पॉलिटॉक्स न्यूज/महाराष्ट्र. मुंबई के सायन अस्पताल में लापरवाही का वीडियो वायरल होने के बाद अब इस पर राजनीति शुरु हो गई है. अस्पताल के एक वारयल वीडियो में इमरजेंसी वॉर्ड में कोरोना मरीजों के पास संक्रमण से मरने वालों के शव भी रखे हुए थे. जैसे ही ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, अस्पताल प्रशासन सहित स्थानीय प्रशासन में भी हंगामा मच गया और मामले ने तूल पकड़ लिया. अस्पताल के डीन डॉ. प्रमोद इंगले ने वायरल वीडियो की पुष्टि की है. अब इस मामले पर महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने सफाई देते हुए राजनीति न करने को कहा जबकि बीजेपी नेताओं ने घटना को शर्मनाक बताया. वहीं प्रदेश के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अब मुंबई का कोई रखवाला नहीं बचा है. वहीं कुछ कार्यकर्ताओं ने धारावी क्षेत्र में कोरोना मामलों का आंकड़ा काफी कम बताया है.
दरअसल, एक मीडिया चैनल के एंकर ने अपने ट्वीटर हैंडल से मुंबई के सायन अस्पताल का एक वीडियो शेयर किया जिसमें जिस वार्ड में कोरोना मरीज़ों का इलाज हो रहा था. वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि एक ओर मरीजों का इलाज हो रहा है और दूसरी तरफ ये शव बैड पर ही रखे हुए हैं. हालांकि शवों को प्लास्टिक जैकेट में पैक करके रखा गया है लेकिन कोरोना संक्रमितों के बीच में ही खुले आम ये शव रखे हुए हैं. बताया जा रहा है कि वॉर्ड में मरीजों के बीच ऐसे 19 शव रखे गए थे.
यह भी पढ़ें: दर्दनाक और शर्मनाक खबर: कोरोना मरीजों के वार्ड में रखे हैं शव भी, आखिर मरीज जाए कहां?
अस्पताल के डीन डॉ. प्रमोद इंगले ने वायरल वीडियो की पुष्टि करते हुए बताया कि अस्पताल में स्टाफ की कमी है. मृतकों के रिश्तेदार डर के चलते शवों को लेकर नहीं जा रहे हैं इसलिए इन्हें वार्ड में रखा गया. 60 शवों की क्षमता वाले मुर्दाघर में केवल 15 कोरोना से मरने वालों के लिए हैं. मॉर्चुरी में जो 15 शेल्फ हैं, उनमें से भी 11 भरे हुए हैं.
मामले के सामने आने के बाद महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने राजेश टोपे ने सफाई देते हुए कहा कि मृतकों के परिजन 30 मिनट के भीतर बॉडी ले जाते हैं. लेकिन, कई बार वे हिचकिचाते हैं. इसके बाद शव मॉर्चुरी में भेज दिया जाता है. सभी प्रोसीजर पूरे करने में वक्त मिलता है. अब हमने आदेश दिया है कि बॉडी को 30 मिनट के भीतर हटा दिया जाए. सरकार में मंत्री टोपे ने कहा कि प्रोटोकॉल के तहत बॉडी को काली पॉलिथिन में लपेटा जाता है ताकि संक्रमण ना फैले. इस पर राजनीति करने की जरूरत नहीं है.
In Sion hospital..patients r sleeping next to dead bodies!!!
This is the extreme..what kind of administration is this!
Very very shameful!! @mybmc pic.twitter.com/NZmuiUMfSW— nitesh rane (@NiteshNRane) May 6, 2020
इधर, कम्युनिटी वर्कर ने बताया कि किसी भी मरीज की मौत के बाद भी कोविड की रिपोर्ट आए बिना शव को कोई हाथ भी नहीं लगाता. अगर रिपोर्ट निगेटिव आती है तो बॉडी परिवार वालों को दे दी जाती है लेकिन रिपोर्ट आने तक शव वहीं रखा रहता है.
यह भी पढ़ें: थककर ट्रैक पर सो गए पैदल लौट रहे एमपी के मजदूर, सभी मजदूरों को मालगाड़ी के एक डिब्बे ने कुचला
उधर, मामले पर राजनीति तेज होते नजर आ रही है. बीजेपी नेता नीतेश राणे ने यही वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि सायन अस्पताल में शवों के बीच मरीज भी सो रहे हैं. उन्होंने इस घटना को शर्मनाक बताया.
इस घटना पर पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘सायन हॉस्पिटल में हुई यह घटना बेहद गंभीर है. शव के बगल में कोरोना संक्रमित मरीज का इलाज जारी रखना एक गंभीर बात है. सवाल यह है कि क्या मुंबईकरों का कोई रखवाला नहीं बचा? सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटना दोबारा न हो.’
Sion Hospital incident is extremely serious and shocking.
Patients which are being treated are lying beside dead bodies.
This is utterly inhuman.
Is there no one to care for Mumbai?Govt must immediately look into this & ensure that it doesn’t happen ever again!#coronainmumbai
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) May 7, 2020
बता दें, सायन अस्पताल में केवल कोरोना की जांच होती है. जांच में अगर कोई पॉजिटिव पाया जाता है तो उसे इलाज के लिए कस्तूरबा अस्पताल भेज दिया जाता है लेकिन जिस तरह से धारावी में मामले बढ़ रहे हैं, अस्पताल के लिए उन्हें संभालना बेहद मुश्किल हो रहा है. वहीं धारावी में सोशल वर्क से जुड़े कुछ कार्यकर्ताओं का ये भी कहना है कि जो आंकड़ा धारावी का बताया जा रहा है, वह केवल 10 फीसदी है. वहां ऐसे कई लोग हैं जो कोरोना के मरीज हैं लेकिन अस्पताल नहीं जा रहे हैं और न ही टेस्ट करवा रहे हैं.
यह भी पढ़ें: योगी के मंत्री ने महाराष्ट्र सरकार पर लगाया जानबूझकर बिना जांच करे मजदूरों को यूपी भेजने का आरोप
इधर, धारावी (मुंबई) के पार्षद बाबू खान का कहना है कि कोरोना के मरीजों की लाशें जिंदा लोगों के साथ रखी गई हैं. शुरू में तो ऐसे ही बिना कपड़े के बॉडी पड़ी रहती थी, लोग डर के मारे दुबके अपने-अपने बेड पर पड़े रहते थे, अब बस इतना हुआ है कि उसे लपेट दिया जाता है. खबर चाहे अब आ रही हो लेकिन यहां ऐसा शुरू से ही हो रहा है.
गौरतलब है कि एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में कोरोना के संदिग्ध मरीजों की जांच सायन अस्पताल में ही होती है. कोरोना संकट के चलते धारावी के हालात बिगड़ते जा रहे हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, धारावी में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 700 के पार जा चुका है. वहीं सायन अस्पताल में टेस्ट होने के लगभग 15-20 घंटे में रिपोर्ट आती है. यहां के इमरजेंसी वॉर्ड में 20 बेड हैं जहां कोविड और नॉन कोविड दोनों तरह के मरीज रखे गए हैं. ऐसे में अगर इमरजेंसी वार्ड में किसी मरीज की मौत हो जाए तो उसकी लाश कोविड टेस्ट की रिपोर्ट आने तक वहीं पड़ी रहती है. आसपास के पलंग पर मरीजों को लेटने को कहा जाता है.