बंगाल में कामयाब होती BJP की कूटनीति, ममता की चुनौती शुभेंदु ने स्वीकारी, 50000 वोटों से हराने का एलान

ममता में नंदीग्राम को बताया खुद के लिए भाग्यशाली, संभव हुआ तो मैं भवानीपुर और नंदीग्राम दोनों जगहों से चुनाव लडूंगी, नंदीग्राम मेरी बड़ी बहन है और भवानीपुर मेरी छोटी बहन, जब तक मैं जिंदा हूं, मैं उन्हें अपने राज्य को बीजेपी के हाथों नहीं बिकने दूंगी, बीजेपी राजनीतिक दल नहीं काले को सफेद करने वाला वाशिंग पाउडर

Suvendu Adhikari News
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Politalks.News/WestBengalElection. पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों के चलते प्रदेश की सियासत अपने परवान पर है. यहां भारतीय जनता पार्टी अपनी कूटनीति में कामयाब होती नजर आ रही है. भाजपा के चाणक्यों ने जिस उद्देश्य से टीएमसी के सबसे दिग्गज और ममता बनर्जी के सबसे खास शुभेंदु अधिकारी को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करवाया था वो शायद अब सफल होता नजर आ रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी और दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी को चुनौती देते हुए सोमवार को ऐलान किया कि वह उनके गढ नंदीग्राम से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी. इसके तुरंत बाद टीएमसी से बीजेपी नेता बने शुभेंदु अधिकारी ने चुनौती स्वीकार करते हुए एलान किया कि वे चुनाव में ममता को हरायेंगे, वरना राजनीति छोड़ देंगे. शुभेंदु ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि, “स्वागत है दीदी, 21 साल से आपके साथ खड़ा था. इस बार नंदीग्राम में आमने-सामने मुलाक़ात होगी. इंतज़ार रहेगा.”

नंदीग्राम रहा मेरे लिए भाग्यशाली स्थान- ममता

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बड़ी घोषणा के लिए नंदीग्राम को चुना जो बीजेपी से दो-दो हाथ करने के तृणमूल कांग्रेस प्रमुख के संकल्प का परिचायक है. ममता बनर्जी ने यहां एक रैली में कहा कि दूसरे दलों में जाने वालों को लेकर उन्हें कोई चिंता नहीं क्योंकि जब तृणमूल कांग्रेस बनी थी, तब उनमें से शायद ही कोई साथ था. ममता ने कहा कि इन नेताओं ने पिछले कुछ सालों के दौरान ‘अपने द्वारा लूटे गये‘ धन को बचाने के लिए पार्टी (तृणमूल कांग्रेस) छोड़ी. बनर्जी ने कहा, ‘मैंने हमेशा से नंदीग्राम से विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत की है. यह मेरे लिए भाग्यशाली स्थान है. इस बार,मुझे लगा कि यहां से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए. मैं प्रदेश पार्टी अध्यक्ष सुब्रत बख्शी से इस सीट से मेरा नाम मंजूर करने का अनुरोध करती हूं.’ मंच पर मौजूद बख्शी ने तुरंत ममता के अनुरोध को स्वीकार कर लिया.

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शुभेंदु अधिकारी ने भी तुरन्त स्वीकारी ममता की चुनौती

ममता बनर्जी के एलान के बाद कोलकाता में रोड शो और जनसभा कर रहे अधिकारी ने कहा, ‘यदि मुझे मेरी पार्टी (बीजेपी) नंदीग्राम से चुनाव मैदान में उतारती है तो मैं उनको कम से कम 50,000 वोटों के अंतर से हराऊंगा, अन्यथा मैं राजनीति छोड़ दूंगा.’ अधिकारी ने कहा कि लेकिन एक तृणमूल कांग्रेस जिसको ममता बनर्जी और उनके भतीजे ‘तानाशाही’ तरीके से चलाते हैं, वहीं बीजेपी में उम्मीदवार चर्चा के बाद तय किये जाते हैं और मेरी उम्मीदवारी पर फैसला पार्टी को करना है. अधिकारी ने अनभिज्ञ बनते हुए कहा, ‘मैं नहीं जानता कि मुझे कहां से उतारा जाएगा और उतारा भी जाएगा या नहीं.’

क्या है नंदीग्राम की कहानी?

आपको बता दें, एक विशेष आर्थिक क्षेत्र के निर्माण के लिए तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार के ‘जबरन’ जमीन अधिग्रहण के विरूद्ध विशाल जनांदोलन का केंद्र था नंदीग्राम. लंबे समय तक चले और रक्तरंजित रहे इस आंदोलन के चलते ही ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी यहां उभरी और यहां की कामयाबी के चलते 2011 में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में पहुंचीं. इसी के साथ 34 साल से जारी वाम शासन पर पूर्ण विराम लग गया था. इसी के बाद से शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम आंदोलन का बड़ा चेहरा समझे जाते हैं. हालांकि पाला बदलकर बीजेपी में जा चुके अधिकारी ने अक्सर बनर्जी पर आरोप लगाया कि जिस क्षेत्र ने बनर्जी को सत्ता दिलाने में मदद पहुंचायी, उस क्षेत्र के लोगों को उन्होंने भुला दिया. आपको बता दें, ममता बनर्जी फिलहाल दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर से विधायक हैं.

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नंदीग्राम मेरी बड़ी बहन है और भवानीपुर मेरी छोटी बहन- ममता बनर्जी

नंदीग्राम में लोगों को सम्बोधित करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यदि संभव हुआ तो मैं भवानीपुर और नंदीग्राम दोनों जगहों से चुनाव लडूंगी. नंदीग्राम मेरी बड़ी बहन है और भवानीपुर मेरी छोटी बहन. यदि मैं भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ पायी तो मैं वहां से कोई और मजबूत उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारूंगी. ममता ने कहा कि वह ‘कुछ लोगों’ को बंगाल को कभी बीजेपी के हाथों नहीं बेचने देंगी. बनर्जी ने कहा कि जो पार्टी से चले गये, उन्हें मेरी शुभकामनाएं हैं. उन्हें देश का राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति बनने दीजिए. लेकिन आप बंगाल को बीजेपी के हाथों बेचने का दुस्साहस नहीं करें. जब तक मैं जिंदा हूं, मैं उन्हें अपने राज्य को बीजेपी के हाथों नहीं बिकने दूंगी.

भाजपा वो ही गलती कर रही है जो माकपा ने की थी: ममता बनर्जी

जानकारों की मानें तो ममता बनर्जी का नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान पूर्वी और पश्चिमी मिदनापुर जिलों एवं आसपास के क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करेगा जो अधिकारी के पार्टी छोड़ देने के बाद बिना पतवार की नाव जैसा महसूस कर रहे हैं. इस दौरान शुभेंदु अधिकारी का जिक्र किये बगैर बनर्जी ने कहा कि राज्य जीतने का सपने देखने से पहले उन्हें स्थानीय तृणमूल नेताओं से संघर्ष करना होगा. उन्होंने वाममोर्चा सरकार के दौरान जबरन जमीन अधिग्रहण के विरूद्ध नंदीग्राम और सिंगूर में अपने नेतृत्व में छेड़े गये आंदोलन को याद करते हुए कहा कि भाजपा दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन को कमतर आंक कर वही भूल कर रही है. सीएम बनर्जी ने कहा, ‘माकपा ने किसानों की जमीन छीनने का प्रयास किया था. भाजपा किसानों की फसल छीनने का प्रयत्न कर रही है.’

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बीजेपी काले को सफेद करने वाला वाशिंग पाउडर है

दूसरे दलों के नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करने को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते हुए ममता बनर्जी ने कटाक्ष किया कि बीजेपी देश में सबसे बड़ी कबाड़ पार्टी है. बीजेपी कोई राजनीतिक दल नहीं है बल्कि काले को सफेद करने वाला वाशिंग पाउडर है… वह तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को अपने में शामिल करने के वास्ते पैसे और धमकियों का इस्तेमाल कर रही हैं. अपनी पार्टी के दल-बदल का जिक्र करते हुए ममता ने कहा कि बीजेपी भले ही कुछ नेताओं को खरीद ले लेकिन वह बंगाल के लोगों को खरीद नहीं सकती. सीएम बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस लगातार तीसरी बार जीतकर सत्ता में आयेगी और भाजपा का सफाया हो जाएगा.

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शुभेंदु अधिकारी के छोटे भाई और पिता नहीं पहुंचे ममता की रैली में

बीते माह दिसम्बर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने बाद में अपने छोटे भाई सौमेंदु को भी बीजेपी में शामिल करा लिया. वहीं शुभेंदु अधिकारी के छोटे भाई दिब्येंदु और पिता शिशिर अधिकारी अभी भी टीएमसी से तमुक और कांथी से लोकसभा सदस्य है. लेकिन दोनों ही सोमवार को हुई ममता बनर्जी की रैली में नहीं पहुंचे, जिसके बाद से कयासों का दौर जारी है. इन अधिकारी बंधुओं का पूर्व और पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा, पुरुलिया, झारग्राम और बीरभूम तथा अल्पसंख्यक बहुल मुर्शिदाबाद जिले के कम से कम 40-45 विधानसभा क्षेत्रों में अच्छा खासा प्रभाव है. बता दें, पश्चिम बंगाल में आगामी अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं.

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