‘सरकार नहीं निकाल पा रही OBC विसंगतियों का समाधान, क्या इसमें भी भारी पड़ रही है ब्यूरोक्रेसी?’

सरकार के समक्ष ऐसी क्या मजबूरी है कि भाजपा की तानाशाही सरकार को उखाड़ फेंकने में अहम भूमिका निभाने वाले ओबीसी वर्ग के युवाओं के साथ हमारी सरकार में भी नहीं हो रहा न्याय, यह है बेहद गम्भीर और सोचनीय विषय- दिव्या मदेरणा ने सीएम को लिखा पत्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी मैं स्तब्ध हूँ आख़िर क्या चाहते हैं आप?- हरीश चौधरी

OBC आरक्षण को लेकर अब मदेरणा ने लिखा सीएम को पत्र
OBC आरक्षण को लेकर अब मदेरणा ने लिखा सीएम को पत्र

Divya Maderna wrote letter to CM Gehlot. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार जल्द ही चुनावी साल में प्रवेश करने जा रही है. यही कारण है कि सरकार अपनी योजनाओं एवं वादों को पूरा करने में जुटी हुई है लेकिन प्रदेश सरकार के लिए सबसे बड़ी मुसीबत जो बनकर बैठे हैं वो हैं सरकार के अपने नाराज मंत्री और विधायक और अन्य नेता. सरकारी महकमों में हावी होती अफसरशाही को लेकर ACR भरने का मुद्दा अभी शांत भी नहीं हुआ कि लंबे समय से चला आ रहा ओबीसी आरक्षण की विसंगति दूर करने का मुद्दा फिर से तूल पकड़ने लगा है. बीते रोज बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था लेकिन इस पर कोई महत्वपूर्ण चर्चा नहीं हो पाई. अब इसे लेकर प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री रहे हरीश चौधरी ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जवाब मांगा है तो वहीं ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने सीएम को पत्र लिख मामले के जल्द निस्तारण की मांग उठाई है. दिव्या मदेरणा ने पत्र में लिखा कि, ‘ओबीसी विसंगतियों का शीघ्र समाधान का आश्वासन देने के एक माह से ज़्यादा समय के बाद भी समाधान ना निकल पाना क्या दर्शाता हैं? क्या इसमें भी ब्यूरोक्रेसी भारी पड़ रही है?’

प्रदेश में लंबे समय से ओबीसी आरक्षण की विसंगति को लेकर चल रहा मामला फिर से तूल पकड़ने लगा है. राज्य में ओबीसी वर्ग को 21 फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं मिलने पर ओबीसी वर्ग से जुड़े हजारों युवा पिछले कई महीने से आंदोलनरत हैं. सरकार से वार्ता के बाद भी इस मुद्दे के समाधान ना होने को लेकर अब पूर्व मंत्री एवं बायतु विधायक हरीश चौधरी का गुस्सा फुट गया है. चौधरी ने ओबीसी आरक्षण में विसंगति के मामले में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कोई फैसला नहीं लिए जाने पर नाराजगी जताई है. हरीश चौधरी ने तल्ख़ अंदाज में ट्वीट करते हुए लिखा, ‘ओबीसी आरक्षण विसंगति मामले को कल कैबिनेट बैठक में रखने के बावजूद एक विचारधारा विशेष के द्वारा इसका विरोध चौंकाने वाला है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी मैं स्तब्ध हूँ आख़िर क्या चाहते हैं आप? मैं ओबीसी वर्ग को विश्वास दिलाता हूँ कि इस मामले को लेकर जो लड़ाई लड़नी पड़ेगी लड़ूँगा.’

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पूर्व मंत्री हरीश चौधरी के बाद अब ओसियां दिव्या मदेरणा ने भी इसी मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. दिव्या मदेरणा ने ट्वीट करते हुए पत्र की फोटो कॉपी शेयर करते हुए लिखा कि, ‘अशोक गहलोत जी एवं गोविंद सिंह डोटासरा जी द्वारा ओबीसी विसंगतियों का शीघ्र समाधान का आश्वासन देने के एक माह से ज़्यादा समय के बाद भी परिपत्र दिनांक 17 अप्रैल, 2018 को वापिस नहीं लेना क्या दर्शाता हैं? क्या इसमें भी ब्यूरोक्रेसी भारी पड़ रही है?’ वहीं अपने अगले ट्वीट में दिव्या मदेरणा ने लिखा कि, ‘ओबीसी युवा समझ नहीं पा रहे है कि सरकार के समक्ष ऐसी क्या मजबूरी रही कि दिनांक 09.11.2022 की कैबिनेट बैठक में उक्त मामले को मंजूरी नही मिल सकी. जबकि मुख्यमंत्री जी और पीसीसी चीफ दोनों स्वयं इसी ओबीसी वर्ग से आते है. सरकार तुरंत प्रभाव से परिपत्र दिनांक 17 अप्रैल, 2018 को वापिस ले.’

मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में दिव्या मदेरणा ने लिखा कि, ‘मैं आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहती है कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण की विसंगतियों को लेकर लंबे समय से युवाओं और जनप्रतिनिधियों द्वारा आवाज उठाई जा रही थी. इसी श्रंखला में दिनांक 30 सितंबर, 2022 को जयपुर में ओबीसी वर्ग द्वारा अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया गया, जिसमें सत्ता पक्ष के विधायकगण, पूर्व मंत्री, अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं हजारों युवा उपस्थित थे. जिसके ततपश्चात प्रदेश कांग्रेस गोविंद सिंह डोटासरा के नेतृत्व में सरकार के साथ वार्ता हुई. उसके बाद पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा था कि हमारी सरकार के साथ सकारात्मक चर्चा हुई है और मुख्यमंत्री जी ने परिपत्र 17 अप्रैल, 2018 को वापिस लेन पर सैद्धांतिक सहमति जताई है. 48 घण्टे के भीतर इसका निराकरण कर दिया जाएगा. उक्त वार्ता के बाद, आप द्वारा भी सोशल मीडिया के माध्यम से यह अवगत करवाया गया था कि इस सम्बन्ध में अधिकारियों को निर्देशित किया है और शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया गया था.’

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पत्र में दिव्या मदेरणा ने लिखा कि, ‘उक्त घटना के करीब डेढ़ माह का समय व्यतीत होने के बावजूद भी उक्त परिपत्र को वापिस नहीं लिया जा सका है. इससे भी बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि उक्त ओबीसी विसंगति मामले को कैबिनेट की बैठक में रखा गया परन्तु कैबिनेट द्वारा मंजूरी नहीं मिल पाई. आप और प्रदेशाध्यक्ष भी ओबीसी वर्ग से आते है एवं प्रदेश की सरकार में आधे से ज्यादा ज्यादा विधायक पिछड़े वर्ग से होने के बावजूद ओबीसी युवाओं की इस विशेष मांग का समाधान नहीं करवा पाना अपने आप में सरकार और ओबीसी के तमाम नेताओं पर प्रश्नचिन्ह लगाता है. सरकार की तरफ टकटकी लगाये बैठे प्रदेश के लाखों ओबीसी युवा यह समझ नहीं पा रहे हैं कि सरकार के समक्ष ऐसी क्या मजबूरी रही है कि अब तक परिपत्र दिनांक 17 अप्रैल, 2018 को वापिस नहीं लिया गया है और कैबिनेट द्वारा मंजूरी नहीं दी गई.’

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में दिव्या ने लिखा कि, ‘भाजपा की तानाशाही सरकार को उखाड़ फेंकने में अहम भूमिका निभाने वाले ओबीसी वर्ग के युवाओं के साथ हमारी सरकार में भी न्याय नहीं हुआ तो यह हम सभी के लिए बेहद गम्भीर और सोचनीय विषय है. प्रतियोगी परीक्षाओं में ओबीसी युवाओं की नियुक्तिया शुन्य हो रही है. जिससे कठिन मेहनत कर तैयारी करने वाले बेरोजगार युवा डिप्रेशन में जा रहे हैं. क्या इस मामले में भी ब्यूरोक्रेसी भरी पड़ रही है जिसकी वजह से प्रदेश के लाख ओबीसी युवाओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है. अतः आपसे अनुरोध है कि प्रदेश के लाखों ओबीसी युवाओं की इस मांग के सम्बन्ध अतिशीघ्र निर्णय लिया जाए.’

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