maharashtra politics
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Maharashtra Politics: एक युवा बल्लेबाज क्रिकेट के मैदान में कितना ही आक्रामक खेले लेकिन अनुभवी गेंदबाजों के सामने संभलकर ना खेले तो उसका विकेट गिरना तय है. अब महाराष्ट्र राजनीति का पिच बन चुका है जहां अजित पवार एक मंजे हुए बल्लेबाज की तरह खेल रहे हैं. उनका रुख आक्रामक है और वे हर गेंद को सीमा रेखा से बाहर भेजना चाहते हैं. उधर राजनीति के अनुभवी जादूगर शरद पवार फिलहाल उनका खेल देख रहे हैं. उनका ओवर आना अभी बाकी है. अजित पवार अपने आपको कितना ही मंझा हुआ राजनीतिज्ञ मान रहे हों लेकिन हकिकत तो ये है कि शरद पवार बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके हैं और किस समय किस ओवर में कौनसी बोल गुगली फेंकनी हैं, उन्हें अच्छी तरह इसकी समझ है. अब महाराष्ट्र की राजनीति के मैदान में अनुभव की यही ‘गुगली’ अजित पवार पर भारी पड़ने वाली है.

सुपर संडे के दिन शरद पवार के भतीजे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजित पवार ने पार्टी छोड़कर कुछ विधायकों के साथ शिंदे गुट और देवेंद्र फडणवीस से हाथ मिला लिया और फिर से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बन बैठे. एनसीपी के कितने विधायक अजित पवार के साथ गए हैं, संख्या स्पष्ट तो नहीं है लेकिन अजित पवार का दावा 40 विधायकों का है. एनसीपी के पास फिलहाल 54 विधायक हैं. अगर अजित पवार के साथ 40 विधायक जाते हैं तो एनसीपी में 14 विधायक बचेंगे. इसके बाद अजित पवार एनसीपी पार्टी पर भी हक जमाने की बात कर रहे हैं. ये सब कुछ ठीक वैसा ही है जैसा कि महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना और उद्धव ठाकरे के साथ किया था. हालांकि शरद पवार इस लड़ाई को अदालत तक ले जाने की बात से साफ इनकार कर चुके हैं. उन्होंने पार्टी को फिर से खड़ा करने की बात कही है.

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इधर, शरद पवार अभी तक अपने सभी विधायकों का खुद पार्टी में लौटकर आने का इंतजार कर रहे हैं. ठीक उसी तरह, जैसा 2019 विस चुनावों के ठीक बाद अजित पवार का बीजेपी से हाथ मिलाने पर किया था. उस समय भी अजित पवार के साथ पार्टी के 40 से अधिक विधायक अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के साथ खड़े दिखाई दिए थे लेकिन शरद पवार के एक बार कहने पर सभी के सभी विधायक लौट आए थे. हालांकि इसे शरद पवार की सोची समझी रणनीति ज्यादा बताया जा रहा है. इस बार ये सोची समझी रणनीति तो नहीं लेकिन उनकी बात का वजन आज भी उतना ही है. फिलहाल उन्होंने विधायकों को फोन करना शुरू नहीं किया है. सही वक्त पर जब शरद पवार ये करेंगे तो निश्चित तौर पर जितना विश्वास अजित पवार को अपने विधायकों पर हैं, उसका टूटना पक्का है.

शरद पवार ने इस संकट की घड़ी में भी बड़े धैर्य और ठंडे दिमाग से काम किया है. यहां पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सूले को कमान देने की जगह उन्होंने स्वयं इसे अपने हाथों में लिया है. अजित पवार के जाते ही तुरंत एक्शन लेते हुए पार्टी ने राज्यसभा में पार्टी नेता प्रफुल्ल पटेल, सांसद सुनील तटकरे, क्षेत्रीय महासचिव शिवाजी राव गरजे, अकोला जिला अध्यक्ष विजय देशमुख और मुंबई डिविजन के कार्यकारी अध्यक्ष नरेंद्र राणे को बाहर का रास्ता दिखाया है. साथ ही साथ अजित पवार सहित 9 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की औपचारिक याचिका भी लगाई है. अगर यहां अजित पवार को पार्टी के 36 विधायकों का समर्थन हासिल नहीं होता है तो दल बदल कानून के तहत स्वयं सहित पार्टी के सभी विधायक अयोग्य साबित हो जाएंगे. इसका सबसे अधिक खामियाजा अजित पवार को ही भुगतना होगा.

अजित पवार की बगावत के बाद शरद पवार पूरी तरह अपने राजनीतिक अनुभव को भुनाते हुए शक्ति प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं. 5 जुलाई को पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई गई है. यहां शरद पवार अपने गए हुए या जाने वाले विधायकों को पार्टी में वापिस आने के लिए कहेंगे. इसका परिणाम निश्चित तौर पर विधायकों पर पड़ेगा, जिसका असर अभी से दिखना शुरू हो चुका है. एनसीपी सांसद अमोल कोल्हे ने पाला बदलते हुए कहा है कि वह शरद पवार के साथ है. कोल्हे रविवार को अजित पवार के शपथ ग्रहण समारोह में नजर आए थे.

इससे पहले एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने सोमवार को प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री यशवंत राव चव्हाण के स्मारक पर हुई एक सभा में सभी बागी विधायकों को उनकी सही जगह दिखाने की बात कहकर सीधे सीधे अजित पवार को चुनौती दे दी है. फिलहाल अजित पवार के साथ दो चार सांसदों के साथ 18 विधायक शपथ ग्रहण समारोह में दिखाई दिए थे. अजित पवार के साथ बागी हुए 8 विधायकों हसन मुश्रीफ के साथ छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव आत्राम, सुनील वलसाड और अदिति तटकरे को मंत्री बनाया गया है. अब जो 10 विधायक मंत्री बनने का सपना लिए अजित पवार गुट में शामिल हुए थे, उनका नाराज होना तो वाजिब है. ऐसे में उनका और अन्य विधायकों का शरद पवार के साथ जाना निश्चित है.

हाल में एनसीपी की राष्ट्रीय मान्यता भी समाप्त हुई थी जिसके बाद शरद पवार ने अपने इस्तीफे का ऐसा खेल खेला, जिससे पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ताओं में न केवल जोश भरा, बल्कि अपने चीफ के प्रति सम्मान एवं पार्टी भक्ति भी बढ़ी. अब फिर से शरद पवार कुछ ऐसा ही करने का मन बनाया है. अजित पवार द्वारा पार्टी पर किए दावे पर सुप्रीमो ने कहा कि वे इस मामले को अदालत में नहीं ले जाएंगे बल्कि पार्टी फिर से खड़ी करके दिखाएंगे. ऐसा कहकर उन्होंने अपने पार्टी भक्त नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में फिर से जान फूंकने का काम किया है. वहीं बगावत करने वाले विधायकों को साथ आने का एक मौका दिया है. अब देखना ये है कि अजित अपने विधायकों को थामे रखने के साथ साथ अपने विकेट बचाने में कामयाब होते हैं या फिर बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष की गुगली के सामने चारों खाने चित होते नजर आते हैं.

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