Wednesday, January 15, 2025
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अजित पवार की बगावत पर पीके ने क्यों कहा कि पाला बदलने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा?

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने महाराष्ट्र की राजनीति और अजित पवार की एनसीपी से बगावत पर रखी अपनी राय, विपक्षी एकता पर भी रखे अपने विचार, समझायी विपक्षी एकता के सफलता की गणित

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Prashant kishor on maharashtra politics: युवाओं की टीम कही जा रही जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार में काफी एक्टिव दिख रहे हैं. मोदी 1.0 की जीत के बाद एकाएक चर्चा में आए पीके बिहार के विकास पर चर्चा करते हुए दिखाई दे जाते हैं. इस बार उन्होंने इन सबसे उलट विपक्षी एकता के समीकरण पर भी बात की. उन्होंने बताया कि किस तरह से विपक्षी एकता कामयाबी की दिशा में आगे बढ़ सकती है. वहीं महाराष्ट्र की राजनीति में हुए फेरबदल और अजित पवार की अपने चाचा शरद पवार व एनसीपी से बगावत पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि पाला बदलने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है.

एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, अजित पवार के नेतृत्व में हुई बगावत को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि ये वहां के लोगों को तय करना है कि ये सही है या नहीं. उन्होंने यह भी बताया कि सामान्य तौर पर किसी विधायक के पाला बदलने से पार्टी के वोट में ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. बता दें कि महाराष्ट्र की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से बगावत करते हुए पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार ने बीजेपी और शिंदे गुट से हाथ मिला लिया. अजित पवार कुछ विधायकों के समर्थन के साथ सरकार में जा मिले और खुद भी डिप्टी सीएम की शपथ ग्रहण कर ली. उनके गुट के 7 अन्य विधायकों को मंत्री पद दिया गया है.

यह भी पढ़ें:  अजित पवार पर भारी पड़ेगी शरद पवार के राजनीतिक अनुभव की ‘गुगली’!

अन्य राज्यों पर नहीं पड़ेगा महाराष्ट्र की सियासत का असर 

प्रशांत किशोर ने महाराष्ट्र की सियासत के फेरबदल का असर बिहार पर न पड़ने की बात भी कही. पीके ने कहा कि बिहार में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना ली तो इसका भी असर किसी दूसरे प्रदेश में नहीं हुआ था. ऐसे में महाराष्ट्र में हुए सियासी घमासान का दूसरे किसी राज्य में कोई असर नहीं होगा.

अंकगणित छोड़कर नैरिटव के साथ आएं सभी विपक्षी दल 

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सत्ताधारी मोदी सरकार के खिलाफ खड़े हो रहे विपक्षी एकता गठबंधन और उनकी सफलता को लेकर भी खुलकर चर्चा की. साथ ही उनकी कामयाबी का समीकरण भी समझाया. पीके ने कहा कि विपक्षी एकता की हो रही कोशिशों को चुनावी लाभ तभी मिलेगा, जब वह एक नैरेटिव के साथ आएंगे ना कि केवल अंकगणित पर निर्भर रहेंगे. प्रशांत किशोर ने उदाहरण देते हुए बताया कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भी एक आंदोलन किया और फिर आपातकाल लगाया गया. ऐसे ही बोफोर्स मामले ने लोगों का ध्यान खींचा था. प्रशांत ने कहा कि विपक्षी एकजुट होकर काम तभी कर सकता है जब वो सत्ताधारी दल के खिलाफ नैरेटिव बनाने में सफल हो.

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