संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा निलंबित किए जाने के बाद चढूनी ने किसान नेता कक्का को बताया RSS का एजेंट

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को विपक्षी पार्टियों से मुलाक़ात के बाद किया गया निलंबित, चढूनी ने कहा- 'मेरे खिलाफ कार्यवाही शिवकुमार कक्का के इशारे पर हुई', किसान आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी आंदोलन में टेरर फंडिंग की कर रही है जांच, किसान संगठन का कहना-'उनसे जुड़ा कोई नेता या कार्यकर्ता NIA के सामने नहीं होगा पेश'

Kakka Chaduni
Kakka Chaduni

Politalks.News/FarmersProtest. पिछले 50 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर देश भर के किसान आंदोलन कर रहे हैं. नए कृषि कानूनों के खिलाफ एक जुट दिखने वाले किसानों में अब आंतरिक कलह का ज्वार उठ चुका है. देश भर के 40 से ज्यादा किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहें हैं, लेकिन अब इनके बीच सबकुछ ठीक नहीं लग रहा. भारतीय किसान यूनियन के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी को संयुक्त किसान मोर्चा ने निलंबित कर दिया है. चढूनी को 19 जनवरी को केंद्र सरकार से होने वाली बैठक से भी बाहर रखा जाएगा. आरोप है कि गुरनाम सिंह चढूनी ने राजनीतिक पार्टियों के साथ दिल्ली में एक सम्मेलन किया था. जिसके चलते संयुक्त किसान मोर्चा ने चढूनी को निलंबित कर दिया. तो वहीं अपने खिलाफ हुई कार्यवाही को लेकर चढूनी ने किसान नेता शिवकुमार कक्का को RSS का एजेंट बता दिया.

किसान नेता शिवकुमार कक्का के मुताबिक गुरनाम सिंह चढूनी पिछले कुछ दिनों से विपक्षी पार्टियों से दिल्ली के मावलंकर हॉल में मुलाकात कर रहे थे और उनकी बैठकों में शामिल हो रहे थे. वहीं किसान मोर्चे की बैठक से नदारद रहे थे. अपने खिलाफ हुई कार्यवाही से नाराज गुरनाम सिंह चढूनी ने शिव कुमार कक्का पर बड़ा आरोप लगाते हुए उन्हें RSS का एजेंट बता दिया और कहा कि उनके खिलाफ जो कार्यवाही हुई है वो कक्का के इशारे पर ही हुई है.

यह भी पढ़ें: किसानों के बहाने तोमर, गांधी और बादल साध रहे निशाने, सरकार जुटी 26 से पहले आंदोलन को निपटाने

बताया जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों की इस बैठक में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और उदित राज समेत आम आदमी पार्टी और अकाली दल डेमोक्रेटिक के नेता भी शामिल हुए. चढ़ूनी पर आरोप है कि उन्होंने किसान आंदोलन में राजनीतिक दलों का समर्थन मांगा, इससे संयुक्त किसान मोर्चा नाराज़ है.

गुरनाम सिंह चढूनी के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए 7 सदस्य समिति बनाई गई है. समिति के सामने चढूनी को अपना पक्ष रखना होगा. जांच पूरी होने तक संयुक्त किसान मोर्चा की आंतरिक बैठकों और केंद्र सरकार के साथ होने वाली बैठक से चढ़ूनी बाहर भी रहेंगे. वहीं चढू़नी ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है

यह भी पढ़ें: रोमांचक हुआ बंगाल का सियासी घमासान, टीएमसी-बीजेपी की कांटे की टक्कर के बीच शिवसेना की हुई एंट्री

अपने खिलाफ अपने आरोपों पर गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा ”इस तरह की बातें अफवाह हैं, आंदोलन गैरराजनीतिक रहेगा. विपक्षी दलों के नेताओं को एक साथ ‘जन-संसद’ बुला कर आवाज उठाने के लिए संपर्क करने के लिए समाजसेवियों की एक कमिटी बनी जिसमें मुझे भी शामिल किया गया. नेताओं को भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए. इससे आंदोलन को नुकसान नहीं होगा बल्कि फायदा होगा. अलग अलग मंचों से बात होगी तो सरकार पर दबाव बढ़ेगा.चढूनी ने कहा, संयुक्त किसान मोर्चा की कमिटी बुलाएगी तो जाऊंगा और अपनी बात रखूंगा. उन्होंने मुझ पर बिना बुलाए कार्रवाई कर दी. अगर कहेंगे तो मैं अपनी बात वापस ले लूंगा. लेकिन इस विवाद का आंदोलन पर कोई असर नहीं होगा. कुछ गलत लोग बीच में आ गए. मध्यप्रदेश के किसान नेता शिव कुमार उर्फ कक्का जी आरएसएस एजेंट हैं. ऐसे लोग फूट डालना चाहते हैं लेकिन इनके मंसूबे कामयाब नहीं होंगे.”

चढ़ूनी के आरोपों पर शिव कुमार कक्का ने कहा कि वे आपने गिरेबान में झाकें. संयुक्त किसान मोर्चा से निलंबन की कार्रवाई के कारण चढूनी ऐसा बयान दे रहे हैं. कक्का जी ने कहा कि कल की बैठक में चढूनी को निलंबित कर दिया गया है, उन्हें टर्मिनेट करने की कार्रवाई पर कमेटी आज शाम तक फैसला करेगी.

यह भी पढ़ें: महाटीकाकरण अभियान की हुई शुरुआत, कांग्रेस के सवालों पर बीजेपी बोली- पहले उतारें इटली मेड चश्मा

वहीं चढूनी के बयान पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि ”सयुंक्त किसान मोर्चा, चढूनी द्वारा बुलाई ‘समस्त राजनैतिक दलों की बैठक’ से संबंध नहीं रखता है. सयुंक्त किसान मोर्चा चढूनी द्वारा राजनीतिक दलों के साथ की जा रही गतिविधियों से संबंध नहीं रखता है. हम राजनैतिक दलों के साथ चढूनी की चल रही गतिविधियों पर ध्यान देने के बाद, कल मोर्चे की एक आम सभा में चर्चा करेंगे. हमने एक समिति का गठन किया है जो इस मामले में जांच करेगी और 3 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी. इसके बाद सयुंक्त किसान मोर्चा आगे के कदम उठाएगा.’

वहीं किसान आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी आंदोलन में टेरर फंडिंग की जांच कर रही है. किसान आंदोलन से जुड़े 50 से ज्यादा लोगों को NIA की ओर से समन भेजे गए हैं. इससे खफा किसान संगठनों ने कहा कि उनसे जुड़ा कोई नेता या कार्यकर्ता NIA के सामने पेश नहीं होगा. बता दें कि 19 जनवरी को केंद्र सरकार औऱ किसान नेताओं के बीच भी बैठक होनी है. किसान नेताओं ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का भी ऐलान किया है.

Leave a Reply