क्या किंगमेकर PK बनना चाहते हैं बिहार की सियासत के किंग? रहस्यमयी ट्वीट ने मचाया तहलका

राजनीति के रणनीतिकार प्रशांत किशोर बहुत जल्द कर सकते हैं अपनी नई पार्टी का गठन, बीजेपी का कहना है कि राजनीति में सेवा करना पड़ता है तो वहीं आरजेडी का कहना है कि रणनीति बनाना और राजनीति करना दोनों में है अंतर, उधर जेडीयू का कहना है कि लोगों में बनानी पड़ती है पहले पहचान

PK ने मचाई बिहार में खलबली
PK ने मचाई बिहार में खलबली

Politalk.News/PrashantKishore. बात अगर सियासी राज्य बिहार की करें तो यूं तो बिहार बहुत सी चीज़ों के लिए जाना जाता है लेकिन इनमें से भी कुछ खास चीजों की सूची तैयार करनी हो तो उसमें लिट्टी चोखा और बिहार की राजनीति का नाम ज़रूर दर्ज होगा. भिन्न भिन्न राजनीतिक दलों के लिए मजबूत रणनीति बना चुके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब किसी और के लिए रणनीति नहीं बनाएंगे. प्रशांत किशोर अब खुद की पार्टी के लिए रणनीति बनाएंगे. सोमवार को ट्वीट कर खुद प्रशांत किशोर ने इसके साफ़ संकेत दिए हैं. PK ने ट्वीट कर कहा कि, ‘अब जनता के बीच जाने का समय आ गया है. इसकी शुरुआत बिहार से होगी.’ वहीं PK के इस एलान के बाद बिहार की सियासत में खलबली मच गई है. PK के इस एलान के बाद बीजेपी, राजद और JDU प्रदेश के प्रमुख तीनों दलों की तरफ से अलग अलग प्रतिक्रिया सामने आ चुकी है.

सोमवार सुबह प्रशांत किशोर के ट्वीट के बाद ये सवाल उठने लगे थे कि, क्या प्रशांत किशोर अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाने की योजना बना रहे हैं? क्या किंगमेकर खुद किंग बनना चाहता है? चुनावी रणनीतिकार ने अपने गृह राज्य बिहार से एक नए शुरुआत की गुप्त घोषणा के साथ बिहार की राजनीति में तड़के ही पानी में लहर पैदा कर दी. प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘लोकतंत्र में एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीति को आकार देने में मदद करने के लिए मैंने उतार-चढ़ाव से भरी 10 साल की यात्रा का नेतृत्व किया, अब मैं अपने जीवन का नयाअध्याय शुरू कर रहा हूं, समय असली मालिक यानी जनता के पास जाने का है, लोगों से जुड़े मुद्दों और “जन सुराज” के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए, जनता का सुशासन लाने के लिए, शुरुआत बिहार से.’

यह घोषणा ट्विटर पर उनके बयान के एक हफ्ते के भीतर हुई है कि उन्होंने 2024 के आम चुनावों के लिए संगठन को मजबूत करने के लिए एक समूह में शामिल होने के कांग्रेस के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. किशोर बिहार की राजनीति में नए नहीं हैं, क्योंकि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल-यूनाइटेड के उपाध्यक्ष थे. किशोर रविवार शाम को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने वाले थे. जबकि वह नीतीश से नहीं मिले, किशोर का बिहार आगमन ऐसे समय में हुआ है जब सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा के बीच दरार स्पष्ट है. ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि एक सोची समझी रणनीति के तहत PK ने ये एलान किया है.

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PK के इस बयान के बाद से सियासी गलियारों में ये चर्चा शुरू हो चुकी है कि वह अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बिहार से करेंगे और दूसरा ये कि अगर वे एक नया दल बनाते हैं तो उसके नाम जन सुराज होगा. प्रशांत किशोर के इस एलान के बाद बिहार की सियासत में हलचल पैदा हो गई है. बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि, ‘प्रशांत किशोर अभी तक सभी पार्टियों के लिए रणनीति बनाते रहे हैं और उन्होंने सिर्फ मेवा खाने का काम किया है लेकिन राजनीति में सेवा करनी पड़ती है. पहले सेवा तब मेवा खाया जाता है. प्रशांत किशोर पहले जनता के बीच में जाएं, जनता में अपनी पहचान बनाएं. बिहार की जनता पहले उन्हें जाने कि प्रशांत किशोर कौन है.’

आपको बता दें कि प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के रिश्ते पुराने हैं. प्रशांत किशोर जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके है शायद यही कारण है कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरआत के लिए बिहार को चुना. PK के इस एलान को लेकर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि, ‘राजनीति में आने के लिए रोक-टोक नहीं है. कोई भी पार्टी बना सकता है, लेकिन रणनीतिकार रहना और खुद राजनीति करना दोनों में बहुतअंतर होता है. जनता के विश्वास को जीतना राजनीति का सबसे पहला अध्याय है जिसमें तेजस्वी आगे हो चले हैं. जनता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है. प्रशांत किशोर बिहार में आएं उनका स्वागत है, लेकिन बिहार में तेजस्वी यादव के अलावा जनता के पास कोई विकल्प नहीं है.’

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वहीं जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव ने कहा कि, ‘प्रशांत किशोर का निर्णय स्वागत योग्य है उन्होंने बहुत अच्छा निर्णय लिया है. बिहार से राजनीति करते हैं तो मेरा पूरा सहयोग होगा. मैं 30 साल से संघर्ष कर रहा हूं. प्रशांत किशोर संघर्ष करेंगे तो उन्हें कामयाबी जरूर मिलेगी.’ वहीं जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि, ‘कोई कहीं पर राजनीति शुरू कर सकता है. हम यह नहीं कह सकते हैं कि प्रशांत किशोर का निर्णय ठीक है या गलत, लेकिन जनता के बीच में जाने के लिए पहले जनता के बीच पहचान बनानी पड़ती है. प्रशांत किशोर जनता के बीच में नहीं हैं. रणनीतिकार जरूर हैं, लेकिन उन्हें कई बार सफलता भी मिली है और कई बार निराशा भी हाथ लगी है.’

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