केन्द्र की नीतियों के खिलाफ एकजुट हो रहे गैर भाजपा शासित राज्यों के सीएम! राव ने की ठाकरे से मुलाकात

5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के बीच केन्द्र के खिलाफ एकजुट हो रहे राज्य, गैरशासित राज्यों के मुख्यमंत्री कर रहे हैं प्रयास, स्टालिन, ममता और चन्द्रशेखर राव पहले से सम्पर्क में, रविवार को राव ने की उद्धव ठाकरे से मुलाकात, हेमंत सोरेन से भी होगी बात, सियासी चर्चा- क्या केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ बन रहा है ये मोर्चा? 2024 में भाजपा को देगा चुनौती, हालांकि संभावना है कम

केन्द्र की नीतियों के खिलाफ एकजुट हो रहे गैर भाजपा शासित राज्यों के सीएम!
केन्द्र की नीतियों के खिलाफ एकजुट हो रहे गैर भाजपा शासित राज्यों के सीएम!

Politalks.News/ModiSarkar. 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव (5 state assembly elections) के बीच केन्द्र की मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ (against the policies of modi government) गैर भाजपा शासित राज्य एकजुट (United non-BJP) हो रहे हैं. एक ऐसा मोर्चा बनाने कवायद चल रही है जिसमें गैर भाजपा शाषित राज्यों के मुख्यमंत्री एक मंच पर हों, लेकिन इसमें कांग्रेस को शामिल नहीं किया जाए. हालांकि ऐसा मुमकिन होता नहीं दिख रहा है. दरअसल, केन्द्र सरकार की नीतियों के विरोध में ममता बनर्जी, चन्द्रशेखर राव और स्टालिन संपर्क में है. वहीं आज मुंबई में चंद्रशेखर राव (Chandrashekhar Rao) ने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) से लम्बी मुलाकात की है और हेमंत सोरेन से भी जल्द बात होने वाली है. वहीं जगन मोहन रेड्डी ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं.

तेलगांना के सीएम चन्द्रशेखर राव ने NCP चीफ शरद पवार से भी मुलाकात की. इन मुलाकातों से ये बताने की कोशिश हो रही है कि ये मोर्चा राजनीतिक नहीं है केवल केन्द्र का विरोध करने के लिए है. आने वाले 2024 के आम चुनाव में ये मोर्चा भाजपा से लड़ेगा या नहीं इसको लेकर अभी कोई कुछ नहीं बोल रहा है. क्योंकि ममता बनर्जी को छोड़ दें तो इस मोर्चे में शामिल सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों की केन्द्र में राजनीति करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. हालांकि अभी उत्तरप्रदेश चुनाव के बाद देश की राजनीति तेजी से करवट लेने वाली है.

दरअसल, देश के पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच एक अलग ही मोर्चा बनाए जाने की चर्चा जोरों पर है. इसमें गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं. तमिलनाडू के सीएम एमके स्टालिन, तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की बात हो चुकी है. इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को मिलने के लिए बुलाया. यहां आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे की सेहत ठीक नहीं है और इस वजह से वे ममता बनर्जी के मुंबई दौरे में उनसे नहीं मिले थे. लंबे समय के बाद उद्धव लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में दिखाई दिए थे. लेकिन खराब सेहत के बावजूद उद्धव ठाकरे ने रविवार को सीएम चंद्रशेखर राव से मुलाकात की. इस तरह से माना जा रहा है कि एमके स्टालिन, चंद्रशेखर राव और ममता बनर्जी के बाद अब उद्धव भी इस मोर्चे के साथ जुड़ रहे हैं. वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी इन नेताओं की बात होगी. इस बीच आंध्रप्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने पत्ते नहीं खोले हैं.

यह भी पढ़े: आप होंगे केंद्रीय मंत्री लेकिन यह मत भूलना कि यहां हम आपके ‘बाप’ हैं- राणे के बयान पर राउत का पलटवार

राजनीति के गूढ़ जानकारों की मानें तो यह केंद्र की भाजपा सरकार की नीतियों से परेशान राज्यों की एकजुटता है. इस बीच डीएमके और शिव सेना दोनों के नेताओं ने साफ कर दिया है कि इसमें कोई राजनीति नहीं है. हालांकि ममता बनर्जी जरूर इसमें राजनीति देख रही हैं लेकिन असल में इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है. कांग्रेस के एक जानकार नेता के मुताबिक शिव सेना और डीएमके की ओर से कांग्रेस को भी बता दिया गया है कि यह केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विपक्षी पार्टियों की एकजुटता का प्रयास है और इसे कोई राजनीतिक मोर्चा नहीं माना जाए.

जानकार सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी की ओर से कांग्रेस पर हमलावर रहने को लेकर डीएमके और शिव सेना की ओर से सफाई दी गई. दोनों पार्टियों ने कहा कि ममता की टिप्पणी से उनका कोई मतलब नहीं है और अगर सभी प्रादेशिक पार्टियों के मुख्यमंत्रियों की बैठक होगी तो उसमें चुनाव या राजनीति का मुद्दा नहीं होगा. सूत्रों का कहना है कि, ‘ममता चाहती हैं कि 2024 में भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए सारी पार्टियां साथ आएं. लेकिन ममता इसमें कांग्रेस को शामिल नहीं करना चाहती हैं. जबकि शिव सेना और डीएमके कांग्रेस के साथ ही गठबंधन बनाना चाहती हैं. यानी केंद्र की नीतियों के खिलाफ लड़ाई अलग होगी और 2024 में भाजपा के खिलाफ लड़ाई अलग होगी, उसका मोर्चा अलग बनेगा. या यह ही हो सकता है कि ये ही मोर्चा आगे जाकर भाजपा को चुनौती देगा, इसका जवाब अब आने वाला समय ही देगा.

यह भी पढ़े: जैसे काका गए बाबा भी जाएंगे, किसान और नौजवान निकाल देंगे इनकी भाप- अखिलेश ने कसे जोरदार तंज

इसके साथ ही सियासी जानकर यह भी कयास लगा रहे हैं कि रविवार को हुई उद्धव ठाकरे और चंद्रशेखर राव की मुलाकात में कांग्रेस को लेकर चर्चा हुई है. वहीं दूसरी तरफ तेलंगाना में कांग्रेस और तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि दोनों पार्टियां अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की संभावना पर विचार कर रही हैं. हालांकि दोनों के बीच तालमेल होगा या नहीं, यह अभी पता नहीं है लेकिन यह तय है कि दोनों पार्टियां आपसी समझदारी से चुनाव लड़ेंगी. अगर कांग्रेस के अलग लड़ने से टीआरएस को फायदा होना है तभी कांग्रेस अलग लड़ेगी, अन्यथा दोनों में तालमेल हो सकता है.

आपको बता दें, वर्तमान में केन्द्र और राज्यों को बीच मनमुटाव की सबसे बड़ी वजह है जीएसटी, IAS की प्रतिनियुक्ति के अधिकार और BSF के अधिकार बढ़ाने समेत अन्य मुद्दों पर राज्य और केन्द्र आमने-सामने हैं. राज्य सरकारें इनको संघीय ढांचे के विरूद्ध बता रहे हैं.

Leave a Reply