अब बूढ़े हो गए हैं नीतीश कुमार, उन्हें कुछ बोलना है तो बोलने दें, उनके बयानों का नहीं पड़ेगा प्रभाव- पीके

एक महीने पहले तक नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे, अब वह उनके खिलाफ हैं, अगर नीतीश जी ऐसा सर्टिफिकेट दूसरों को दे रहे हैं तो इसे हंसी का पात्र ही कहा जा सकता है, विपक्षी एकता के लिए उनके बयानों का राष्ट्रीय स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा- प्रशांत किशोर

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Politalks.News/Bihar/Nitish-PK. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच की खींचतान जगजाहिर है. हाल ही में नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के दौरान पीके को लेकर पूछे गए सवाल पर नीतीश कुमार भड़क गए थे और पीके के लिए नीतीश ने यहां तक कह दिया था कि, ‘वह बकवास बोलता है’. अब प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की उनके खिलाफ नाराजगी का जवाब देते हुए कहा कि, ‘वह अब बूढ़े हो गए हैं, अगर उन्हें कुछ बोलना है तो उन्हें बोलने दें.’ वहीं भाजपा के खिलाफ नीतीश की विपक्षी एकता को लेकर पीके ने कहा कि अगर वह (नीतीश कुमार) दूसरों को इस बात का प्रमाण पत्र बांट रहे हैं कि कौन भाजपा के साथ है और कौन उसके खिलाफ, तो यहा हास्यास्पद है.

अपने ‘जन संवाद’ कार्यक्रम के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि, ‘एक महीने पहले तक नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे. अब वह उनके खिलाफ हैं. अगर नीतीश जी ऐसा सर्टिफिकेट दूसरों को दे रहे हैं तो इसे हंसी का पात्र ही कहा जा सकता है. अगर वह मेरे मन को जानने में सक्षम है तो आप इसे उनका शैक्षिक प्रदर्शन मान सकते हैं.’

पीके ने आगे कहा कि, ‘वह एक बुजुर्ग राजनेता हैं. उन्होंने जो भी कहा उसका मैंने पूरा वीडियो नहीं देखा है, लेकिन मैंने कुछ हिस्सा देखा है. वह अब बूढ़े हो गए हैं. अगर उन्हें कुछ बोलना है तो उन्हें बोलने दें. उनके बयान पर टिप्पणी करना बेमानी है. अगर वह बिहार के विकास से जुड़ी कुछ बात करते हैं तो उस पर चर्चा करना ठीक है. व्यक्तिगत टिप्पणी करने का कोई मतलब नहीं है.’ प्रशांत किशोर ने कहा कि उन्होंने जो कहा वह उनका दृष्टिकोण है और मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है.

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गौरतलब है कि इससे पहले प्रशांत किशोर ने गुरुवार को ट्विटर हैंडल के जरिए मुस्कुराते हुए नीतीश कुमार की कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिनमें वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ जोड़कर अभिवादन करते दिख रहे हैं. नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री उम्मीदवार की दावेदारी पर उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता के लिए उनके (नीतीश कुमार के) बयानों का राष्ट्रीय स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. पीके ने पिछले सोमवार को कहा था कि विपक्षी गठबंधन के कदम से राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. लोग तय करेंगे कि नीतीश कुमार की कितनी विश्वसनीयता बनी हुई है, लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता बिहार होनी चाहिए. लोगों ने उन्हें बिहार का सीएम बनाने के लिए वोट किया, जो उनके लंबे कार्यकाल के बावजूद सबसे पिछड़ा राज्य बना हुआ है. मुझे लगता है कि बिहार में हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों का राष्ट्रीय राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

आपको बता दें कि हाल ही में दिल्ली दौरे के दौरान पीके के बारे में नीतीश कुमार से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने अपना आपा खो दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि, ‘वह बकवास बोलता रहता है. उसके मन में कुछ हो सकता है. भाजपा के साथ रहने और उसकी मदद करने में उसकी दिलचस्पी हो सकती है. वह जो बोलता है उसका कोई लेना-देना नहीं है. यह उसका व्यवसाय है. वह जानता है कि प्रचार पाने के लिए क्या बोलना है. वह मेरे साथ आया, लेकिन मैंने बाद में उससे कहा कि वह जो कुछ भी कर रहा है उसे बंद कर दे, लेकिन वह कई पार्टियों के साथ काम करता रहा. उसे एबीसी पता है कि 2005 से बिहार में किस तरह का काम हुआ है? हम काम करते हैं और राज्य में लौटने के तुरंत बाद हम इसमें उतरेंगे.’

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यह भी बता दें कि पिछले कुछ दिनों में नीतीश कुमार ने अपने दो पुराने सहयोगियों पर नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से हमला किया है. आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर पहले उनके काफी करीबी माने जाते थे. 2015 में बिहार में महागठबंधन (जीए) सरकार बनाने में अपनी भूमिका निभाने के बाद वह सितंबर 2016 में जेडीयू में शामिल हो गए. उन्हें बिहार विकास मिशन के गवर्निंग बोर्ड का सदस्य बनाया गया. नीतीश कुमार के साथ निश्यच मॉडल की परिकल्पना भी प्रशांत किशोर ने ही की थी.

गौरतलब है कि 2020 में जेडीयू ने प्रशांत किशोर को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया. यही नहीं इसके बाद एक कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने तब कहा था कि प्रशांत किशोर को उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर भाजपा में शामिल किया था. हालांकि, प्रशांत किशोर ने इसका खंडन किया था.

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