बढ़ सकती हैं ‘चौकीदार’ की मुश्किलें, रैली में आचार संहिता का उल्लंघन!

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चुनावी चौसर में उम्मीदवारों के साथ-साथ पार्टी के शीर्ष नेता दम-खम लगाने में कहीं पीछे नहीं रहना चाहते और धुंआधार रैलियां कर वोटरों को लुभाने की कोशिश की जा रही है. इसी बीच पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली में अपने संबोधन के बयान को एक निर्वाचन अधिकारी द्वारा आचार संहिता का उल्लघंन माना है. बता दें कि, रैली में पीएम मोदी द्वारा, युवा मतदाता जो पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले हैं, उनसे कहा गया कि वे अपना वोट पुलवामा आतंकी हमले के शहीदों और बालाकोट एयर स्ट्राइक के वीर जवानों को समर्पित करें. इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा.

दरअसल, हाल ही में महाराष्ट्र के लातूर में चुनाव रैली में पीएम मोदी द्वारा अपने संबोधन में कहा गया कि, ‘मैं जरा कहना चाहता हूं मेरे फर्स्ट टाइम वोटरों को. क्या आपका पहला वोट पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने वाले वीर जवानों के नाम समर्पित हो सकता है क्या? मैं मेरे फर्स्ट टाइम वोटर से कहना चाहता हूं कि आपका पहला वोट पुलवामा (हमले) के वीर शहीदों को समर्पित हो सकता है क्या?’….जिसे लेकर सियासत गर्माने के बाद निर्वाचन आयोग तक मामला पहुंच गया है.

मामले को लेकर अंग्रेजी समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस ने एक चुनाव अधिकारी द्वारा इसे आदर्श आचार संहिता का सीधा उल्लघंन बताया है. महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ), उस्मानाबाद ने बताया है कि पीएम मोदी द्वारा रैली में अपने संबोधन के बयान आचार संहिता के उस नियम का सीधा उल्लघंन है, जिसके अनुसार सरकार द्वारा सियासी फायदे के लिए सेनाओं के इस्तेमाल पर पाबंदी है.

वहीं, समाचार पत्र ने अपने राजनीतिक सूत्रों के दावे के अनुसार यह भी जानकारी दी है कि रिपोर्ट मिलने के बाद महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी ने भी पीएम मोदी के इस बयान को प्राथमिक रूप से आदर्श आचार संहिता का उललंघन माना है. वहीं डीईओ द्वारा दी गई रिपोर्ट को निर्वाचन आयोग को भी भेजे जाने की बात की है जिस पर आगे की कार्रवाई उन्हीं को करना बताया है. अगर निर्वाचन आयोग डीईओ की रिपोर्ट पर अपनी सहमति देता है तो पीएम मोदी की मुश्किलें बढ़ने के साथ उन्हें अपने बयान को लेकर सफाई देने को कहा जा सकता है. निर्वाचन अधिकारियों से मिले संकेतों के मुताबिक इस पूरे मामले को लेकर चुनाव आयोग इसी सप्ताह कोई निर्णय ले सकता है.

बता दें कि गत 19 मार्च को ही निर्वाचन आयोग द्वारा सभी सियासी पार्टियों को हिदायत दी गई थी कि अपने नेताओं व प्रत्याशियों को अवगत करवा दें कि वे चुनाव प्रचार व रैलियों के दौरान सेनाओं की बात करने से बचें. वहीं उससे पहले भी 9 मार्च को भी चुनाव प्रचार में सेना व सैन्य मिशन से संबधित तस्वीरें इस्तेमाल नहीं करने को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा एक एडवाइजरी जारी कर चेताया गया था.

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