Pilot targeted his own government: राजस्थान के पूर्व पीसीसी चीफ व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट आज विभिन्न मुद्दों पर पत्रकारों से रूबरू हुए. सचिन पायलट ने प्रदेश के मौजूदा ज्वलंत मुद्दे RTH बिल को लेकर पत्रकारों से कहा की RTH बिल को लेकर डॉक्टर्स व सरकार को बीच का रास्ता निकालना चाहिए, दोनों ही पक्षों को अड़ियल रुख नहीं रखना चाहिए. वहीं जयपुर ब्लास्ट मामले में दोषियों की रिहाई को दुखद बताते हुए पायलट ने नए सिरे से जांच की मांग की है, तो पार्टी में उनकी आगे की भूमिका पर कहा की मैंने अपने सुझाव वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं को दे दिए है, अब निर्णय आलाकमान को करना है. राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म को पायलट ने राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से की गई कार्रवाई बताया है.
डॉक्टर्स की बात सुनकर निकलना चाहिए रास्ता
सचिन पायलट ने अपने जयपुर स्थित सरकारी आवास पर पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा की पिछले 13 दिनों से प्रदेश में डॉक्टर्स की हड़ताल चल रही है. सरकार की मंशा है कि प्रदेश वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दे पाए. प्रदेश में जो हालात बने हुए हैं, उसे लेकर डॉक्टर्स की बात सुनकर सरकार को कोई ना कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जिससे जनता को कोई तकलीफ नहीं हो. पायलट ने आगे कहा कि प्रदेश भर में मरीजों को उपचार नहीं मिल रहा है. हम सभी की जिम्मेदारी बनती है की निजी डॉक्टर्स का रुख भी सुनना चाहिए. कोई ना कोई रास्ता ऐसा निकलना चाहिए, जिससे प्रदेशवासियों को कोई पीड़ा नहीं हो.
यह भी पढ़ें: राजनीतिक नियुक्तियों में हुई देरी की वजह है पार्टी का कोरोना- अब गहलोत के मंत्री जाट ने कसा पायलट पर तंज
जिम्मेदार लोगों की होनी चाहिए जांच
सचिन पायलट ने जयपुर बम ब्लास्ट कांड के आरोपियों को बरी करने के सवाल पर कहा कि यह बहुत बड़ा मुद्दा है. जयपुर ब्लास्ट में काफी लोगों की जान गई. आरोपियों को पकड़ा गया. इतने सालों निचली अदालत में केस चला. इस मामले पर गृह मंत्रालय को आत्मचिंतन करना चाहिए. दोषियों को सजा सुनाने के बाद कहा गया कि इन्वेस्टिगेशन ठीक से नहीं हो पाई. यह बहुत गंभीर समस्या है, इस पर जिम्मेदार लोगों की जांच होनी चाहिए. पायलट ने आगे कहा कि ब्लास्ट किसी ने तो किया ही होगा, निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई हुई है. सजा कम होना एक बात है, लेकिन पुख्ता सबूत नहीं होने की वजह से उन्हें रिहा कर दिया गया, यह बहुत बड़ा विषय है. इसके लिए जो भी जिम्मेदार है, उन पर जांच होनी चाहिए. सरकार को इस मामले में सबूत इकट्ठे करके दोबारा से पेश करने चाहिए.
सरकार को नहीं रखना चाहिए अपना रुख अड़ियल
पायलट ने कहा की प्रदेश भर में बहुत से जरूरतमंदों का इलाज नहीं हो रहा है. सरकार व डॉक्टर्स के बीच सार्थक रूप से चर्चा होगी तो सब कुछ संभव है. सरकार व स्वास्थ्य विभाग को अपना रुख अड़ियल नहीं रखना चाहिए. यह मामला बहुत मार्मिक है. प्रदेश के लाखों लोगों को यह प्रभावित करता है. इस बिल को लेकर समाधान निकलना चाहिए. पायलट ने आगे कहा कि डॉक्टर्स ने आज अपनी समस्याएं मुझे बताई है. मैं चाहता हूं कि सरकार व डॉक्टर्स दोनों बैठ कर बात करे, मुझे बहुत पीड़ा होती है, जिनको आज जरूरत है, उन्हें उपचार नहीं मिल पा रहा है. इस मामले को जल्द से जल्द बैठकर सुलझाना चाहिए. इस मामले का हल अगर देरी से निकलेगा तो इससे जनता को बहुत नुकसान होगा. पायलट ने कहा कि हम रूलिंग पार्टी है इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि इस मामले को बैठकर हमें सुलझाना चाहिए. प्रदेश के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. मैं डॉक्टर्स से अपील करता हूं कि सब बैठकर मिलकर बात करें, इसका रास्ता निकल सकता है.
यह भी पढ़ें: कर्नाटक में 9 चक्कर लगा चुका हूं, हम बनाने जा रहे पूर्ण बहुमत की सरकार – अमित शाह का दावा
प्रदेश, पार्टी, सरकार के बारे में मैंने दिए है सुझाव
पायलट ने आगामी चुनावों में उनकी पार्टी में भूमिका के सवाल पर कहा कि मेरी चर्चा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से हो रही है. हमारा काम हम लोग कर रहे हैं. मुझे प्रदेश, पार्टी, सरकार के बारे में जो सुझाव देने थे, मैंने पार्टी की वरिष्ठ नेताओं को अच्छी तरह से दिए है. पार्टी नेताओं ने उन सुझावों को स्वीकार भी किया है, कुछ कदम उठाए भी हैं. पायलट ने अपने बयान में कहा कि अंत में क्या निर्णय लेना है पार्टी के नेताओं को यह उन पर निर्भर करता है. हम चाहते हैं पिछले 20 साल से प्रदेश में एक बार कांग्रेस, एक बार बीजेपी की सरकार आ रही है, इसे समाप्त किया जाए. कांग्रेस की सरकार फिर से बन सकती है, इसके लिए मैंने कुछ सुझाव दिए हैं, उन सुझावों पर कितना अमल करेंगे, कब करेंगे, यह पार्टी लीडरशिप पर निर्भर करता है.
वरिष्ठ नेता देंगे जवाब
वहीं 25 सितंबर की आलाकमान के फैसले को चुनौती देने वाली घटना को लेकर पायलट ने कहा जो कुछ हुआ सब जनता के सामने हुआ है. इस मामले में को कार्रवाई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को करनी थी, वह उन्होंने की है, उसके बाद उसका परिणाम क्या हुआ या नहीं हुआ, इसका जवाब पार्टी के वरिष्ठ नेता देंगे.
राजनीतिक प्रतिशोध की भावना
पायलट ने राहुल गांधी को संसद सदस्यता से हटाए जाने के मामले पर कहा की सूरत कोर्ट का फैसला आने के 24 घंटे के अंदर राहुल गांधी को संसद की सदस्यता से हटा दिया गया. राहुल गांधी के आवास को खाली कराए जाने को लेकर नोटिस देना, यह राजनीतिक प्रतिशोध की भावना जताता है. इसका कारण है की राहुल गांधी लगातार अडानी के खिलाफ बोल रहे थे. संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है, इसी कारण कांग्रेस सड़क पर आंदोलन कर रही है. इस मामले को लिए सभी विपक्षी दल एक साथ आए है.