बसपा के बागियों से अखिलेश की मुलाकात पर भड़कीं मायावती- BSP में डालेंगे फूट तो सपा में करा देंगे टूट

90 के दशक में शुरू हुई दोनों दलों की 'तकरार' अब एक बार फिर तेज हो गई है, सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं हैं- बसपा सुप्रीमो मायावती, बसपा से निष्कासित विधायक असलम राइनी ने किया अपना 'अलग दल' बनाने का दावा

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Politalks.News/UttarPradesh. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है. अखिलेश यादव की बसपा के छह बागी विधायकों की मुलाकात ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती का ‘पारा‘ चढ़ा दिया है. अब एक बार फिर से दोनों राजनीतिक दलों के बीच घमासान बढ़ता जा रहा है. बात को आगे बढ़ाने पहले बता दें कि सपा और बसपा में सियासी लड़ाई कोई नई नहीं है. 90 के दशक में शुरू हुई दोनों दलों की ‘तकरार‘ अब एक बार फिर तेज हो गई है.

बसपा सुप्रीमो मायावती और मुलायम के बीच शुरू हुई सियासी जंग अभी भी जारी है. अब बुआ मायावती और भतीजे अखिलेश यादव के बीच जंग शुरू हो चुकी है. लेकिन ‘साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बुआ-भतीजे ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, चुनाव के दौरान ऐसा माना जा रहा था कि दोनों दलों के बीच पुरानी दुश्मनी खत्म खत्म हो गई, लेकिन चुनाव परिणामों के बाद ही दोनों ने एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए एक बार फिर गठबंधन तोड़ दिया.

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बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को लोकसभा की 5 तो बसपा को 10 सीटों पर जीत मिली थी. जिसके बाद मायावती और अखिलेश अपनी-अपनी सीटें कम मिलने पर एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए फिर वहीं आ खड़े हुए, जहां वे पहले थे. यानी दोनों दलों की ‘राहें‘ एक बार फिर अलग-अलग हो गईं. अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सपा और बसपा तैयारियों में जुटे हुए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की मंगलवार को बसपा के बागी छह विधायकों से मुलाकात के बाद सूबे में सियासी पारा अचानक बढ़ गया है. सपा के इस सियासी दांव से बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को सीधे ही अखिलेश यादव को सख्त लहजे में चेतावनी देकर कहा कि अगर सपा हमारे बागी विधायकों को अपने पाले में करना चाहती है तो वह इसकी बड़ी भूल होगी. मायावती ने कहा कि अखिलेश के लिए बसपा में फूट महंगी पड़ेगी. मायावती ने आज नाराजगी जताते हुए सिलसिलेवार कई ट्वीट किए. मायावती ने आरोप लगाया है कि सपा यह प्रचारित कर रही है कि बीएसपी के कुछ विधायक टूटकर अखिलेश यादव की पार्टी के साथ जा रहे हैं, यह घोर छलावा है. मायावती ने आगे कहा कि सपा अगर इन निलंबित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती, क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के इन विधायकों को यदि लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं हैं.

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बसपा के छह बागी विधायक अखिलेश-मायावती के बीच तकरार की बने वजह
यहां हम आपको बता दें कि मंगलवार को बसपा के छह बागी विधायक अचानक सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे थे. बसपा के बागियों ने लखनऊ स्थित सपा कार्यालय में पूर्व सीएम अखिलेश यादव के साथ मुलाकात की. बसपा नेता बागी विधायक असलम राइनी के नेतृत्व में आधे घंटे तक ये मुलाकात हुई थी. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात करने वाले बागियों में असलम राइनी, असलम अली, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल, सुषमा पटेल और हरगोविंद भार्गव शामिल थे.

बता दें कि अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव के पहले बीएसपी के खेमे में सेंध लगाने की कोशिश की थी, उस दौरान मायावती ने बसपा के सात विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. हाल ही में बसपा प्रमुख मायावती ने अपने दो वरिष्ठ विधायकों, लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को पार्टी से निष्कासित कर दिया है.‌ बसपा से निष्कासित विधायक असलम राइनी ने मंगलवार को अखिलेश से मुलाकात के बाद ‘अलग दल‘ बनाने का भी दावा किया है. असलम ने कहा कि उनके साथ 11 विधायक हैं. कुछ ही दिनों में वे अपना अलग दल बनाने पर भी विचार करेंगे. नए दल के साथ सपा से गठबंधन पर विचार किया जा रहा है.

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हालांकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर अखिलेश ने अभी से साफ कर दिया है कि वो न तो कांग्रेस से गठबंधन करेंगे और न ही बीएसपी से. लेकिन सपा प्रमुख ने यह भी कहा है कि वह छोटे राजनीति दलों को साथ लेकर चुनाव लड़ सकते हैं. ‌सही मायने में अखिलेश यादव प्रदेश में भाजपा से सीधा मुकाबला करने के लिए तैयार हैं.

दूसरी ओर पिछले दिनों मायावती ने पंजाब में विधानसभा चुनाव को लेकर अपने पुराने सहयोगी अकाली दल के साथ गठबंधन किया है. लेकिन उत्तर प्रदेश में बसपा किसके साथ चुनाव लड़ेगी, मायावती ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं. आपको बता दें, कि साल 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में 403 में से 312 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी, सपा के खाते में 47, बसपा के हिस्से 19 और कांग्रेस के पास 7 सीटें गई थींं. प्रदेश में अब तक के सबसेे ज्यादा घाटे में बसपा रही है. पार्टी के 19 विधायकों में से 11 निष्कासित होने के बाद अब मायावती के पास केवल सात विधायक बचे हैं.

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