लड़कियों की शादी की उम्र पर मोदी सरकार और RSS में मतभेद! बोले- ऐसे मामले छोड़ समाज के विवेक पर

मोदी सरकार और RSS में मतभेद! लड़कियों की शादी 18 साल से 21 साल करने का मामला, आरएसएस ने कहा- 'वह लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर मोदी सरकार के नहीं हैं साथ, शादी की उम्र जैसे मुद्दों को तय करने के लिए समाज पर छोड़ें' 11 से 13 मार्च तक होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में होगा मंथन

मोदी सरकार और RSS में मतभेद!
मोदी सरकार और RSS में मतभेद!

Politalks.News/RSS.भारत में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के मोदी सरकार के प्रावधान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) ने अपना पल्ला झाड़ लिया है. आरएसएस की ओर से कहा गया है कि, ‘लड़कियों की शादी की उम्र (marriage age of girls) को लेकर वह एनडीए सरकार (NDA government) के साथ नहीं है’. अपने बड़े निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था की वार्षिक बैठक में आरएसएस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लड़कियों के लिए शादी की उम्र पर सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून पर उनके विचार मेल नहीं खाते. RSS का मानना है कि, ‘शादी की उम्र जैसे मुद्दों को तय करने के लिए समाज पर छोड़ दिया जाना चाहिए (should be left to society)’. हिजाब विवाद (hijab controversy) पर भी RSS ने कहा है कि ‘मामले को स्थानीय स्तर पर निपटाना चाहिए था.’ आपको बता दें कि आने वाले महीने 11 से 13 मार्च को होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में दोनों मुद्दों पर विचार होगा.

गुजरात में होगी प्रतिनिधि सभा की बैठक
आरएसएस के सूत्रों ने कहा कि इन दोनों मुद्दों के साथ बाकी समसामयिक मसलों पर 11 से 13 मार्च को गुजरात के अहमदाबाद शहर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक के दौरान चर्चा होने की संभावना है.

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‘सवाल यह है कि सरकार को ऐसे मामलों में कितना हस्तक्षेप करना चाहिए?’
RSS के एक वरिष्ठ प्रचारक ने कहा कि, ‘शादी की उम्र का मुद्दा चर्चा में है. कई बातें सामने आई हैं. आदिवासियों और ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह जल्दी हो जाते हैं. सरकार शिक्षा और प्रारंभिक गर्भावस्था का तर्क देती है. लेकिन, सरकार को भी इसे आगे बढ़ाने की जल्दी नहीं दिख रही है. सवाल यह है कि सरकार को ऐसे मामलों में कितना हस्तक्षेप करना चाहिए. कुछ चीजों को समाज पर छोड़ दिया जाना चाहिए.’ आरएसएस के सूत्रों ने बताया कि, ‘शादी की उम्र को घटाकर 18 साल करने के लिए सरकार के साथ राय भी साझा की गई थी, लेकिन कुछ सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया.

विरोध के बाद स्थायी समिति के पास है विधेयक
आपको बता दें कि पिछले साल दिसंबर में सरकार के एक विधेयक में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान किया गया. विपक्ष की आलोचना के बीच इस विधेयक को आगे की चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया है. संघ प्रचारक ने कहा कि, ‘इन पर राजनीतिक चर्चा नहीं होनी चाहिए, बल्कि सामाजिक चर्चा होनी चाहिए. असहाय समाज हर चीज के लिए कानून की मांग करते हैं. एक मजबूत समाज को अपने आप एक समाधान खोजना चाहिए’.

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‘हिजाब मामले को बढ़ा-चढ़ाकर किया गया पेश’
इस दौरान राष्ट्रवादी स्वयंसेवक संगठन ने हिजाब विवाद पर भी अपनी राय जाहिर की. RSS की ओर से कहा गया है कि, ‘इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, जबकि यह स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाना चाहिए था’. आपको बता दें कि संगठन के काम का जायजा लेने के लिए हर साल एक मीटिंग आयोजित होती है. जिसमें देश भर के आरएसएस के शीर्ष नेता भाग लेते हैं.

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