वीरांगनाओं के मामले में हाई पावर कमेटी का गठन कर मांगों का सकारात्मक हल निकाले केंद्र- बेनीवाल

सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में उठाया जयपुर में धरना दे चुकी तीनों वीरांगनाओं को न्याय का एक मामला, वहीं बेनीवाल द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीद का गारंटी कानून बनाने को लेकर पूछे गए सवाल पर संसद में सरकार का आया गोलमाल जवाब तो सांसद बेनीवाल ने कहा अपनी मंशा स्पष्ट करे सरकार

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Hanuman Beniwal in Loksabha: राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने मंगलवार को लोकसभा में नियम 377 के तहत केंद्र सरकार का ध्यान पुलवामा हमले में शहीद हुए जाबांजो की वीरांगनाओ द्वारा राजस्थान में किये जा रहे आन्दोलन की तरफ आकर्षित किया. सांसद बेनीवाल ने अपने प्रस्ताव में कहा कि पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों की वीरांगनाएँ अपनी विभिन्न मांगो को लेकर राजस्थान में आंदोलित है और राजस्थान के मुख्यमंत्री के आवास के सामने जब उन्होंने अपनी मांगो को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा जाहिर की तो राजस्थान पुलिस के अधिकारियो के निर्देश पर पुलिस कार्मिको ने उन वीरांगनाओ का न सिर्फ अपमान किया बल्कि उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया, जिसमे शहीद रोहिताश लाम्बा की वीरांगना मंजू जाट घायल भी हो गई थी. पुलिस की यह कार्यवाही पूर्ण रूप से अनुचित थी बावजूद इसके राज्य सरकार ने उन पुलिस कार्मिको और अधिकारीयों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है.

सांसद हनुमान बेनीवाल ने आगे कहा की अर्द्ध सैनिक बल केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं. ऐसे में देश के लिए शहादत देने वाले जाबांजो के परिवार का सम्मान करना, उनकी मांगो का सकारात्मक हल निकालना राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार का भी परम दायित्व बनता है. सांसद बेनीवाल ने कहा केंद्र सरकार अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों से जुड़े किसी भी मामले में निर्णय लेने में सक्षम है, ऐसे में शहीद वीरांगनाओ की अनुकम्पा नियुक्ति सहित अन्य मांगो का सकारात्मक हल केंद्र सरकार के स्तर से कैसे निकले उसके लिए एक हाई पावर कमेटी का गठन केन्द्रीय गृह मंत्रालय के स्तर से किया जाना चाहिए. फिर वहां मौके पर उस कमेटी को भेजना चाहिए और शहीदों की वीरांगनाओ के साथ वार्ता करनी चाहिए. इसके साथ ही सांसद बेनीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार को शहीद सैनिको को दिए जाने वाले पैकेज के अंतर्गत कोई नियम संसोधन करना पड़े अथवा कोई नया प्रावधान जोड़ना पड़े तो उसे जोड़ा जाये. साथ ही केन्द्रीय गृह मंत्रालय को राजस्थान सहित देश के सभी राज्यों में अर्द्ध सैनिक बलों में राष्ट्र की रक्षा करते हुए शहीद हुए सैनिकों के आश्रितों को देय पैकेज और परिलाभ की समीक्षा करके यह सुनश्चित करना चाहिए की कोई भी शहीद परिवार अपने हक़ के लिए आज भी भटक नहीं रहा हो.

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समर्थन मूल्य पर खरीद का गारंटी कानून बनाने को लेकर संसद में सरकार का गोलमाल जवाब, सरकार स्पष्ट करे अपनी मंशा
वहीं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल द्वारा फसल उत्पादन की लागत में वृद्धि और समर्थन मूल्य पर खरीद का गारंटी कानून बनाने से जुड़े सवाल का मंगलवार को लोक सभा में केंद्रीय कृषि एवम किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लिखित जवाब दिया. सांसद के मूल सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा की सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर संबंधित राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों के अभिमतों पर विचार करने के पश्चात बाइस अधिदेशित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है. 22 अधिदेशित फसलों में 14 खरीफ फसलें अर्थात धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी बीज, तिल, रामतिल,कपास तथा 6 रबी फसलें अर्थात गेहूं, जौ, चना,मसूर, तोरियां, एवम सरसों , कुसुंभ तथा दो वाणिज्यिक फसलें अर्थात पटसन एवम कोपरा शामिल है.

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इस तरह सांसद बेनीवाल द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीद का गारंटी कानून बनाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने समर्थन मूल्य तय करने से जुड़े मापदंड के संबंध में जानकारी दी लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीद का गारंटी कानून बनाने से जुड़े बिंदु पर कोई जवाब नही दिया. ऐसे में सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि सवाल का जवाब देखने के बाद लगता है की एक हजार से अधिक किसानों की शहादत के बाद किसान आंदोलन के दौरान हुए समझौते के अनुसार सरकार को समर्थन मूल्य पर खरीद का गारंटी कानून बनाने को लेकर चल रही प्रक्रिया की प्रगति और अपनी मंशा को स्पष्ट करने की जरूरत थी मगर सरकार ने गोलमाल जवाब दिया, जिससे यह जाहिर की केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से दूर भागना चाह रही है.

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