Politalks.News/Rajasthan. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जगजाहिर सियासी खींचतान के बीच बीते रोज सोमवार को प्रदेश के परिवहन विभाग (Rajasthan Transport Department) के एक आदेश ने सामाजिक और राजनीतिक तूफान ला दिया. विभाग के एक आदेश पत्र में कहा गया है कि वाहनों के नंबर प्लेट पर रजिस्ट्रेशन नंबर के अलावा कुछ भी अंकित नहीं होगा. आदेश में लिखा है कि गाड़ियों पर कोई पद, सरपंच, गुर्जर आदि लिखा होने पर कार्रवाई की जाएगी. परिवहन विभाग के इस आदेश पत्र के वायरल होने के बाद जबरदस्त सियासत गरमा गई. एक और जहां प्रदेश भाजपा ने हाथों हाथ मुद्दे को लपकते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाने पर ले लिया तो वहीं पत्र में गुर्जर शब्द लिखा होने पर गुर्जर समाज ने मुखर होकर विरोध शुरू कर दिया. हालांकि अपनी गलती सुधारते हुए विभाग ने दूसरा संशोधित आदेश भी जारी कर दिया, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए गहलोत सरकार ने आदेश जारी किए जाने वाले अपर परिवहन आयुक्त विजिलेंस आकाश तोमर को तुरन्त पर प्रभाव से निलंबित कर दिया गया.
अब आपको बताते हैं माजरा कि आखिर हुआ क्या, दरअसल, कभी लम्बे समय तक सचिन पायलट के OSD रहे परिवहन विभाग के अपर परिवहन आयुक्त आकाश तोमर ने सोमवार को एक पत्र जारी किया है कि जिसमें कहा गया है कि वाहनों की नंबर प्लेट पर अब प्रधान, सरपंच, गुर्जर आदि लिखा होने पर कार्रवाई की जाएगी. आदेश के वायरल होते ही प्रदेश भाजपा ने तुरन्त मुद्दे को लपकते हुए इसे सचिन पायलट से जोड़ते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा. प्रदेश भाजपा ने ट्वीट कर कहा कि, ‘गहलोत जी गुर्जर समाज से आने वाले एक नेता से आप की नहीं बनती. इसका मतलब यह नहीं है कि आप पूरे समाज को अपमानित करें.’ बीजेपी राजस्थान के ट्वीट को भाजपा के हजारों नेताओं ने री-ट्वीट कर कई कटाक्ष भी किए.
गहलोत जी, गुर्जर समाज से आने वाले एक नेता से आपकी नहीं बनती इसका ये मतलब नहीं कि आप पूरे समाज को अपमानित करें। pic.twitter.com/bOV9XeeNaM
— BJP Rajasthan (@BJP4Rajasthan) May 2, 2022
वहीं जैसे ही यह आदेश सोशल मीडिया पर यह आदेश पूरे प्रदेश में वायरल हुआ और पत्र में खासकर गुर्जर जाति का नाम दिया गया था तो उसपर जाति विशेष के लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी हैं. गुर्जर नेता विजय बैंसला ने ट्वीट कर कहा कि प्रशासनिक अधिकारी की किसी जाति पर इस तरह की टिप्पणी अशोभनीय है. भारत का गुर्जर समाज इसका विरोध करता है.
#Jaipur: परिवहन विभाग के परिपत्र पर गुर्जर नेता विजय बैंसला की नाराजगी
गुर्जर नेता विजय बैंसला ने ट्वीट कर लिखा-"अपर परिवहन आयुक्त का गुर्जर जाति पर निशाना साधना व सीधा घात एक प्रशानिक अधिकारी के लिए अशोभनीय है…@VijaySBainsla @RajGovOfficial @yogesh2727sh1 pic.twitter.com/H7xE5FdTF1
— First India News (@1stIndiaNews) May 2, 2022
सिर्फ विपक्ष के नेता ही नहीं बल्कि सत्तापक्ष कांग्रेस के नेताओं ने भी इस आदेश के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की. मामले पर खेल मंत्री अशोक चांदना ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उचित कार्रवाई की मांग की. साथ ही कहा है कि इस तरह के आदेश से गुर्जर समाज को ठेस पहुंची है.
परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग द्वारा वाहनों की नंबर प्लेट की कार्यवाही के सम्बन्ध में प्रधान, सरपंच के साथ सिर्फ़ गुर्जर जाति का उल्लेख करना क़तई शोभनिय एवं स्वीकार्य नहीं है, मै इस पत्र में लिखी हुई भाषा की कड़े शब्दों में निंदा करता हूँ, मेरा व्यक्तिगत विचार है की /1 pic.twitter.com/T4EVrIlV5i
— Ashok Chandna (@AshokChandnaINC) May 2, 2022
प्रदेश में मचे इस सियासी बवाल के बाद विभाग ने एक घण्टे बाद ही एक और संशोधित आदेश जारी कर दिया जिसमें से गुर्जर शब्द को हटा दिया गया है. गुर्जर समाज की नाराजगी थी कि वहानों की नंबर प्लेट पर सिर्फ एक गुर्जर जाती ही अपने जाती के शब्द का इस्तेमाल करती है, इस आदेश के जरिये सरकार गुर्जर जाती के समाज के बीच में क्या मैसेज देना चाहती.
गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने तो यहां तक कहा कि आरएएस आकाश तोमर गुर्जर जाती से इतनी घृणा कैसे कर सकते है, जबकि वह 10 वर्षों तक सचिन पायलट के साथ रहे हैं. उस वक्त हजारों गुर्जर समाज के लोग उनसे मिलने आते थे.
अपर परिवहन आयुक्त RAS अधिकारी श्री आकाश तोमर की ‘गुर्जर समुदाय’ से आख़िर इतनी घृणा कैसे हो सकती है जबकि ये अधिकारी मा.पूर्व उप मुख्यमंत्री श्री @SachinPilot जी के साथ पिछले 10 वर्षों से विशेष सहायक PSके रूप में कार्यरत रहें है जिनसे गुर्जर समुदाय के हज़ारों लोग प्रतिदिन मिलते थे।
— HIMMAT SINGH GURJAR -हिम्मत सिंह गुर्जर (@himmatsinghgur1) May 2, 2022
आपको बता दें कि प्रदेश की गहलोत सरकार में साल 2020 में हुई सियासी उठापटक से पहले सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री हुआ कहते थे और उस वक्त पायलट के विशिष्ट सहायक के तौर पर आरएएस आकाश तोमर लगे हुए थे. सचिन पायलट को जैसे ही मुख्यमंत्री पद से हटाया उसके बाद आकाश तोमर को भी एपीओ किया गया था. हालांकि कुछ दिनों बाद उन्हें पोस्टिंग दे दी गई थी.
अब सरकारी आदेश में हुई इस बड़ी गलती के कारण मचे सियासी बवाल के कुछ घण्टों बाद ही गहलोत सरकार ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए आरएएस आकाश तोमर को निलंबित कर दिया. कार्मिक विभाग ने अपने आदेशों में कहा कि आकाश तोमर. आर.ए.एस. अतिरिक्त आयुक्त (प्रवर्तन), परिवहन विभाग, जयपुर को राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियन्त्रण और अपील) नियम, 1958 के नियम-13 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार निलंबित करने का ततकाल प्रभाव से आदेश जारी करती है. आकाश तोमर निलम्बन अवधि में मुख्यालय प्रमुख शासन सचिव, कार्मिक विभाग, शासन सचिवालय, जयपुर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे.