अपने गढ़ आमेर-जालसू में बहुमत दिलाने में नाकाम रहे बीजेपी के प्रदेश ‘प्रधान’, 2023 में कैसे करेंगे काम?

पंचायत चुनाव में 'पंजे' पर लोगों ने जताया विश्वास, करीब 670 सीटों पर कांग्रेस की जीत, भाजपा को मिलीं 551 सीटों पर जीत, अपना गढ़ नहीं बचा पाने पर सेनापति पर उठेंगे सवाल, निशाने पर आ सकते हैं बीजेपी के 'प्रधान'

पूनियां के हाथ से फिसला आमेर-जालसू
पूनियां के हाथ से फिसला आमेर-जालसू

Politalks.News/Rajasthan. पंचायतराज चुनाव में जयपुर में कांग्रेस ने जीत के झंडे गाड़ दिए हैं. जयपुर की 22 पंचायत समितियों में से 10 पर कब्जा जमाकर कांग्रेस ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है. वहीं बीजेपी को 8 पंचायत समितियों से ही संतोष करना पड़ा. इस पूरे चुनाव में चौंकाने वाले आंकड़े आमेर से आए हैं. बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष और सीएम पद के दावेदार माने जाने वाले सतीश पूनियां के ‘हाथ‘ से उनका विधानसभा क्षेत्र आमेर फिसल गया. पूनियां अपनी पार्टी को यहां बहुमत दिलाने में नाकाम साबित हुए हैं. वहीं एक जालसू पंचायत समिति ने पूनियां की थोड़ी लाज बचाई है लेकिन बहुमत यहां भी नहीं मिला. लेकिन सियासी गलियारों में इसको लेकर चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है कि, ‘जो प्रदेशाध्यक्ष अपने विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को बहुमत दिला पाया वो आगे क्या करेगा…..’

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां के विधानसभा क्षेत्र की आमेर पंचायत समिति में मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में टाई हो गया. यहां दोनों ही पार्टियों ने बराबर सीटें जीती हैं. और एक निर्दलीय जिसका नाम रोशन है उसके पास बहुमत की चाबी है. आमेर पंचायत समिति में 23 वार्ड में 11 कांग्रेस, 11 बीजेपी और एक वार्ड में निर्दलीय जीता है. ऐसे में ना बीजेपी और ना ही कांग्रेस को यहां बहुमत नहीं मिल पाया है. सूत्रों की माने तो निर्दलीय उम्मीदवार भी कांग्रेस समर्थित ही बताया जा रहा है. ऐसे में अब यहां प्रधान के चुनाव के लिए रोचक हो गया है मुकाबला, पूरे चुनाव का लब्बोलुआब ये है कि पूनियां अपने विधानसभा क्षेत्र में अपनी पार्टी को बहुमत दिलाने में नाकाम रहे हैं. इधर, पूनियां के विधानसभा क्षेत्र की एक और पंचायत समिति ने उनकी थोड़ी लाज बचा दी. जालसू पंचायत समिति में कुल 25 वार्ड हैं. जिसमें 12 बीजेपी, 9 कांग्रेस, 3 निर्दलीय और 1 RLP के खाते में है. यहां भी प्रधान बनाने में पूनियां को पसीने आ सकते हैं.

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पंचायत चुनाव में आमेर के परिणाम बीजेपी में उबाल लाने वाले साबित हो सकते हैं. वैसे भी चुनाव से पहले हार की आशंका से पूनियां ने आमेर के गांव गांव में जाकर वोट मांगे थे. लेकिन फिर भी पार नहीं पड़ी. अब विरोधी खेमे को पूनियां पर वार करने का मौका तो मिल ही गया है कि प्रदेशाध्यक्ष जी अपने इलाके में ही पार्टी को बहुमत नहीं दिला पाए. क्योंकि चुनाव में परिणाम आपके पक्ष में नहीं आया है तो आपको सुनना तो पड़ेगा ही. एक पूनियां विरोधी खेमे के नेता ने टिप्पणी की है कि, ‘पंचायत चुनावों में अपने गढ़ में पार्टी को नहीं जिता पाने वाले पूनियां से आगे की उम्मीद लगाना बेमानी होगा’

राजस्थान के 6 जिलों पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव में लोगों ने सत्ताधारी दल पर विश्वास जताया है. पंचायत समितियों में अब स्थिति स्पष्ट होती जा रही है. पंचायत समिति सदस्यों के लिए गिनती में कांग्रेस के 670, भाजपा के 551 और 290 निर्दलीय जीत के साथ आगे चल रहे हैं. आरएलपी के खाते में 40, बसपा को 11 व एनसीपी को 2 सीटें आ चुकी हैं.

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