Politalks.News/Delhi/Farmers Protest. हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के बीच खुले आसमान के नीचे जारी हजारों किसानों का आंदोलन अब उग्र होता नजर आ रहा है. जिसके चलते भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) अभी 11 बजे नोएडा चिल्ला बॉर्डर पूरी तरह बंद करेगें. टिकैत गुट का कहना है कि सरकार किसानों को आंदोलन में आने नहीं दे रही है. किसान नेताओं ने बताया कि अब तक हमारे बीस किसान साथी आंदोलन के दौरान शहीद हो चुके हैं. आगामी रविवार को हर गांव हर तहसील में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी. किसान संगठन की ओऱ से बताया गया कि अभी तक 150 टोल प्लाज़ा मुक्त हो चुके हैं. किसानों के आंदोलन पर ग़लत आरोप लगा रही है सरकार.
बता दें, कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन का आज 21वां दिन है. किसान संगठनों और सरकार के बीच अभी तक तीन कृषि कानून को लेकर जारी गतिरोध खत्म होता नहीं दिख रहा है. मंगलवार शाम को किसान संगठनों की ओर से प्रेस कांफ्रेंस की गई जिसमें संगठन पुरानी बातों को ही दोहराते दिखे. वहीं सरकार भी अपने रुख पर कयम है. सरकार का कहना है कि हम किसान संगठनों से चर्चा के लिए तैयार हैं.
यह भी पढ़ें: किसानों को डराने, भड़काने और भ्रमित करने वालों के मंसूबे होंगे परास्त- पीएम मोदी ने साधा विपक्ष पर निशाना
इधर हरियाणा के चार निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की तथा उनसे प्रदर्शनकारी किसानों एवं केंद्र के बीच नए कृषि कानूनों को लेकर बने गतिरोध का जल्द से जल्द समाधान निकालने का अनुरोध किया. निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत, रणधीर सिंह गोलेन, राकेश दौलताबाद और धरम पाल गोंदेर ने खट्टर से उनके आवास पर मुलाकात की. रावत ने बताया कि गतिरोध को खत्म करने के बारे में खट्टर से बात हुई और उन्होंने कहा कि राजग सरकार भी इस मुद्दे का जल्द समाधान चाहती है और वह किसानों की कई मांगों पर सहमति जता चुकी है.
वहीं मंगलवार शाम हुई प्रेस कांफ्रेंस में किसान संगठन के नेताओं ने कहा कि हमें सरकार की नीयत पर शक है. अभी तक पीएम ने किसानों के लिये दो शब्द नहीं कहे, हाल नहीं पूछा. 6 साल से पीएम किसी किसान संगठन से नहीं मिले. रेडियो पर मन की बात करते हैं पर किसानों से बात नहीं करते. किसान नेताओं ने कहा कि यह ऐतिहासिक आंदोलन है और किसानों की एकता तो तोड़ने की हर संभव कोशिश विफल होगी. संगठनों ने कहा कि हमने उनका प्रस्ताव इसलिए ठुकराया की हम संशोधन नहीं चाहते. हम उनकी हर बैठक में जाने को तैयार हैं, पर सरकार हमारी मांग मानने को तैयार तो हो.
यह भी पढ़ें: गजेन्द्र सिंह शेखावत का बड़ा बयान- अब किसान नहीं देश विरोधी नक्सलवादी ताकतें चला रही हैं आंदोलन
प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पूरे आंदोलन को बदनाम करना चाहती है. इस दौरान किसानों ने एक बार फिर दो टूक बात करते हुए कहा कि लोग सड़कों पर आ बैठे हैं, सरकार को ज़रूरत है कि पहले तीनों बिलो को रद्द किया जाए उसके बाद ही बात होगी. किसान संगठनों ने बताया कि अब तक लगभग 20 किसान भाइयों की मौत किसान आंदोलन में हो चुकी है. 20 दिसंबर को श्रंद्धाजलि समारोह रखा गया है. किसान संगठनों की ओर से कहा गया कि इस आंदोलन को और विशाल बनाया जाएगा.