महाराष्ट्र में सियासी रंजीश और राजनीतिक ताना बाना अब ज्यादा उलझने लगा है. एक तरफ सत्ताधारी महायुति है तो दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी है. महायुति में बीजेपी + शिंदे गुट की शिवसेना + अजित पवार की एनसीपी है. वहीं एमवीए में कांग्रेस + उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना यूबीटी + दिग्गज शरद पवार की एनसीपी एसपी शामिल हैं. 4 नवंबर को नामांकन वापिस लेने की अंतिम तिथि है. उससे पहले अपनों के ही बगावत के सुर पार्टियों को परेशान कर रहे हैं. इसी कड़ी में अजित पवार गुट के मुखर नेता छगन भुजबल के भतीजे एवं पूर्व सांसद समीर भुजबल भी शामिल हैं जिन्होंने निर्दलीय ताल ठोकते हुए बगावत कर दी है. समीर भुजबल नंदगाव-मनमाड विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
इससे पहले समीर भुजबल ने एनसीपी अजित गुट के मुंबई अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इससे चुनाव से पहले महायुति को बड़ा झटका लगा है. राजनीति के महारथी बताते हैं कि समीर भुजबल नंदगांव से चुनाव लड़ना चाहते थे. चूंकि यह निर्वाचन क्षेत्र महागठबंधन में शिवसेना का है, ऐसे में भुजबल ने अलग रास्ता अपना लिया है. इससे पहले खबर आई थी कि समीर एनसीपी एसपी प्रमुख शरद पवार और जयंत पाटिल के संपर्क में हैं, लेकिन अब इसकी पुष्टि हो गयी है कि समीर भुजबल निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
बांध को मंजूरी दिलाने में निभाई भूमिका
जैसा कि समीर भुजबल ने बताया कि मैं पिछले कई दिनों से इस निर्वाचन क्षेत्र का दौरा कर रहा हूं. पंकज भुजबल ने यहां 10 साल तक काम किया. हमारा संगठन यहां मजबूत है. जब मैं 2009 में सांसद था, तब भी मैंने पार्टी के प्रतीक को ग्रामीण स्तर पर ले जाने का काम किया था. नासिक में अनेक विकास कार्य किये गये हैं.
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मुंबई-नासिक हाईवे, फ्लाईओवर, एयरपोर्ट, बोट क्लब जैसे कई काम किए. नासिक को मशहूर बनाने का काम किया. लगातार विकास कार्य किये गये. मुंबई नाका पर स्थापित हुई एशिया की सबसे बड़ी प्रतिमा. समीर भुजबल ने दावा किया कि किकवी बांध को मंजूरी दिलाने में मैंने प्रमुख भूमिका निभाई है.
मुझे नहीं है विधायक बनने की उम्मीद
समीर भुजबल ने यह कहते हुए सभी को चौंका दिया कि उन्हें विधायक बनने की उम्मीद नहीं है. भुजबल ने कहा कि मैं अब भी मुंबई क्षेत्र का अध्यक्ष हूं. जरूरी नहीं कि विधायक बनने की ही चाहत हो लेकिन नंदगांव में स्थिति भयावह है. इस जगह पर पंकज भुजबल ने 10 साल में जो काम किया था, उसे बर्बाद कर दिया. नंदगांव में पानी की बड़ी समस्या है.
भुजबल यहीं नहीं रूके. उन्होंने स्थानीय नेताओं पर आरोप जड़ते जुए कहा कि वर्तमान विधायकों ने यहां का माहौल भयावह बना दिया है. अगर कोई बोलने जाता है तो लोग कहते हैं कि चुपचाप बोलो. अब ऐसी भावना है कि नंदगांव को भयमुक्त बनाने के लिए चुनाव लड़ा जाना चाहिए. समीर ने कहा कि गठबंधन में किसी भी समस्या से बचने के लिए मैंने अपना इस्तीफा उप मुख्यमंत्री अजित पवार को भेज दिया है.
नंदगांव में सुहास कांडे से है मुकाबला
गठबंधन के तहत नासिक के नंदगाव-मनमाड़ विस सीट सीएम एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना को मिली है. शिवसेना ने वर्तमान विधायक विधायक सुहास कांडे को शिवसेना की ओर से उम्मीदवार घोषित किया गया है. हालांकि समीर भुजबल की दिलचस्पी इस सीट पर थी. चाचा एवं सरकार में मंत्री छगन भुजबल, जो खुद 1985 से विधायक हैं, उनके होते हुए भी खुद का टिकट कटना पूर्व सांसद को इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने अकेले ताल ठोकने का मन बना लिया. हालांकि अभी नामांकन वापसी में दो दिन का समय है लेकिन पूर्व सांसद होने के नाते इलाके में उनकी पकड़ है. ऐसे में उनका मैदान में खड़ा होना महायुति के समीकरण बिगाड़ सकता है.