा माहौल ‘मोदी-मोदी’ की आवाज से गूंज उठता था. बदलते भारत को देखने के लिए युवाओं का जोश देखते ही बनता था. हर तरफ युवाओं में एक ही चर्चा थी मोदी-मोदी.

नोटंबदी अर्थव्यवस्था के लिए साबित हुई घातक

युवाओं की ताकत से आखिरकार देश में बन ही गई मोदी सरकार. मोदी सरकार (Narendra Modi) ने पहले कार्यकाल में नोटबंदी की, जिससे दिखाया गया कि नोटबंदी कालेधन और अमीरों पर एक प्रहार है. युवाओं ने भी सरकार का पूरा साथ दिया. उसके बाद बैंकों के बाहर अपना ही जमा किया हुआ पैसा लेने के लिए लोग घंटों लाइन में लगे रहे. इस दौरान मोदी सरकार हर दिन निर्णय बदलती रही और बैंकर्स के साथ जनता परेशान होती रही.

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अचानक हुई इस आर्थिक स्ट्राइक से लोगों में जबरदस्त अफरा तफरी मच गई. कई लोगों की मौतें भी हुई, किसी की बेटी की शादी टूट गई तो किसी के पिता को बिना पैसों के इलाज नहीं मिल सका. फिर भी युवा पीएम मोदी के साथ इस आस में खड़ा रहा कि कालाधन रूकेगा तो भ्रष्टाचार मिटेगा और नक्सलवाद व आतंकवाद रूकेगा. और भी न जाने क्या-क्या होगा लेकिन जब नोटबंदी का परिणाम आया तो बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां जा चुकी थी, छोटे रोजगार, उद्योग-धंधे बर्बाद हो चुके थे. फिर भी युवा देश और पीएम मोदी के साथ खड़ा रहा क्योंकि देश बदल रहा था.

जीएसटी से घनचकरी हो गया रोजगार का सिस्टम

नोटबंदी के बाद आई अनप्लांड जीएसटी. मोदी सरकार के लाख दावों के विपरीत जीएसटी ने उद्योग धंधे बढ़ाने और रोजगार देने वाले सिस्टम को घनचकरी करके रख दिया. रिपोर्ट्स कहती है कि जीएसटी के बाद बड़ी संख्या में उद्योग धंधे चौपट हो गए. लाखों की संख्या में रोजगार प्रभावित हुआ लेकिन देश का युवा अब भी मोदी सरकार के साथ खड़ा रहा क्योंकि देश बदल रहा था.

युवा भी बोला- मैं भी चौकीदार

साल था 2019. एक बार फिर आम चुनाव में जनता की खामोश आंतरिक लहर ने खुद के दम पर सरकार बनाने के लिए भाजपा और मोदी को बंपर सीटें जिताकर बहुमत तक पहुंचा दिया. इस चुनाव में नरेंद्र मोदी का नारा ‘मैं भी चौकीदार’ को युवाओं का समर्थन मिला. युवाओं ने भी इस नारे में अपना नारा जोड़कर कहा ‘हम भी चौकीदार’.

ना खाउंगा, ना खाने दूंगा लेकिन

पीएम मोदी ने कहा था ‘ना मैं खाउंगा और ना खाने दूंगा’ लेकिन जब बैंकों की रिपोर्ट्स सामने आने लगी तो आम जनता का मन अंदर से हिलने लगा. मोदी सरकार द्वारा देश के 50 उद्योगपतियों के 63 हजार करोड़ रुपये के कर्जे माफ किए जाने की बात सामने आई. अडानी और अंबानी सहित कुछ उद्योगपतियों का कारोबार दिन दूना रात चौगुना होने लगा. अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप का नाम तो राफेल सौदे के दौरान भी आया. मामला 30 हजार करोड़ रुपये की रकम से जुड़ा हुआ है.

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कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि राफेल सौदे से जुड़ी इस राशि को सीधे अंबानी की जेब में डाला गया है. खैर.. अब बात आई गई हो गई. इधर अंबानी, अडानी का कारोबार फलने फूलने लगे, जबकि देश के दूसरे मंझले उद्योग और कारोबार बर्बाद होने लगे. तब भी युवा पीएम मोदी के साथ खड़ा रहा.

6 साल में अर्थव्यवस्था पर तीसरी बड़ी मार

अब आया मोदी सरकार का अनप्लांड लाॅकडाउन. प्रधानमंत्री 8 बजे टीवी पर आए और कह दिया 4 घंटे बाद यानि की रात 12 बजे से सब कुछ बंद. एक ही झटके में सब कुछ बंद करने का एलान. कोरोना काल के आने से पहले ही बदहाली की ओर बढ़ रही अर्थव्यवस्था और रोजगार पर पिछले 6 सालों में यह तीसरी बड़ी मार थी. लाॅकडाउन के बाद जब उद्योग धंधे और कारोबार सब पूरी तरह प्रभावित हो गया. कईयों का तो दिवाली से पहले ही दिवाला निकल गया. जब युवाओं का रोजगार छिन गया, तब जाकर देश के युवा मन का दर्द छलकना शुरू हुआ. अबकी बार युवा बोला ‘हम भी बेरोजगार, रोजगार दो मोदी सरकार‘.

मोदी सरकार के खिलाफ बढ़ता रोष

औधें मुंह गिरी जीडीपी के बाद तो जैसे युवाओं का मोदी सरकार पर से भरोसा खत्म सा हो गया. सोशल मीडिया पर एक तरह से अभियान शुरू हो गया. हालात यह बन गए कि मोदी और भाजपा के यू-टयूब चैनल्स को लाइक से ज्यादा डिस-लाइक मिलने लगे. आधी रात को भाजपा आईटी सेल ने प्रधानमंत्री के यू-टयूब चैनल के लाइक डिस-लाइक ऑप्शन की तालाबंदी कर दी. भाजपा ने तो इतना कह दिया कि डिस-लाइक भारत विरोधी देश तुर्की और अन्य देशों से हैं.

तुर्की-पाकिस्तान से नहीं हैं, भारत के युवा हैं हम

लाइक डिस-लाइक का ऑप्शन बंद होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूट्यूब पर तो कोई लाइक डिस-लाइक नहीं कर सकता तो लोग भाजपा के यूट्यूब पर गुस्सा निकालने में लग गए. कल प्रधानमंत्री को अमेरिका सहयोग संगठन से जुड़े लोगों को संबोधित करना था और भाजपा के यूट्यूब चैनल पर इसका सीधा प्रसारण होना था. इससे पहले की मोदी का भाषण शुरू होता, 20 हजार डिस-लाइक आ गए. यानि लोगों ने भाषण तक सुनने के प्रति अपनी असहमति जता दी. युवाओं ने अपना नाम और शहर का नाम लिखकर बताया कि मैं भी बेरोजगार हूं. पाकिस्तान या तुर्की या फिर किसी और देश से नहीं हूं. रात होते-होते भाजपा की इस साइट पर युवाओं की नाराजगी की बाढ़ आ गई.

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बाढ़ तो देश में बेरोजगारी की भी आ रही है, लेकिन शायद मोदी सरकार को नजर नहीं आ रही. युवा मोदी सरकार के खिलाफ रोष जाहिर करके सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर डाल रहे हैं. इन वीडियों को कुछ ही घंटों में लाखों लाइक मिल रहे हैं, जो संकेत दे रहे हैं कि देश बदलने के साथ-साथ देश का युवा भी बदल रहा है. 2014 में मोदी का भाषण शुरू होने से पहले देश बदलने के सपने को लिए भरपूर उत्साह में ‘मोदी-मोदी’ करने वाले इस युवा को 6 साल में ऐसा क्या हो गया कि वो युवा अब मोदी के मेक इन इंडिया और आत्म निर्भर भारत की बात यानि की मन की बात तक नहीं सुनना चाहता है.

मोदी के डिस-लाइक के साथ बढ़े राहुल गांधी के लाइक

हालांकि बीजेपी ने राहुल गांधी को देश में ‘पप्पू’ साबित कर दिया लेकिन अर्थव्यवस्था का बंटाधार यानि तिमाही जीडीपी के माइनस 24 में जाने के बाद युवाओं का ध्यान अब राहुल गांधी पर आना शुरू हो गया है. नोटबंदी और बेरोजगारी पर बनाए गए राहुल गांधी के वीडियो सोशल मीडिया पर जबर्दस्त तरीके से ट्रेंड कर रहे है. जहां एक और पीएम मोदी से जुड़ी साइटों पर डिस-लाइक बढ़ रहे हैं, वहीं राहुल गांधी के वीडियो पर आने वाले लाइक की गिनती में बढ़ोतरी होती जा रही है.

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