Jaipur Greator Nagar Nigam. राजस्थान में जयपुर ग्रेटर नगर निगम में मेयर पद के लिए आज हुई वोटिंग और उससे पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों द्वारा कराई पार्षदों की बाड़ेबंदी पर पानी फिर गया है. हुआ कुछ यूं कि मेयर पद के लिए BJP से रश्मि सैनी और कांग्रेस से हेमा सिंघानिया मैदान आमने सामने थी और दोनों ही प्रत्याशियों के चयन को लेकर मतदान भी पूर्ण हो गया लेकिन हाईकोर्ट के एक आदेश ने पार्टी प्रत्याशियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. ग्रेटर नगर निगम की बर्खास्त मेयर डॉ.सौम्या गुर्जर ने अपनी बर्खास्तगी के आदेश को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद आज जस्टिस महेंद्र गोयल ने सरकार के आदेश को रद्द कर दिया. इसके साथ ही हाईकोर्ट के आदेश के सामने आने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम के मेयर चुनाव की प्रक्रिया की काउंटिंग और रिजल्ट पर रोक लगा दी है.
गुरूवार को राजस्थान में उस वक़्त अजब सियासत के गजब रंग देखने को मिले जब जयपुर ग्रेटर नगर निगम मेयर के लिए मतदान की प्रक्रिया समाप्त हो गई और उसी वक़्त राजस्थान हाईकोर्ट के एक फैसले ने चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगा दी. यही नहीं कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार द्वारा निकाले गए पूर्व मेयर डॉ सौम्या गुर्जर के बर्खास्तगी के आदेश को भी रद्द कर दिया. इस दौरान जस्टिस महेंद्र गोयल ने कहा कि सरकार सौम्या गुर्जर को ज्युडिशियल जांच में सुनवाई के मौके देकर नए सिरे से आदेश जारी करे.’ वहीं कोर्ट के इस फैसले के सामने आने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने भी मेयर चुनाव की प्रक्रिया में उपयोग में ली गई सभी मतपेटियों को सील कर दिया है. साथ ही हाईकोर्ट के आगामी फैसले तक चुनाव परिणाम घोषित नहीं करने की बात कही है.’
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वहीं बात करें सौम्या गुर्जर की तो कोर्ट का आदेश उनके लिए बड़ी राहत लेकर आया है. सियासी जानकारों का मानना है कि हाईकोर्ट का ये आदेश सरकार के लिए झटका है. गौरतलब है कि सौम्या गुर्जर ने उन्हें बर्खास्त करने के सरकार के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. वहीं सियासी गलियारों में इस चर्चा ने भी जोर पकड़ लिया है कि जल्द ही डॉ सौम्या गुर्जर एक बार फिर मेयर का पद संभालने वाली है. वहीं इस पुरे घटनाक्रम पर बीजेपी के दिग्गज नेता एवं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि, ‘जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय का निर्णय ‘न्यायालय के घर देर हो सकती है लेकिन अंधेर कभी नहीं’ की तर्ज पर आया है एवं गहलोत सरकार की खोटी नीति और नीयत का पर्दाफाश हुआ है.’
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राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि, ‘राज्य सरकार ने नौकरशाही का बेजा इस्तेमाल करते हुए चुने हुए जनप्रतिनिधि तत्कालीन मेयर सौम्या गुर्जर को अपदस्थ करने के साथ ही 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की साजिश रची थी. माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय ने यह साबित कर दिया कि सरकार द्वारा विपक्षी पार्टी भाजपा के लोकतांत्रिक पद्धति से चुने हुए मेयर, जिला प्रमुख, सभापति व प्रधानों को किस तरह से अपदस्थ करने की साजिश नौकरशाही के दम पर रची जा रही है. माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय से राज्य सरकार द्वारा जयपुर ग्रेटर महापौर प्रकरण में की गई न्यायिक जांच भी संदेह के घेरे में आ गई है. माननीय उच्च न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक एवं स्वागत योग्य है तथा राज्य सरकार को इससे सबक लेकर विपक्ष के जनप्रतिनिधियों के लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन की कार्यशैली से बाज आना चाहिये.’