Politalks.News/Rajasthan. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जयपुर में चल रही विपश्यना (तपस्या) बुधवार को पूरी हो गई. केजरीवाल 10 दिन साधना करने के बाद बुधवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गए. केजरीवाल को विपश्यना केन्द्र के पदाधिकारियों ने विदाई दी. उन्हें विदा करने के लिए केंद्र के कई साधक बाहर तक आए. इस दौरान केजरीवाल ने केंद्र में की साधना की रसीद भी कटाई. अपनी विपश्यना पूरी कर मु्ख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली के लिए रवाना हो गए. एयरपोर्ट पर फ्लाइट का इंतजार करते समय भी केजरीवाल ने किसी से बात नहीं की. करीब एक घंटे तक केजरीवाल अकेले ही बैठे रहे.
तपस्या या आने वाले चुनावों के लिए खुद को किया फिट!
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जयपुर स्थित विपश्यना केंद्र में साधना पूरी कर ली है. माना जा रहा है कि नजदीक आ रहे 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ-साथ दिल्ली नगर निगम चुनाव में होने वाली भागदौड़ को देखते हुए अपने को वह फिट कर दिल्ली लौट आए हैं. इस बीच केजरीवाल की इस साधना को लेकर विपक्ष चिंतित है. सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि जब-जब अरविंद केजरीवाल साधना कर वापस लौटे हैं, वह और अधिक आक्रामक हुए हैं. ऐसे में पूरी संभावना है कि इस बार भी उनका रुख कुछ ऐसा ही रह सकता है. यहां सबसे बड़ा मुद्दा आम आदमी पार्टी का दिल्ली नगर निगम चुनाव के साथ-साथ पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व गोवा आदि में बेहतर ढंग से चुनाव लड़ने का है. AAP सत्ता में काबिज होने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. ऐसे में विपक्षी दल आप को हर मोर्चे पर घेर रहे हैं.
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पिछले 10 दिनों से देश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जयपुर शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर गलता घाटी के विपश्यना ध्यान केंद्र (धम्म स्थली) में थे. इस विपश्यना केन्द्र में आम लोगों का प्रवेश नहीं है. सिर्फ साधक और साधना केंद्र से जुड़े सेवक ही विपश्यना केंद्र में जा सकते हैं. विपश्यना केंद्र से बाहर आने के बाद लोगों ने केजरीवाल के साथ फोटो भी खिंचवाई. हालांकि, केजरीवाल ने इस दौरान किसी से बात नहीं की. वे सभी का अभिवादन स्वीकार कर दिल्ली के लिए रवाना हो गए.
केजरीवाल के विपश्यना केन्द्र में 10 दिन
आपको बता दें कि विपश्यना बहुत प्राचीन ध्यान पद्धति है. साधक नीलम चंद मुणोत ने बताया कि, ‘10 से 11 दिन की साधना के दौरान मौन व्रत का पालन करना होता है. एक कमरे में एक व्यक्ति को रहना होता है, यानी अकेला जीवन, खुद के लिए जीवन जीना होता है. परंपरागत जीवन से खुद को अलग करने के प्रयास में लीन होना होता है. दिल्ली के सीएम केजरीवाल भी इसी तरह की तपस्या से गुजरे हैं. साधना केंद्र के नियमों के अनुसार, अरविंद केजरीवाल रोजाना सुबह 4 बजे तक उठ जाते थे. इसके बाद 6 बजे तक तय समय पर साधना कक्ष आ जाते थे. साधना के बाद स्नान और नाश्ता करने का नियम होता है. फिर सुबह 7 बजे से 7: 30 बजे तक साधना कक्ष में पहुंचकर अरविंद केजरीवाल फिर ध्यान करते थे. इसके बाद दोपहर 12:30 से 2 बजे के बीच लंच करने थे. लंच करने के बाद फिर विपश्यना व साधना होती थी. इसके बाद रात 9 बजे आराम मिलता था. खाना खाने के बाद सो जाते थे.
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क्या है विपश्यना साधना
विपश्यना की ध्यान-विधि एक ऐसा सरल और कारगर उपाय है, जिससे मन को वास्तविक शांति प्राप्त होती है और एक सुखी, उपयोगी जीवन बिताना संभव हो जाता है. विपश्यना का अभिप्राय है, जो वस्तु सचमुच जैसी हो, उसे उसी प्रकार जान लेना. आत्म-निरीक्षण द्वारा मन को निर्मल करते-करते ऐसा होने ही लगता है. हम अपने अनुभव से जानते हैं कि हमारा मानस कभी विचलित हो जाता है, कभी हताश, कभी असंतुलित. इस कारण जब हम व्यथित हो उठते हैं, तब अपनी व्यथा अपने तक सीमित नहीं रखते, दूसरों से बांटने लगते हैं. विपश्यना हमें इस योग्य बनाती है कि हम अपने भीतर शांति और सामंजस्य का अनुभव कर सकें. यह चित्त को निर्मल बनाती है. यह चित्त की व्याकुलता और इसके कारणों को दूर करती जाती है. यदि कोई इसका अभ्यास करता रहे तो कदम-कदम आगे बढ़ता हुआ अपने मानस को विकारों से पूरी तरह मुक्त करके नितान्त विमुक्त अवस्था का साक्षात्कार कर सकता है.