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लोकसभा चुनाव के रण में ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने पूरा जोर लगा रखा है. राजस्थान में दोनों ही पार्टियां ‘मिशन-25’ के साथ मैदान में हैं. इसे हासिल करने के लिए दिग्गज नेता जमकर पसीना बहा रहे हैं. वैसे तो दोनों पार्टियों की सभी सीटों पर नजर है, लेकिन जोधपुर सीट पर फोकस सबसे ज्यादा है. जोधपुर से बीजेपी ने मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को मौका दिया है.

अब तक के चुनाव प्रचार में यह माना जा रहा था कि यह सीट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से बदले घटनाक्रम के बाद अब ऐसा लगने लगा है कि बीजेपी नेतृत्व ने भी जोधपुर की सीट को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीजेपी प्रत्याशी गजेंद्र सिंह शेखावत के समर्थन में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 अप्रैल को आम सभा को संबोधित करने वाले हैं. शहर के रावण चबूतरा मैदान में आयोजित होने वाली इस आम सभा को सफल बनाने के लिए कार्यकर्ताओं को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं और बीजेपी ने इस आम सभा में एक लाख से अधिक लोगों को इस आमसभा में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

वहीं अब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जोधपुर में 26 अप्रैल को रोड शो करेंगे. यह पहली बार होगा जब एक ही चुनाव में एक ही सीट पर बीजेपी पार्टी के दोनों शीर्षस्थ नेता प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करने के लिए आएंगे. याद दिला दें कि पॉलीटॉक्स ने पहले भी अपने खबरों में इस बात का जिक्र किया है कि केंद्रीय मंत्री होने के बाद जहां गजेंद्र सिंह को अन्य सीटों पर जाकर चुनावी प्रचार की जिम्मेदारी ​अपने कंधों पर उठानी थी, वहीं अब केंद्रीय नेतृत्व को खुद उनकी सीट बचाने के लिए मैदान में उतरना पड़ रहा है.

जोधपुर की यह लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए तो प्रतिष्ठा का सवाल है क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं. गहलोत न केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं बल्कि देश की राजनीति में भी उनका काफी बड़ा नाम है. ऐसा माना जाता है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में राहुल गांधी के बाद दूसरा सबसे बड़ा नाम अशोक गहलोत का है. ऐसे में अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र में वैभव गहलोत की हार और जीत उनके लिए कई मायनों में अहम होगी.

वहीं बीजेपी ने भी अब इस सीट को प्रतिष्ठा का सवाल बनाया है. इस सीट को जीतकर बीजेपी एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास कर रही है. यदि बीजेपी प्रत्याशी गजेंद्र सिंह शेखावत यहां से विजयी होते हैं तो उनका कद निश्चित रूप से राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ेगा. साथ ही पूरे देश में यह संदेश देने का प्रयास किया जाएगा कि बीजेपी ने कांग्रेस के मुख्यमंत्री के गृह जिले में जाकर सियासी स्ट्राइक की है.

चुनावी माहौल को पूरी तरह से अपने पक्ष में करने के लिए अब बीजेपी नई रणनीति पर विचार कर रही है. 22 अप्रैल को नरेंद्र मोदी की सभा से कार्यकर्ताओं में जोश का संचार करने का प्रयास होगा तो वहीं चुनाव से महज 2 दिन पहले अमित शाह का जोधपुर का दौरा कई मायनों में अहम माना जा रहा है. अमित शाह संगठन मैनजमेंट के गुरु माने जाते हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जिस तरह से उन्होंने बूथ मैनेजमेंट का सिस्टम पार्टी में लागू किया, उसी का परिणाम है कि आज पार्टी लगातार अपना दायरा बढ़ा रही है.

अमित शाह जब जोधपुर आएंगे तो रोड शो के साथ ही वह यहां के संगठन के कार्यकर्ताओं में भी जान फूंकने का प्रयास करेंगे. अमित शाह का पूरा प्रयास होगा कि माइक्रो लेवल पर जाकर बूथ मैनेजमेंट किया जाए और कार्यकर्ताओं में यह भावना जागृत की जाए की बूथ जीता तो चुनाव जीता. यदि बीजेपी अपनी इस रणनीति में सफल होती हैं तो पार्टी के लिए यहां से उत्साहजनक परिणाम सामने आ सकते हैं.

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