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इसी साल हुए आम चुनाव और बीते कुछ महीनों में हुए हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे बड़े प्रदेशों में हुए विधानसभा चुनावों में विपक्ष का इंडिया गठबंधन पूरी तरह तहस नहस होते हुए नजर आया. पश्चिम बंगाल में भी गठबंधन में होने के बावजूद ममता की तृणमूल और कांग्रेस दोनों ने अलग अलग चुनाव लड़ा. हालांकि यहां ममता ने बढ़त जरूर बनाई लेकिन कुछ सीटों का नुकसान जरूर उठाना पड़ा. यहां तक कि कांग्रेस के कई दशकों से चुनाव जीत रहे अधीर रंजन चौधरी तक चुनाव हार गए. पिछली लोकसभा में चौधरी नेता प्रतिपक्ष रहे थे. अब अगर मोदी सरकार या भारतीय जनता पार्टी से एक होकर मुकाबला करना है या गठबंधन को जिंदा रखना है तो कांग्रेस को गठबंधन की अगुवाई छोड़नी होगी. कांग्रेस की जगह बंगाल सीएम ममता बनर्जी या किसी अन्य को गठबंधन को लीड करना होगा.

कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद मणिशंकर अय्यर ने इस तरह का बड़ा एवं गहरा सुझाव गठबंधन के नेताओं को दिया है. एक अंग्रेजी मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस I.N.D.I.A की अगुआई का न सोचे. ये क्षमता ममता बनर्जी में है. दूसरे नेता भी हैं, जो गठबंधन को लीड कर सकते हैं. जो भी इसकी अगुआई करना चाहे, उसे करने देना चाहिए.

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 हालांकि मणिशंकर अय्यर ने आगे कहा​ कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि विपक्षी गठबंधन को कौन लीड करता है. वजह यह कि कांग्रेस और उनके नेताओं का स्थान हमेशा ही अहम रहेगा. जरूरी नहीं कि वो अकेली अहम पार्टी हो. वह विपक्षी गठबंधन में अहम पार्टी रहेगी. कांग्रेस नेता ने ये भी कहा, ‘मुझे लगता है कि राहुल गांधी को उससे ज्यादा ही रिस्पेक्ट मिलेगी, जितना उन्हें अलायंस के अध्यक्ष रहने पर मिलती.’

 याद दिला दें कि हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव के बाद बंगाल सीएम व तृणमूल कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने गठबंधन को लीड करने की इच्छा जताई थी. उन्होंने कहा था कि बीजेपी की सरकार के खिलाफ विपक्ष में सभी को साथ लेकर चलना होगा. अगर मुझे जिम्मेदारी दी जाती है तो मैं इसे सही तरह से चलाने की कोशिश करूंगी. मैं बंगाल के बाहर नहीं जाना चाहती, लेकिन मैं विपक्षी गठबंधन को यहां से चला सकती हूं.

 जिस तरह से कांग्रेस को बीते कुछ चुनावों में लहर के बावजूद मुंह की खानी पड़ी है, पार्टी को इस संबंध में नए स्तर पर विचार करना होगा. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में तीन बड़ी पार्टियों एवं गठबंधन से जुड़ी अन्य स्थानीय पार्टियों के बावजूद पूरा महाविकास अघाड़ी 50 के अंदर सिमट गया. उसके बाद सपा गठबंधन से अलग हो गयी. आम चुनाव साथ में लड़ने के बाद आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की सभी सीटों पर अलग उम्मीदवार उतारे और शायद यही कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह भी बना. ऐसी परिस्थितियों में मणिशंकर अय्यर का यह सुझाव विचार करने योग्य है.

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