PoliTalks.News/Bihar. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के राजनीतिक अनुभव से सभी परिचित हैं. यही वजह है कि न केवल महागठबंधन उनकी नाराजगी को लेकर चिंतित है बल्कि जेडीयू भी उन्हें अपने पाले में लाने की जी तोड़ कोशिश कर रही है. मांझी महागठबंधन के सदस्य हैं लेकिन तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता और मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए जाने पर खुश नहीं हैं. यही वजह है उन्होंने महागठबंधन की बुधवार को होने वाली बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया. सीएम नीतीश कुमार से भी वे लंबे समय से टच में हैं और माना जा रहा है कि नीतीश और मांझी की एक समान विचारधारा के चलते वे जेडीयू का समर्थन कर सकते हैं.
इस बीच कांग्रेस ने मांझी को मनाने का फैसला किया है. इसी के चलते आज जीतन राम मांझी के निवास पर कांग्रेस नेता टी पार्टी के लिए जाने वाले हैं. इस दौरान कांग्रेस बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, मदन मोहन झा, तारिक अनवर के साथ कुछ वरिष्ठ नेता भी उपस्थित रह सकते हैं.
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इससे पहले जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री चेहरे और महागठबंधन नेता का विरोध कई बार कर चुके हैं. साथ ही हम पार्टी ने 11 जुलाई को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने अगले कदम की घोषणा करने की बात भी कही है. यहां दो ही बात होगी- या तो कांग्रेस महागठबंधन की ओर से मध्यस्थता करते हुए जीतन राम मांझी को अपने पाले में लाने में सफल हो ही जाती है, अन्यथा मांझी का जेडीयू के साथ जाना तय है. महागठबंधन की समन्वय समिति को गठबंधन का नेता और मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करना है. हालांकि समन्वय समिति का गठन अब तक नहीं हो पाया लेकिन करीब करीब सहमति तेजस्वी यादव पर ही बनते दिखाई दे रही है जिससे मांझी नाराज हैं.
एक तरह से देखा जाए तो मांझी की बात और मांगों से कांग्रेस और रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा सहित विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुकेश सहनी भी इत्तेफाक रखते हैं लेकिन महागठबंधन में हर दिन टूट रहे नेताओं और सहयोगी पार्टियों में आ रही दरार के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कमान संभालते हुए कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं को बिहार भेजकर राजद नेता तेजस्वी यादव और पूर्व सीएम राबड़ी देवी से बात कर उनकी राय जानी. इसी संबंध में कांग्रेस बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, अखिलेश सिंह, मदनमोहन झा, सदानंद सिंह बुधवार रात राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के आवास पर डिनर पर पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राजद के बीच कोई परेशानी नहीं है. यहां उन्होंने समन्वय समिति के संबंध में कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया.
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इस संबंध में जीतन राम मांझी ने बताया कि कांग्रेस ने 10 जुलाई तक सब कुछ सुलझा लेने का वायदा किया है. अब यह उनके फैसले पर निर्भर है. यदि वे मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं और हमारी मांग मानते हैं तो ठीक, वरना 11 जुलाई को हम अपना फैसला सुना देंगे. फिलहाल एनडीए पैनल में लोजपा मुखिया चिराग पासवाग की सीटों को लेकर नाराजगी जग जाहिर है. ऐसे में ये स्पष्ट है कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो लोजपा एनडीए छोड़ स्वतंत्र चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में नीतीश चाहेंगे कि जीतन राम मांझी लोजपा की कमी एनडीए में पूरा करें. हालांकि मांझी ने आखिर तक अपने पत्ते छुपा रखे हैं. अब सारी नजरें मांझी और कांग्रेस की आज होने वाली टी पार्टी और उसके बाद 11 जुलाई पर टिकी हुई है.
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों के लिए इस साल के नवंबर में चुनाव होने की संभावना है. जदयू बीजेपी और लोजपा के साथ एनडीए गठबंधन में है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है. वहीं महागठबंधन में लालू प्रसाद यादव की राजद, कांग्रेस, मुकेश सहनी की वीआईवी, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा के साथ जीतन राम मांझी की हम शामिल हैं.
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2015 के विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने महागठबंधन के साथ मिलकर बीजेपी और लोजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा और जीतकर मुख्यमंत्री बने. बाद में 2017 में उन्होंने महागठबंधन छोड़ एनडीए में फिर से वापसी करते हुए प्रदेश की सत्ता संभाली.