nana patole biography in hindi
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Nana Patole Latest News – छात्र राजनीति से अपनी पहचान बनाकर आगे बढ़ने वाले नाना पटोले महाराष्ट्र के विदर्भ नेता माने जाते है. पटोले की राजनीतिक यात्रा बहुत ही अलग रही है. राजनीति की शुरुआत उन्होंने कांग्रेस से की पर बावजूद इसके वो कई बार कांग्रेस को अलविदा भी कहा, बीजेपी में शामिल हुए. बीजेपी के टिकट पर विधायक, एमपी भी बने पर फिर उन्होंने कांग्रेस में वापसी कर ली और विधान सभा का निर्विरोध अध्यक्ष बनाये गए. इस लेख में हम आपको कांग्रेस नेता व महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले की जीवनी (Nana Patole Biography in Hindi) के बारें में जानकारी देने वाले है.

नाना पटोले की जीवनी (Nana Patole Biography in Hindi)

पूरा नाम नानाभाऊ फाल्गुनराव पटोले
उम्र 61 साल
जन्म तारीख 05 जून, 1963
जन्म स्थान भंडारा, महाराष्ट्र
शिक्षा पोस्ट ग्रेजुएट
कॉलेज मनोहर भाई कॉलेज, साकोली, भंडारा, महाराष्ट्र
वर्तमान पद कांग्रेस नेता व महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष
व्यवसाय राजनीतिज्ञ, व्यापार
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
वैवाहिक स्थिति विवाहित
पिता का नाम फाल्गुनराव पटोले
माता का नाम मीराबाई पटोले
पत्नी का नाम मंगला
बच्चे तीन बच्चे
बेटें का नाम
बेटी का नाम
स्थाई पता
वर्तमान पता
फोन नंबर
ईमेल

नाना पटोले का जन्म और परिवार (Nana Patole Birth & Family)

नाना पटोले का जन्म 5 जून,1963 को महाराष्ट्र के भंडारा जिले के लखनी नामक गांव के एक किसान परिवार में हुआ था. भंडारा जिला महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में पड़ता है, यह क्षेत्र महाराष्ट्र का पिछड़ा हुआ क्षेत्र कहलाता है और यहाँ का जीवन कठिनायों से भरा है. नाना पटोले को नानाभाऊ पटोले के नाम से भी जानते है. नाना पटोले के पिता का नाम फाल्गुनराव पटोले था. जबकि उनकी माँ का नाम मीराबाई पटोले था. नाना पटोले के पिता फाल्गुनराव पटोले एक कृषि अधिकारी थे और माता गृहणी थी. नाना पटोले का विवाह मंगला से हुआ था. नाना पटोले के तीन बच्चे है. नाना पटोले हिन्दू है.

नाना पटोले की शिक्षा (Nana Patole Education)

नाना पटोले ने पोस्ट ग्रेजुएट की पढाई मनोहर भाई कॉलेज, साकोली, भंडारा, महाराष्ट्र से पूरी की.

नाना पटोले का शुरूआती जीवन (Nana Patole Early Life)

नाना पटोले का शुरूआती जीवन राजनीति से दूर किसान परिवार में गुजरा था. बावजूद इसके पटोले के संस्कार में राजनीति समायी हुई थी. नाना पटोले कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति से अपनी पहचान बनाई. धीरे धीरे यही राजनीति वाली पहचान उनके आगे के करियर निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि उनके पिता दो विभागों से उन्हें बचने की सलाह दिया करते थे, पहला पुलिस विभाग और दूसरा राजनीति. पर इसके बाद भी नाना पटोले को राजनीति में ही रास आने लगी और आगे चलकर राजनीतिक पार्टियों के नजर में आने लग गए और फिर वो जल्द ही विदर्भ का जाना माना नेता कहलाने लग गए.

नाना पटोले का राजनीतिक करियर (Nana Patole Political Career)

नाना पटोले की राजनीतिक यात्रा वर्ष 1990 के दशक से शुरू हुई थी. उन्होंने अपना पहला चुनाव 1992 में निर्दलीय लड़ा. उन्होंने पार्टी से टिकट माँगा था पर कांग्रेस ने टिकट देने से मना कर दिया तब निर्दलीय ही चुनाव लड़ा और कांग्रेस अधिकृत प्रत्याशी मधुकर लीचड़े को हराया.

बाद में नाना पटोले का आत्मविश्वास बढ़ गया और वो अब राज्य स्तर पर राजनीति करने की दिशा में अग्रसर हो गए. इसलिए पटोले ने एक बार फिर से कांग्रेस में वापसी कर ली. पर कुछ ही समय बाद वो फिर से कांग्रेस से नाराज हो गए और 1995 में पार्टी से हटकर निर्दलीय ही लाखांदूर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा पर इस बार पटोले और कांग्रेस प्रत्याशी प्रमिला दोनों की हार हुई और बीजेपी प्रयाशी दयाराम जीत गए. लेकिन इस हार से नाना यह समझ गए कि राजनीति में यदि करियर बनाना है तो किसी पार्टी के साथ मिलकर ही रहना होगा और उसके बाद उन्होंने फिर से कांग्रेस ज्योइन कर ली.

नाना पटोले 1999 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लाखांदूर विधानसभा क्षेत्र से लड़ा और जीत गए. फिर वो लगातार कई वर्षो तक कांग्रेस के साथ बने रहे पर वर्ष 2009 में एक बार फिर से नाना कांग्रेस के किसान नीतियों की आलोचना करते हुए पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय ही लोकसभा का चुनाव लड़ा. हालांकि इस चुनाव में नाना पटोले की हार हुई पर हार के बावजूद उनकी राजनीति चमक गई क्योकि वहां से कांग्रेस के बड़े नेता प्रफुल्ल पटेल लड़ रहे थे और उस चुनाव में नाना पटोले निर्दलीय होने के बाद भी दूसरे स्थान पर रहे थे.

2009 में जब कांग्रेस के हाथो नाना पटोले की हार हुई तब वो उसी वर्ष बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी में शामिल होने पर पार्टी ने उन्हें इसी वर्ष होने वाले विधानसभा में प्रत्याशी बनाई और उन्हें सकोली विधानसभा सीट से टिकट दिया. इस चुनाव में नाना की जीत हुई और वो विधायक चुनकर महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे. बीजेपी ने पटोले को विधानसभा में उपनेता बना दिया. इसके बाद पटोले की राजनीति को एक नयी पहचान मिल गई और वो राज्य के बड़े नेता की श्रेणी में आने लग गए.

वर्ष 2014 में अब बीजेपी उन्हें केंद्र की राजनीति में आने का अवसर भी दिया और उन्हें 2014 के आम चुनाव में नागपुर क्षेत्र के भंडारा गोंदिया लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. इस समय देश भर में नरेंद्र मोदी की लहर थी और इसका परिणाम यह हुआ कि नाना पटोले ने वहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता कहे जाने वाले प्रफुल्ल पटेल को डेढ़ लाख के भारी अंतर से हराया.

लेकिन कुछ ही वर्षो में नाना पटोले को बीजेपी से भी चिढ हो गई. नाना पटोले सार्वजनिक रूप से मोदी की आलोचना करने लग गए. उनका कहना था कि पीएम मोदी दुसरो की सुनते ही नहीं है. नाना के कार्यो से शीर्ष नेतृत्व उनसे नाराज हो गया और फिर नाना ने 2018 में बीजेपी छोड़ दिया और फिर से अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में वापसी कर ली.

इसके बाद कांग्रेस उन्हें किसान नागपुर क्षेत्र का किसान खेत मजदुर कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया. अब नाना नागपुर में सक्रिय हो गए और फिर कांग्रेस ने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी के विरुद्ध नागपुर से टिकट देकर खड़ा किया पर नाना पटोले के लिए नितिन गडकरी जैसे दिग्गज नेता को पराजित करना संभव नहीं था और इस चुनाव में नाना पटोले की बुरी तरह से हार हुई.

नागपुर से लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने पटोले को उसी वर्ष सकोली विधान सभा क्षेत्र से टिकट देकर खड़ा किया. इस चुनाव में नाना पटोले की जीत हुई और वो विधायक बनकर विधान सभा पहुंचे. इसके बाद उन्हें सर्वसम्मति से महाराष्ट्र विधानसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया.

नाना पटोले की संपत्ति (Nana Patole Net Worth)

2019 में चुनाव के समय उनके द्वारा घोषित संपत्ति लगभग 2.52 करोड़ है.

इस लेख में हमने आपको कांग्रेस नेता व महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले की जीवनी (Nana Patole Biography in Hindi) के बारे में जानकारी दी है. अगर आपका कोई सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.

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