कर्नाटक में सियासी ड्रामा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. धीरे-धीरे जेडीएस-कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार के सभी सैनिक रण छोड़ भाग खड़े हुए हैं या फिर सुरक्षित ठिकाना तलाश रहे हैं. मई, 2018 में सत्ता की कमान मिलने से अब तक इस मिलीजुली सरकार की राह कभी भी आसान नहीं रही. एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप तो चलते ही रहे लेकिन अब हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि एक झटका और सरकार ढेर. अब सभी की नजरें मंगलवार पर टिकी हुई हैं. कल जैसे ही विधानसभा सदन खुलेगा, सरकार के भविष्य का फैसला हो जाएगा.

दरअसल शनिवार को सरकार के 13 विधायकों ने एक साथ विधानसभा सचिव को अपना त्यागपत्र सौंप दिया. इनमें 10 विधायक कांग्रेस और 3 जेडीएस के हैं. विधानसभा स्पीकर के.आर. रमेश कुमार की अनुपस्थिति में अभी तक ये त्यागपत्र स्वीकार नहीं हुए हैं. आज स्पीकर कार्यालय बंद होने से मंगलवार तक परिणाम नहीं आएंगे लेकिन जब आएंगे, सारी स्थिति पल भर में साफ हो जाएगी.

अगर ये सभी इस्तीफे स्वीकार होते हैं जिसकी संभावना काफी ज्यादा है तो ऐसे में निर्दलीय विधायक नागेश जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन और बीजेपी के बीच की मुकाबले की अहम कड़ी साबित होंगे. 9 जुलाई को कर्नाटक की सियासी गणित कुछ इस प्रकार बैठेगी कि कर्नाटक विधानसभा में कुल 225 सदस्य होते हैं, इनमें एक सदस्य मनोनीत होता है. मई, 2018 में कुल 224 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए थे. बीजेपी को 105, कांग्रेस को 79, जेडीएस को 37 सीटें मिली थी. 2 निर्दलीय और एक सीट बसपा के खाते में गई थी. बाद में एक निर्दलीय विधायक ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. बाकी एक निर्दलीय विधायक और बसपा विधायक ने गठबंधन को समर्थन दिया जिससे गठबंधन सरकार के विधायकों की संख्या 119 हो गई. इसमें एक विधायक विधानसभा अध्यक्ष पद पर नियुक्त है. इस तरह कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार 118 विधायकों (कांग्रेस-79, जेडीएस-37, निर्दलीय-1, बीएसपी-1) के समर्थन से चल रही थी.

इन 13 विधायकों के इस्तीफों के बाद विधानसभा सदस्यों की संख्या 224 से घटकर 211 रह जाएगी. इनमें एक सीट स्पीकर की है. यानी अगर इन सभी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होते हैं तो बहुमत का हिसाब 210 सीटों पर लगाया जाएगा और किसी भी पार्टी को सरकार में रहने के लिए 106 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी.

अब 13 विधायकों के इस्तीफे देने के बाद अब जेडीएस और कांग्रेस दोनों पार्टियों के पास कुल 104 विधायक शेष हैं. बसपा का समर्थन अभी भी पार्टी को प्राप्त है. ऐसे में गठबंधन विधायकों की संख्या 105 हो जाती है जो समर्थन से एक विधायक दूर है. बीजेपी के पास भी इतने ही विधायक हैं. ऐसे में जब कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार दोनों पार्टियों को बहुमत पेश करने को कहेंगे तो उस समय निर्दलीय विधायक नागेश की भूमिका अहम हो जाएगी.

बीजेपी और गठबंधन दोनों को ही बहुमत के लिए केवल एक विधायक की जरूरत होगी. ऐसे में नागेश जिस भी पार्टी को समर्थन देंगे, सरकार उसी की बनना निश्चित है. मौजूदा हालातों को देखते हुए तो कहा जा सकता है कि प्रदेश में सरकार बीजेपी की बनती ​दिख रही है क्योंकि नागेश ने राज्यपाल को एक ​खत लिखकर कांग्रेस समर्थन को वापिस लेने की बात कही है. अगर ऐसा होता है तो गठबंधन सरकार का गिरना तय है.

हालांकि यह तो निश्चित है कि नागेश जिस भी तरफ जाएंगे, उनका मंत्री बनना पक्का है. अब सबसे पहले देखना तो यह होगा कि विधानसभा अध्यक्ष इन सभी विधायकों के इस्तीफे मंजूर करेंगे या नहीं. उसके बाद अगर बहुमत साबित करने की नौबत आती है तो यह दिलचस्प होगा विधायक नागेश ‘हाथ’ पकड़ते हैं या फिर ‘कमल’ की ओट में जाते हैं.

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