यूक्रेन जैसे संकट से हजारों स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में, होना चाहिए सकारात्मक फैसला- CM गहलोत

यूक्रेन संकट को लेकर CM गहलोत ने जताई चिंता, मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा- 'यूक्रेन संकट के कारण भारत लौटे हजारों विद्यार्थियों का भविष्य भी हो गया है अनिश्चित, ऐसे में इन बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए लिया जाना चाहिए सकारात्मक फैसला, फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम में भाषाई और पाठ्यक्रम संबंधी बदलावों के कारण अधिकांश बच्चे इस टेस्ट को नहीं कर पाते पास, मेडिकल प्रेक्टिस से हो जाते हैं वंचित, देश के ह्यूमन रिसोर्स की वैल्यू करता है कम और इन सभी को होता है आर्थिक नुकसान'

यूक्रेन संकट ने हमें विचार करने का दिया एक मौका- सीएम गहलोत
यूक्रेन संकट ने हमें विचार करने का दिया एक मौका- सीएम गहलोत

Politalks.News/Rajasthan. यूक्रेन और रूस (Russia-Ukraine crisis) के बीच 10वें दिन भी जंग जारी है. इसी बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को लेकर चिंता बनी हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस ने दो शहरों- मारियुपोल और वोल्नोवाखा में सीजफायर का ऐलान कर दिया है. यूक्रेन में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए सीजफायर का ऐलान हुआ है. यानी जब तक यहां फंसे हुए लोगों को निकाल नहीं लिया जाता, तब तक हमले नहीं किए जाएंगे. भारतीय समय के अनुसार दोपहर 12:30 बजे सीजफायर किया गया. वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने इस विषय पर चिंता जताते हुए कहा है कि, ‘यूक्रेन संकट के कारण भारत लौटे हजारों विद्यार्थियों का भविष्य (future of students) भी अनिश्चित हो गया है. ऐसे में इन बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक सकारात्मक फैसला लेना चाहिए‘.

‘देश के ह्यूम रिसोर्स की वैल्यू होती है कम
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि, ‘भारत के हजारों बच्चे पढ़ाई के लिए विदेशों में जाते हैं. इनमें से अधिकांश बच्चे मेडिकल की पढ़ाई के लिए चीन, नेपाल, यूक्रेन, रूस, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, बांग्लादेश इत्यादि देशों में जाते हैं क्योंकि यहां खर्च कम होता है परन्तु जब ये वहां से पढ़कर आते हैं तो इन्हें फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (FMGE) देना पड़ता है. वहां के भाषाई एवं पाठ्यक्रम संबंधी बदलावों के कारण अधिकांश बच्चे (80% से भी अधिक) इस टेस्ट को पास नहीं कर पाते हैं एवं मेडिकल प्रेक्टिस से भी वंचित होते हैं. ऐसे में ये देश के ह्यूमन रिसोर्स की वैल्यू कम करता है एवं इन सभी को आर्थिक नुकसान भी होता है’.

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यूक्रेन संकट ने हमें विचार करने का दिया एक मौका- सीएम गहलोत
सीएम गहलोत ने आगे कहा है कि, ‘यूक्रेन संकट ने हम सभी को विचार करने का एक मौका दिया है? कि क्यों ना केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देश में मेडिकल कॉलेजों एवं मेडिकल सीटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि करें. यूपीए सरकार ने Establishment of new medical colleges attached with existing district referral hospitals स्कीम के तहत हर जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने की स्कीम शुरू की थी, जो वर्तमान केंद्र सरकार के दौर में भी चल रही है’.

‘सरकारी और निजी क्षेत्र को अधिक से अधिक मेडिकल कॉलेज खोलने की छूट दी जाए

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि, ‘यूपीए सरकार के समय केंद्र एवं राज्य की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में थी, जिसमें अब राज्यों का अंश बढ़ाकर 60:40 कर दिया गया है लेकिन सभी राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर सोचना होगा कि क्या इतनी संख्या बढ़ाने के बाद भी ये मेडिकल सीटें पर्याप्त हैं? अभी हम एक जिले में एक मेडिकल कॉलेज को ही पर्याप्त मान रहे हैं? परन्तु हम इससे संतुष्ट नहीं रह सकते हैं. मेरा केंद्र सरकार को सुझाव है? कि MCI के नियमों में बदलाव किया जाए एवं सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों को अधिक से अधिक मेडिकल कॉलेज खोलने की छूट दी जाए’.

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‘केन्द्र सरकार को राज्यों से करनी चाहिए व्यापक चर्चा’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि, ‘भारत में अभी प्रति 1000 व्यक्ति पर औसतन 1 डॉक्टर है. इनमें से भी अधिकांश शहरों में स्थित हैं. वैश्विक संस्थाओं के मानकों के मुताबिक, प्रति 1000 व्यक्ति पर 4 डॉक्टर्स होने चाहिए. देश की जनसंख्या बढ़ने एवं भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण बन रही अन्य महामारियों की आशंका को देखते हुए भी हमें इस संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता है. इसके लिए देशभर में मेडिकल कॉलेजों का जाल बिछाने की आवश्यकता है. डॉ. देवी शेट्टी समेत कई एक्सपर्ट्स ने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया है. केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर सभी राज्यों के साथ एक व्यापक चर्चा करनी चाहिए जिससे हमारे बच्चों को भी पढ़ने के लिए दूसरे देशों में ना जाना पड़े. इससे हमारे देश का पैसा भी बचेगा एवं देश में मेडिकल व्यवस्थाएं भी सुधर सकेंगी’.

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