15 वर्षों से चाहे सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की, राजस्थान में गुर्जरों का आंदोलन रहा है चुनौती

आरक्षण की पहली मांग 2006 में उठी थी. हालांकि गुर्जर आंदोलन देशभर में सुर्खियों में 2007 में आया, तब आरक्षण आंदोलन उग्र हो गया था और पुलिस कार्रवाई में 23 मार्च को 26 लोग मारे गए थे, प्रदेश के 8 जिलों में तीन महीने के लिए रासुका लागू, सरकार-गुर्जरों के बीच समझौता नहीं हो पाया तो आंदोलन का अन्य राज्यों में पड़ेगा असर

गुर्जर आंदोलन
गुर्जर आंदोलन

Politalks.News/Rajasthan/Gurjar Movement. अभी दो महीने पहले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन पायलट की नाराजगी के चलते अपनी सरकार को बड़ी मुश्किल से बचा पाए थे. अब एक बार फिर मुख्यमंत्री गहलोत के लिए गुर्जरों के आंदोलन ने सिरदर्दी बढ़ा दी है. बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले बता दें कि राजस्थान में गुर्जरों का आंदोलन कोई नया नहीं है. आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर समाज के चलाए जा रहे आंदोलन में चाहे भाजपा की सरकार हो या कांग्रेस की, सभी नतमस्तक होती हुई नजर आई है. अब एक बार फिर गुर्जरों ने आरक्षण की मांग को लेकर रविवार एक नवंबर से प्रदेश व्यापी आंदोलन करने का एलान कर दिया है.

गुर्जर आंदोलन को लेकर एक बार फिर सीएम अशोक गहलोत के लिए इनसे निपटने की चुनौती कम नहीं होगी. एक ओर जहां रविवार को जयपुर, कोटा और जोधपुर नगर निगम के दूसरे चरण के मतदान होने हैं तो दूसरी ओर गुर्जरों का आंदोलन भी पुलिस प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन चुका है. यहां हम आपको बता दें कि बीते 15 साल से राजस्थान में गुर्जर आरक्षण को लेकर आंदोलनरत हैं. आरक्षण के लिए गुर्जर आंदोलन का अपना इतिहास रहा है, आरक्षण की पहली मांग 2006 में उठी थी. हालांकि गुर्जर आंदोलन देशभर में सुर्खियों में 2007 में आया, तब आरक्षण आंदोलन उग्र हो गया था और पुलिस कार्रवाई में 23 मार्च को 26 लोग मारे गए थे. इस तरह अब तक छह बार बड़े स्तर पर गुर्जर आंदोलन कर चुके हैं. इन आंदोलनों में अब तक 72 लोग मारे जा चुके हैं. अभी भी गुर्जरों के मुताबिक उनकी मांग पूरी नहीं हुई. ऐसे में अब वर्ष 2020 में गुर्जर सातवीं बार आंदोलन की राह पर हैं.

राजस्थान सरकार भी एक्शन में, गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र में इंटरनेट सेवा की गई बंद-

एक नवंबर से गुर्जरों के आंदोलन को देखते हुए राजस्थान सरकार भी एक्शन में आ गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश के बाद गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया है. राजस्थान में गुर्जर बाहुल्य जिलों में करौली, भरतपुर, सवाई माधोपुर, दौसा और धौलपुर जिला शामिल है. इसके अलावा भीलवाड़ा और सीकर के कुछ इलाके भी गुर्जर समाज बाहुल्य है. आपको बता दें कि गुर्जर समाज की ओर से एमबीसी के तहत आरक्षण लागू करने की मांग की जा रही है. इधर गुर्जर समाज के लोगों का कहना है कि 2018 विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में प्रदेश की सरकार ने इसे लागू करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक सरकार अपना वादा नहीं कर पाई है. उल्लेखनीय है कि गुर्जर सहित पांच जातियों गाड़िया लुहार, बंजारा, रेबारी व राइका को एमबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) में पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण देने की बात सरकार की ओर से की गई थी.

प्रदेश के 8 जिलों में तीन महीने के लिए रासुका लागू

एक नवंबर से प्रस्तावित गुर्जर आंदोलन के मद्देनजर अशोक गहलोत सरकार ने राज्य के 8 जिलों में रासुका (एनएसए) लगा दिया है. गृह विभाग ने इस बाबत शनिवार को अधिसूचना जारी कर दी. अधिसूचना की तिथि से आगामी 3 महीने तक आदेश प्रभावी रहेगा. गृह विभाग के आदेश के बाद कोटा, बूंदी, झालावाड़, करौली, धौलपुर, भरतपुर, टोंक समेत अन्य गुर्जर बाहुल्य जिलों के कलेक्टर्स को अतिरिक्त शक्तियां मिल गई हैं. 8 जिलों में रासुका लगाकर गहलोत सरकार ने एक तरह से वार्ता में शामिल नहीं हो रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला गुट पर शिकंजा कस दिया है. राज्य सरकार बैंसला गुट को वार्ता के लिए लगातार बुला रही है, लेकिन बैंसला गुट वार्ता नहीं कर रहा है. अब ऐसे में माना जा रहा है कि 1 नवंबर को यदि आंदोलन होता है तो सरकार बैंसला गुट के नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है.

हिरासत में लेने की शक्ति देता है रासुका

सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति देता है. सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ी कर रहा है तो वह उसे हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है. इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है.

सरकार-गुर्जरों के बीच समझौता नहीं हो पाया तो आंदोलन का अन्य राज्यों में पड़ेगा असर–

राजस्थान सरकार और गुर्जरों के बीच आज अगर समझौता नहीं होता है तो कल से आंदोलन शुरू हो जाएगा. गुर्जरों के आंदोलन से राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में असर देखने को मिलता है. एक बार फिर आंदोलन की शुरुआत भरतपुर जिले से की जाएगी. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर स्थित पीलूपुरा में जाम किया जाएगा तो अन्य नेता दौसा में आगरा-बीकानेर राजमार्ग पर जाम करेंगे.

बता दें कि कई दिनों से राजस्थान सरकार के आला अधिकारी आंदोलन को टालने के लिए गुर्जर समाज के बड़े नेताओं से मिल रहे हैं, लेकिन बात बन नहीं पाई. वहीं गुर्जर नेता किरोडी बैंसला ने राजस्थान सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अब वह बातचीत करने के मूड में नहीं है. इधर सरकार भी गुर्जर आंदोलन को देखते हुए आक्रामक है. दूसरी ओर पंजाब में केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के कारण इंडस्ट्री भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है. किसान यात्री ट्रेनों के लिए ट्रेक खाली न करने पर अड़े हैं.

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