1977 में इंदिरा और 1997 में लालू की तरह गांधी परिवार पर ED की कार्रवाई कांग्रेस के लिए बड़ा मौका!

ईडी के सामने राहुल गांधी की पेशी से पहले और दौरान कांग्रेस ने जो प्रदर्शन किया उससे पार्टी के नेता उत्साहित हैं, उनको लग रहा है कि देश भर के कार्यकर्ताओं में इस प्रदर्शन से संदेश गया है और उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, कांग्रेस के नेता इसकी तुलना 1977 में चुनाव हारने के बाद इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के समय हुए आंदोलन और 1997 में लालू पर हुई सीबीआई की कार्रवाई से कर रहे हैं, पूरी लड़ाई में अकेली पड़ी कांग्रेस, बाकी विपक्ष ने बनाई दूरी

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Politalks.News/Congress/ED. बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से आज ED चौथी बार पूछताछ कर रही है. इससे पहले 13 से 15 जून लगातार तीन दिनों तक ED ने राहुल से पूछताछ की थी. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय यानी की पूछताछ 23 जून को होनी है, यहां बता दें कि अगर सोनिया की सेहत ठीक रही तो पूछताछ होगी नहीं तो आगे की कोई नई तारीख मिलेगी. इस बीच पिछले तीन दिन लगातार और आज हो रही राहुल गांधी से पूछताछ हुई दौरान कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. देश के 2 राज्यों में बची कांग्रेस के दोनों मुख्यमंत्री अपना राज-काज छोड़ कर दिल्ली में डेरा डाले रहे और लुटियन की दिल्ली से लेकर बदरपुर बॉर्डर तक भागदौड़ करते रहे.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीते सोमवार से बुधवार और खासकर पिछले सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के सामने राहुल गांधी की पेशी से पहले कांग्रेस ने जो प्रदर्शन किया उससे पार्टी के नेता उत्साहित हैं. उनको लग रहा है कि देश भर के कार्यकर्ताओं में इस प्रदर्शन से संदेश गया है और उनका आत्मविश्वास बढ़ा है. कांग्रेस के नेता इसकी तुलना 1977 में चुनाव हारने के बाद इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के समय हुए आंदोलन से कर रहे हैं. उनको लग रहा है कि इससे पार्टी की किस्मत बदल सकती है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि बीते तीनों दिन कांग्रेस का प्रदर्शन प्रभावशाली था. नई दिल्ली का इलाका छावनी बना था और जगह जगह कांग्रेस के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे.

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इसको देखते हुए पहले कांग्रेस ने तय किया कि 23 जून को सोनिया गांधी की पेशी से पहले इससे भी बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा. हालांकि कांग्रेस नेता सोनिया की पेशी को लेकर आशंकित हैं. कोरोना संक्रमित होने के बाद उनकी तबियत और बिगड़ी है, जिसकी वजह से उनको गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया. अगर वे ठीक भी हो जाती हैं तो पता नहीं इस स्थिति में होंगी या नहीं कि ईडी के सामने पेश हों और घंटों तक पूछताछ में शामिल हों. इसलिए कांग्रेस नेता अभी 23 जून की तैयारी नहीं कर रहे हैं. हो सकता है कि सोनिया गांधी की पेशी के लिए ईडी से और समय मांगा जाए. लकिन जब भी उनकी पेशी होगी तो कांग्रेस बड़ा प्रदर्शन करेगी.

अब सवाल यह है कि क्या ईडी की कार्रवाई कांग्रेस के लिए मौका है? कांग्रेस के कई नेता और यहां तक कि कांग्रेस विरोधी रहे बुद्धिजीवी व सामाजिक कार्यकर्ता भी इसे एक मौका मान रहे हैं. इसकी तुलना बिहार में लालू प्रसाद पर हुई कार्रवाई से की जा रही है. इसी तरह 1997 में लालू प्रसाद के पीछे सीबीआई पड़ी थी. लालू भी पूरे तामझाम के साथ पूछताछ के लिए पहुंचे थे और एक समय तो ऐसी स्थिति आई थी उनकी गिरफ्तारी से पहले तब के सीबीआई अधिकारी ने सेना बुलाने की पहल कर दी थी. उस पूरे ड्रामे के बाद आठ साल और लालू प्रसाद की पार्टी ने बिहार में राज किया. हालांकि राहुल अभी गिरफ्तार नहीं हुए हैं लेकिन तुलना कर रहे लोग गिरफ्तारी की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं.

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प्रशांत भूषण जैसे वकील और सामाजिक कार्यकर्ता ईडी की कार्रवाई की तुलना 1977 में हुई इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी से कर रहे हैं. उन्होंने ट्विट करके कहा कि जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी की जिद पकड़ी. तब प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण कानून मंत्री थे और उन्होंने इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने से मना किया था. लेकिन चरण सिंह की जिद के चलते इंदिरा गिरफ्तार हुईं और फिर वहीं से कांग्रेस की वापसी हुई. इसीलिए प्रशांत भूषण सहित कई लोग इस पूरे मामले को 1977 के चश्मे से देख रहे हैं.

आपको बता दें, यहां तक कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के सलाहकार रहे सुधींद्र कुलकर्णी ने इस मामले में राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा कि राजनीतिक बदले की भावना से की जा रही इस कार्रवाई के विरोध में वे राहुल के साथ हैं. उनको लग रहा है कि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के विरोध की यह निर्णायक लड़ाई है. इस तरह ज्यादातर जानकारों का मानना है कि नेहरू-गांधी परिवार के खिलाफ हो रही ईडी की कार्रवाई किसी न किसी तरह से कांग्रेस को और समूचे विपक्ष को फायदा पहुंचाएगा.

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यहां एक और महत्वपूर्ण बात काबिले-ए-गौर है कि सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ चल रही प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस अकेले लड़ रही है. लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने इस पर चुप्पी साधी है. यहां तक कि कांग्रेस की सहयोगी और यूपीए में शामिल पार्टियां भी इस पर कुछ नहीं बोल रही हैं. आमतौर पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के खिलाफ विपक्षी पार्टियां स्टैंड लेती हैं. एक-दूसरे का साथ देती हैं. लेकिन इस बार कोई कांग्रेस का साथ नहीं दे रहा है. इक्का-दुक्का नेताओं के छिटपुट बयान के अलावा कांग्रेस को कोई खास समर्थन नहीं मिला है. आपको याद दिला दें कि पिछले दिनों राजद नेता लालू प्रसाद और उनके परिवार के यहां सीबीआई का छापा पड़ा तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया था और केंद्र सरकार पर आरोप लगाए थे. लेकिन राहुल गांधी से हो रही पूछताछ में लालू का परिवार चुप है, खुद लालू ने भी कोई बयान नहीं दिया है.

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