ऊंटगाड़ियों में बाजरा भर किसानों के साथ सिविल लाइंस पहुंचे किरोड़ी, इंटेलीजेंस फिर हुई फेल!

प्रदेश के सबसे बड़े 'आंदोलनकारी' के आगे पुलिस इंटेलिजेंस फिर फेल! अबकी बार ऊंटगाड़ी पर बाजरा लाद पहुंचे सिविल लाइंस, सैंकड़ों की संख्या में पहुंचे किसानों के साथ दिया धरना, बाजरी की MSP पर खरीद शुरू करने की मांग, किरोड़ी ने गहलोत सरकार और कांग्रेस पर जमकर कसे तंज

'बाबा' के आगे पुलिस इंटेलिजेंस फिर फेल!
'बाबा' के आगे पुलिस इंटेलिजेंस फिर फेल!

Politalks.News/Rajasthan. राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा आज एक बार फिर एक्शन में नजर आए. प्रदेश में बाजरे की एमएसपी पर खरीद की मांग को लेकर किरोड़ी मीणा ने आंदोलन का झंडा बुलंद किया है. किरोड़ी मीणा आज एक बार फिर जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की इंटेलिजेंस को धता बताकर अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ सिविल लाइंस फाटक पहुंच गए और धरना दिया. इस बार किरोड़ी मीणा ऊंटगाड़ियों में बाजरे की बोरियां लादकर पहुंचे थे. सिविल लाइंस फाटक पर बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ पहुंचे किरोड़ी ने सोशल मीडिया पर ऐलान किया कि, ‘प्रदेश में बाजरे की एमएसपी पर खरीद को लेकर मैं अन्नदाताओं के साथ सिविल लाइन फाटक पर धरने पर बैठा हूं’. इसके बाद जयपुर पुलिस की नींद टूटी और यहां पुलिस जाब्ता लगाया गया. इससे पहले भी किरोड़ी मीणा कई बार पुलिस इंटेलीजेंस के दावों की पोल खोल चुके हैं. आमागढ़ मामला हो या शंभू पुजारी के शव को साथ लेकर सिविल लाइंस पहुंचने का मामला हो. ठीक उसी तरह आज भी पुलिस को कानों कान खबर नहीं लगी. सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास तो किरोड़ी मीणा को प्रदेश का सबसे बड़ा आंदोलनकारी बता ही चुके हैं.

ऊंट गाड़ी में पहुंचे किसान, किरोड़ी भी दिखे देशी वेशभूषा में
किरोड़ी लाल मीणा के साथ जयपुर सहित आसपास के बड़ी संख्या में किसान सिविल लाइंस फाटक पहुंचे. कुछ किसानों ने ऊंट गाड़ी में बाजरे की बोरियां लाद रखी थी. इसी दौरान किरोड़ी मीणा भी तमाम सुरक्षा चक्र को धता बताते हुए किसान की वेशभूषा में धरना स्थल पर पहुंच गए. किरोड़ी को अचानक धरना स्थल पर देखकर पुलिस और प्रशासन अति सक्रिय हो गया. यहां किरोड़ी ने किसानों को संबोधित किया और सरकार पर जमकर प्रहार किए. बाद में किसानों ने धरना स्थल पर बाजरे की बाल की होली जलाते हुए सरकार को अपनी मजबूरी जाहिर की.

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मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
अपने समर्थकों के साथ सिविल लाइंस फाटक पर धरना देने पहुंचे राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी मीणा ने बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP ) पर शीघ्र खरीद प्रारंभ कराने के संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम मीणा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन सौंपा. किरोड़ी मीणा ने कहा है कि, ‘राज्य में बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने से प्रदेश का किसान बेबस और परेशान हैं. बुवाई और उपज में देश में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रखने के बावजूद प्रदेश का किसान लागत से कहीं कम में उपज बेचने के लिए मजबूर हैं. यदि किसानों की आवाज को अनसुना किया गया तो आने वाले समय में सरकार के लिए यह मुसीबत बनेगी’.

राजस्थान सबसे बड़ा उत्पादक, लेकिन अब तक शुरू नहीं हुई MSP पर खरीद- किरोड़ी
राज्यसभा सांसद किरोड़ी मीणा ने किसानों का पक्ष रखते हुए कहा कि, ‘एक और देश मोटे अनाज को लोकप्रिय बनाने के लिए विश्वभर में पैरवी कर रहा है दूसरी तरफ प्रदेश में किसानों का बुरा हाल है. भारत में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए 2018 को नेशनल ईयर ओफ़ मिलेट्स के रूप में मनाया था. राजस्थान बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक प्रदेश है जो देश में कुल बाजरे का आधा उत्पादन करता है. लेकिन राज्य सरकार ने अब तक एमएसपी पर इस फसल की खरीद शुरू नहीं की है. बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने के कारण प्रदेश के किसान परेशान है ‌. किसानों का कहना है कि ‘MSP पर खरीद नहीं होने से उन्हें प्रति क्विंटल ₹900 से ₹1000 तक का नुकसान हो रहा है’.

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‘किसानों को हो रहा है भारी नुकसान’
डॉ. किरोड़ी मीणा ने पड़ोसी राज्य हरियाणा का हवाला देते हुए कहा कि, ‘वहां न केवल MSP पर बाजरे की खरीद हो रही है, बल्कि बाजरा उत्पादक किसानों को मूल अंतर भी दिया जा रहा है. बाजरे का एमएसपी ₹2250 है और बाजरे की खेती में लागत 1549 रुपये प्रति क्विंटल है. किसानों को उनकी उपज के लिए 1100 ₹ से 1300 ₹ ही मिल रहा है. इस तरह एमएसपी की तुलना में नुक़सान लगभग ₹1000 प्रति क्विंटल है, अगर आप लागत को ध्यान में रखते हैं तो किसानों को ₹250 से ₹450 प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है. केंद्र सरकार बाजरे की खरीद के लिए तैयार है लेकिन राज्य सरकार सहमति पत्र नहीं भेज रही है और प्रदेश के हजारों लाखों किसान अपने बाजरे को औने पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर हैं’.

बाजरे को PDS में शामिल करने की रखी मांग
डॉ. किरोड़ी मीणा ने कहा कि, ‘पिछले साल तक राजस्थान के किसान बाजरे की फसल बेचने के लिए हरियाणा जाते थे लेकिन इस साल हाल ही में नीति में बदलाव के बाद बाहरी किसान हरियाणा में अपनी फसल नहीं बेच सकते है. राजस्थान बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक प्रदेश होने के बावजूद राजस्थान सरकार इसे खरीदने में इच्छुक नहीं है क्योंकि यह PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली ) में शामिल नहीं है. केंद्र सरकार ने खरीफ वर्ष 2020 -21 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद किए जाने के लिए फ़सलों को अधिसूचित किया था लेकिन राज्य सरकार ने बंपर पैदावार के बावजूद बाजरे की खरीद प्रारंभ नहीं की. जबकि यह फसल समूचे राजस्थान में बहुतायत में उगाई जाती है जिन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद प्रारंभ करने के निर्देश दिए गए हैं उनके स्थाई खरीद केंद्र भी स्थापित नहीं किए गए हैं’.

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किरोड़ी मीणा की प्रमुख मांगें-
1. जब केंद्र ने बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित कर दिया है तो राज्य सरकार स्थाई खरीद केंद्र खोलकर बाजरे की खरीद अभिलंब प्रारंभ करें. हरियाणा की तर्ज पर भावांतर योजना लागू की जाए.
2. किसान को बाजार में लागत मूल्य तक नहीं मिल पा रही है. स्थाई समाधान की दृष्टि से राज्य सरकार कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन कर बाजरे की नीलामी बोली न्यूनतम समर्थन मूल्य से प्रारंभ करने का प्रावधान करें.
3. राजस्थान में बाजरा सबसे ज्यादा पैदा किया जाता है तथा बहुत स्वास्थ्यवर्धक है अतः राज्य सरकार बाजरे को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस ) में शामिल किया जाए.

 

 

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