पॉलिटॉक्स न्यूज/कर्नाटक-मध्यप्रदेश. मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की फ़िल्म का क्लाइमेक्स जल्द ही होने वाला है. शुक्रवार शाम ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल लालजी टंडन से मिलकर फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की. दोनों नेताओं ने राज्यपाल लालजी टंडन से कहा कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. वहीं, सिंधिया के बीजेपी में जाने और 22 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफा देने के बाद कमलनाथ सरकार का गिरना तय है लेकिन अभी भी कईयों को कमलनाथ मैजिक पर पूरा भरोसा और प्रदेश में किसी चमत्कार की उम्मीद की जा रही है. वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ की पूरी उम्मीदें केवल और केवल संकटमोचक डीके शिवकुमार पर टिकी हैं. ऐसे में अगर डीके शिवकुमार भी कुछ नहीं कर पाए तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस का खेल खत्म है. वहीं बैंगलुरू से लौटे जीतू पटवारी ने दावा किया कि पूरे 5 साल चलेगी हमारी सरकार.
बता दें, शुक्रवार को बैंगलुरू में बीजेपी की सेवाओं का लुफ्ट उठा रहे सिंधिया समर्थक कांग्रेस के बागी विधायक भोपाल के लिए निकले, एयरपोर्ट भी पहुंच गए लेकिन किसी आशंका के चलते एयरपोर्ट से ही वापस रिसोर्ट लौट गए. वहीं जयपुर में रुके कमलनाथ समर्थक कांग्रेस विधायक और गुरुग्राम में बीजेपी विधायकों के भी जल्द ही मध्य प्रदेश निकलने की संभावना है. वहीं एतिहात बरतते हुए भोपाल एयरपोर्ट पर धारा 144 लागू कर दी गई है.
इधर मुख्यमंत्री कमलनाथ भी भोपाल में बैठ अपनी सियासी गणित लगा रहे हैं. इसी कड़ी में सीएम कमलनाथ ने शुक्रवार को राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की और सिंधिया समर्थित 6 मंत्रियों को हटाने के संबंध में पत्र राज्यपाल को सौंपा. मुख्यमंत्री की सलाह को मानते हुए गवर्नर ने उक्त 6 मंत्रियों को हटाने पर सहमति प्रदान की. दूसरी और कांग्रेसी नेताओं के आत्मविश्वास को देखते हुए माना जा रहा है कि बैंगलुरू में डीके शिवकुमार या तो अपना काम कर चुके हैं या फिर पूरजोर से कर रहे हैं. अगर ये केवल कयास हैं तो कमलनाथ सरकार का गिरना आने वाले कुछ दिनों में तय है. ये भी बता दें कि बैंगलुरू से बागी विधायक एक बारगी तो रिसोर्ट से भोपाल के लिए निकल गए थे लेकिन ऐन वक्त पर सभी को एयरपोर्ट से वापिस रिसोर्ट में पहुंचा दिया गया.
वहीं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह दावा कर रहे हैं कि कमलनाथ सरकार सदन में बहुमत साबित करेगी और सदन के पटल पर कुछ ऐसा होगा कि सब हैरान रह जाएंगे. ऐसा कोई चमत्कार प्रदेश में होगा या नहीं, ये तो भविष्य के गर्भ में छिपा है लेकिन पार्टी के नेता बागियों से संपर्क साधने के सभी प्रयास कर रहे हैं. मप्र में सियासी संकट को हर संभव टालने के लिए ही आनन फानन में डीके शिवकुमार को कर्नाटक का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया गया. अगर बागी विधायकों को साधने का कोई काम कर सकता है तो वो इकलौते डीके शिवकुमार ही हैं.
वहीं बैंगलुरू से लौटे जीतू पटवारी ने कहा कि कांग्रेस के सभी बागी विधायक भी फ्लोर टेस्ट के दौरान पार्टी के पक्ष में ही रहेंगे. बीजेपी नेताओं के कमलनाथ सरकार के अल्पमत में आने के आरोपों को लेकर उन्होंने कहा, ‘बेंगलुरु जाने वाले विधायक बिके नहीं हैं. वे हमारे परिवार के सदस्य हैं. कांग्रेस के साथ आएंगे. अभी जब फ्लोर टेस्ट होगा, तब पता चलेगा कि बहुमत से ज्यादा बहुमत कांग्रेस के पास है. हमारी सरकार 5 साल तक चलेगी.’
उधर दिल्ली और हरियाणा में बैठे कुछ कांग्रेसी नेता गुरूग्राम के मानेसर के एक होटल में आराम फरमा रहे बीजेपी विधायकों में सेंध लगाने का प्रयास कर रहे हैं. अगर बीजेपी कांग्रेस में सेंध लगा सकती है तो यही संभावना बीजेपी में भी देखी जा सकती है. हालांकि इसकी संभावना क्षणभर है. बीजेपी के छुटकभर नेता जो पार्टी से नाराज हैं या मंत्री बनने की लालसा मन में दाबे बैठे हैं, उन्होंने अंतिम समय के लिए पत्ते बचाकर रखे हैं.
इसी बीच शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर मध्य प्रदेश में 16 मार्च को बीजेपी ने बहुमत साबित करने को लेकर राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है. वहीं, मध्य प्रदेश में बने राजनीतिक हालात को देखते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि 19 कांग्रेस के विधायक भाजपा के कब्जे में है. फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता, क्योंकि 19 विधायकों द्वारा प्रस्तुत इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए हैं. उन्हें शारीरिक रूप से अध्यक्ष के सामने आना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के विधायकों को भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक पुलिस के द्वारा बंधक बनाया हुआ है.
ये तो हुई सियासी गलियारों की बात लेकिन बहुमत साबित करने की बात तो जयपुर में बैठे कांग्रेसी विधायक भी बड़े आत्मविश्वास से कह रहे हैं. मप्र ही नहीं महाराष्ट्र और हरियाणा में भी ये बात जोरों शोरों से चल रही है कि कमलनाथ कोई न कोई चमत्कार करने में सफल साबित होंगे. ये कुछ ऐसा ही होगा जैसा हाल ही में महाराष्ट्र में हुआ. महाराष्ट्र में सब कयासों को पीछे छोड़ महाविकास अघाड़ी सरकार बनने की ओर अग्रसर थी. यहां भी एक बार तो ऐसा समय पलटा कि अजित पवार बीजेपी से जा मिले और आनन फानन में बीजेपी की सरकार बन गई. उसके बाद राकंपा प्रमुख शरद पवार का ‘पावर मैजिक’ पूरे देश ने देखा और फिर क्या हुआ, सब जानते हैं. ढाई दिन की सरकार चलने के बाद गिरी और फिर तीन पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई जिसकी दूर दूर तक कोई संभावना नहीं बन रही थी.
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अब मध्यप्रदेश में तो ऐसे किसी चमत्कार की कोई संभावना दूर दूर तक बन भी नहीं है कि सिंधिया कमलनाथ के अजित पवार बन जाएं और फिर से कांग्रेस की राह पकड़ लें. चलो इस दूर की कोड़ी को भी एक बार सच मान लेते लेकिन 26 मार्च को राज्यसभा चुनाव है और तब तक सिंधिया कहीं हिलने वाले नहीं हैं. उसके बाद तक तो एमपी में सब कुछ सेट हो चुका होगा और साथ ही सरकार की किस्मत का फैसला भी. हां, जैसा कि बीजेपी के बारे में प्रचलित है, वहां सिंधिया को वो महत्व और सम्मान नहीं मिल पाएगा जिसके कि आदी सिंधिया हैं. खैर..मप्र में जो कुछ भी होगा, कमलनाथ मैजिक होगा या नहीं, इस सब बातों से खुलासा आगामी एक सप्ताह में हर हाल में हो जाएगा.