Border Dispute Between Maharashtra And Karnatak. महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच जारी सीमा विवाद अब धीरे धीरे चरम पर पहुंचता जा रहा है. दोनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है लेकिन दोनों ही राज्यों के सीएम आमने सामने हैं. महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा पर मौजूद बेलगावी को लेकर मुख्य घमासान जारी है. हाल ही महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि, ‘महाराष्ट्र का कोई गांव कर्नाटक में नहीं जाएगा. बेलगाम-कारवार-निपानी सहित मराठी भाषी गांवों के लिए हम कोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखेंगे.’ वहीं बसवराज बोम्मई ने फडणवीस के बयान को भड़काऊ बताते हुए कहा कि, ‘उनका ये सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा.’ दोनों राज्यों के दिग्गज नेताओं के आमने सामने के साथ ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने हद से आगे जाते हुए महाराष्ट्र में कर्नाटक मूल की सरकारी बसों पर काली स्याही से जय महाराष्ट्र लिख दिया. अब इस घटना के बाद सियासत का गरमाना तय है. वहीं ही विपक्षी नेता भी इस मुद्दे पर बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं.
क्या है कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद
सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि आखिर दोनों में चल रहा सीमा विवाद आखिर क्या है. महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीच में बेलगाम जिला जिसे बेलगावी भी कहा जाता है, भारत में सबसे बड़े अंतर-राज्यीय सीमा विवादों में से एक है. इसके अलावा खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार के क्षेत्र को लेकर भी दोनों राज्यों में विवाद चला था. इन क्षेत्रों में एक बड़ी आबादी मराठी और कन्नड़ भाषा बोलती है और लंबे समय से यह क्षेत्र विवाद का केंद्र रहा है. यह क्षेत्र 1956 में जब राज्यों का पुनर्गठन किया गया तब कर्नाटक के अधीन आए. इससे पहले ये बॉम्बे के अधीन थे, जिसे अब महाराष्ट्र कहा जाता है.
जब मामला बढ़ा तो केंद्र सरकार ने इसे सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया. मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. दोनों राज्यों के बीच विवाद उस समय तेज हुआ जब आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेलगाम या बेलगावी को महाराष्ट्र राज्य में मिलाने की अनुशंसा नहीं की जा सकती है और बेलगाम पर कर्नाटक के दावे को हरी झंडी दे दी.
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अब एक बार फिर ये मुद्दे उस वक़्त चर्चा में आ गया जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र के सांगली जिले के 40 गांवों पर अपना दावा ठोकने की बात कही. हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि, ‘एक भी गांव महाराष्ट्र से बाहर नहीं जाने देंगे. हम सीमा विवाद सुलझाना चाहते हैं न की बढ़ाना.’ लेकिन दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयान के सामने आने के बाद सियासत गरमा गई है. देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, ‘महाराष्ट्र का कोई गांव कर्नाटक में नहीं जाएगा! कर्नाटक में बेलगाम-कारवार-निपानी सहित मराठी भाषी गांवों को वापस पाने के लिए राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय में मजबूती से अपना पक्ष रखेगी.’ फडणवीस के इस बयान को बोम्मई ने भड़काऊ करार देते हुए कहा कि, ‘उनका (फडणवीस) सपना कभी पूरा नहीं होगा. हमारी सरकार हमारे राज्य की भूमि, जल और सीमाओं की रक्षा के लिए कटिबद्ध है.’
दोनों राज्यों के नेताओं के बीच जारी वाकयुद्ध का असर अब उनके समर्थकों पर देखने को मिल रहा है. मराठी समर्थक एक संगठन के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने महाराष्ट्र में कर्नाटक के स्वामित्व वाली बसों पर कथित तौर पर काली स्याही से ‘जय महाराष्ट्र’ जैसे नारे पेंट किए और बोम्मई के खिलाफ नारे लगाए. वहीं मुंबई के माहिम बस स्टॉप पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के पोस्टर पर काली स्याही भी फेंकी गई. इस तरफ की घटनाओं को बढ़ता देख कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि, ‘ऐसी घटनाएं राज्यों के बीच विभाजन पैदा करेंगी और इसलिए महाराष्ट्र को इस संबंध में तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए.’
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वहीं दोनों राज्यों के बीच जारी सीमा विवाद को लेकर अब विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है. शिवसेना अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलने का साहस नहीं है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के इस दावे के बाद यह विवाद पैदा हो गया है कि महाराष्ट्र के कई सीमावर्ती गांव कभी उनके राज्य का हिस्सा बनना चाहते थे. क्या हमने अपना साहस खो दिया है क्योंकि कर्नाटक के मुख्यमंत्री आसानी से महाराष्ट्र के गांवों पर दावा कर रहे हैं.’
वहीं राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि, ‘राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज के अपमान मामले से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद का मुद्दा उठाया गया है. इससे पहले कोश्यारी ने अपनी टिप्पणी से मराठी भाषी लोगों का अपमान किया था कि अगर गुजरातियों और मारवाड़ियों ने शहर छोड़ दिया तो मुंबई देश की वित्तीय राजधानी नहीं रहेगी. उस समय इस अपमान से ध्यान भटकाने के लिए मुझे गिरफ्तार कर लिया गया था.’