Wednesday, January 22, 2025
spot_img
Homeलोकसभा चुनावक्रिकेट के बाद खेली सियासी पारी, कोई रहा नाबाद तो कोई फिसड्डी

क्रिकेट के बाद खेली सियासी पारी, कोई रहा नाबाद तो कोई फिसड्डी

Google search engineGoogle search engine

देश की राजनीति में फिल्मी सितारों और साधु-संतों के अलावा क्रिकेटर्स ने भी अपनी किस्तम आजमाई है. इसी कड़ी में दिग्गज क्रिकेटर गौतम गंभीर भी राजनीतिक पारी खेलने के लिए चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. गंभीर बीजेपी से सियासी डेब्यू करते हुए पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. अपने घर में पूजा-पाठ के बाद गंभीर ने नामांकन दाखिल कर दिया है. गौतम गंभीर की टीम इंडिया को 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 में 50 ओवर वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका रही है.

साल 2019 का लोकसभा चुनाव फिर एक क्रिकेटर को सियासी दंगल में लाया है. 2007 टी20 वर्ल्‍ड कप और 2011 वर्ल्‍ड कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्‍य रहे गौतम गंभीर को बीजेपी ने पूर्वी दिल्ली से चुनावी मैदान में उतारा है. जहां उन्होंने नामांकन दाखिल कर चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. ऐसा नहीं है कि गौतम गंभीर ने ही राजनीति की पारी खेलने का फैसला लिया हो, इससे पहले भी सियासत में कई क्रिकेटर्स की एन्ट्री हो चुकी है. जिनमें से कुछ ने राजनीति में बुलंदियों को छुआ है तो कईयों को जनता ने अस्वीकार कर दिया. नजर डालते हैं क्रिकेट के बाद पॉलीटिक्स पंसद करने वाले क्रिकेटर्स पर.

politalks news

इन दिनों अपने विवादित बयानों को लेकर एक पूर्व क्रिकेटर और नेता का नाम खासा चर्चा में है. जी हां, हम बीजेपी छोड़ वापिस कांग्रेस का दामन थामने वाले नवजोत सिंह सिद्धू की ही बात कर रहे हैं. क्रिकेट में अच्छी पारी के बाद सिद्धू को भी सियासत रास आई और वे बीजेपी से साल 2004 व 2009 में पंजाब की अमृतसर सीट से सांसद रहे. लेकिन साल 2014 के चुनावों में स्थानीय विरोध के बाद बीजेपी ने उनका टिकट काटकर राज्‍य सभा भेजा दिया. नाराज नवजोत सिद्धू बीजेपी से इस्‍तीफा देकर 2017 में कांग्रेस में शामिल हो गए और इस बार वे पंजाब विधानसभा के चुनावों में अमृतसर पूर्व सीट से जीते और अब मंत्री हैं.

दिग्गज क्रिकेटर रहे मोहम्‍मद अजहरुद्दीन ने भी क्रिकेट पारी खेलने के बाद राजनीति का रूख किया और चुनावी मैदान में कदम रखते हुए साल 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्‍तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट से जीतकर दिल्ली पहुंचे. लेकिन अगले चुनाव यानि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वे राजस्‍थान की टोंक-सवाई माधोपुर सीट से चुनाव हार गए. इसके बाद अब 2019 के चुनावों में उन्‍हें टिकट नहीं मिल सका. इससे पहले विनोद कांबली ने भी क्रिकेट के बाद राजनीति को चुना और लोक भारत पार्टी के टिकट पर महाराष्ट्र विधानसभा की विक्रोली सीट से चुनावी मैदान में उतरे. लेकिन मतदाताओं ने उनको अस्वीकार कर दिया.

साल 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप जीतकर देश का नाम रोशन किया. टीम के सदस्य रहे क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने वर्ल्ड कप जीत में अपनी भूमिका अदा कर क्रिकेट पारी तो बखूबी खेली ही, इसके बाद उन्होंने सियासी गलियारों में कदम रखा. आजाद को राजनीति में लगातार सफलता मिली. वे बीजेपी से तीन बार बिहार की दरभंगा सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे. हांलाकि अब वे बीजेपी छोड़ कांग्रेस के साथ हो गए हैं और झारखंड की धनबाद संसदीय सीट पर प्रत्याशी है. कीर्ति आजाद राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखते हैं, उनके पिता भागवत झा आजाद बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं.

इन क्रिकेटर्स के अलावा कई और भी राजनीति में अपना भाग्य आजमा चुके हैं. क्रिकेटर श्रीसंत ने भी सियासत में कदम रखने का फैसला लिया लेकिन उनको कामयाबी नहीं मिल सकी थी. वे बीजेपी में शामिल हुए और साल 2016 के केरल विधानसभा चुनावों के दंगल में उतरे और तिरूवनंतपुरम सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वहीं क्रिकेटर मोहम्‍मद कैफ ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्‍तर प्रदेश की फूलपुर सीट पर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा. लेकिन मोदी लहर में उनको करारी हार मिली और वे चौथे स्थान पर रहे.

वहीं क्रिकेटर मनोज प्रभाकर ने भी क्रिकेट के बाद करियर के लिए राजनीति को पसंद किया और एनडी तिवारी की पार्टी ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस से दक्षिण दिल्‍ली सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन प्रभाकर हार गए और राजनीति में उनका करियर वहीं थम कर रह गया. इनके अलावा चेतन चौहान ने भी बल्‍ले से कमाल करने के बाद सियासत में कमाल दिखाने का फैसला किया और बीजेपी के टिकट पर उत्‍तर प्रदेश की अमरोहा सीट से दो बार 1991 और 1998 में सांसद रहे. वहीं साल 2017 में उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्‍होंने नौगांवा सीट से जीत हासिल की और अब योगी कैबिनेट में पद पर हैं.

गौरतलब है कि इससे पहले भी भारतीय क्रिकेट टीम के महान कप्‍तानों में जाने जाने वाले मंसूर अली खान पटौदी ने भी सियासत में किस्मत आजमाई थी. उन्होंने भी क्रिकेट के बाद सियासत की पारी में दो बार लोकसभा चुनाव लड़ा था. साल 1971 में विशाल हरियाणा पार्टी ने उन्हें टिकट देकर गुड़गांव से चुनाव लड़वाया. इसके बाद साल 1991 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर भोपाल से दांव खेला लेकिन दोनों ही बार जनता ने उन्हें नकार दिया और टाइगर पतौदी को हार का सामना करना पड़ा.

Google search engineGoogle search engine
RELATED ARTICLES

Leave a Reply

विज्ञापन

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img