Wednesday, January 22, 2025
spot_img
Homeलोकसभा चुनावबिना चुनाव लड़े देवी सिंह भाटी बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचा रहे...

बिना चुनाव लड़े देवी सिंह भाटी बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं?

Google search engineGoogle search engine

बीकानेर लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. बीजेपी से अर्जुनराम मेघवाल और कांग्रेस से मदन गोपाल मेघवाल यहां से उम्मीदवार हैं. हालांकि बीजेपी के कद्दावर नेता रहे देवीसिंह भाटी का नाम इस लिस्ट में नहीं है. उसके बाद भी इस चुनाव को किसी ने सर्वाधिक प्रभावित किया है तो वो हैं- देवीसिंह भाटी. कहने को तो भाटी सिद्धांत की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि वो श्रीकोलायत में हुई भितरघात का हिसाब चुकता करने में लगे हैं. जितनी शिद्दत के साथ उनको श्रीकोलायत में हराने के लिए काम हुआ था, उससे कई गुना अधिक मेहनत व दृढ़शक्ति के साथ भाटी यहां बीजेपी प्रत्याशी को हराने में जुटे हैं.

भाटी श्रीकोलायत से सात बार विधायक रहे हैं लेकिन बीकानेर लोकसभा की आठों विधानसभा क्षेत्रों में उनका दखल है. कहीं ज्यादा-कहीं कम लेकिन उनका प्रभाव हर कहीं देखने को मिलेगा. इस दौरान भाटी ने अपने विरोध अभियान में कहीं भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध नहीं किया और न ही कभी बीजेपी के बारे में ज्यादा बोला है. वो सिर्फ और सिर्फ अर्जुनराम के विरोधी है. अगर वो पार्टी से निष्कासित नहीं होते तो शायद उनका विरोध श्रीकोलायत तक ही सीमित रहता लेकिन निष्कासन के बाद भाटी का विरोध पूरे संसदीय क्षेत्र में फैल रहा है.

दूसरी ओर, अर्जुनराम मेघवाल की टीम ने भाटी के विरोध को अपना हथियार बना लिया है. खासकर भाटी के बयान और उनके भाषण दलित वर्ग को बढ़ा-चढ़ाकर बताए जा रहे हैं ताकि भाटी के विरोध में उनका धुव्रीकरण हो सके. यह सफलता कितनी मिलती है, भविष्य के गर्त में है. वहीं भाटी के विरोध का कितना असर दिखेगा, यह भी बाद में ही पता चलेगा क्योंकि कुछ क्षेत्रों में खुद भाटी का विरोध हो रहा है.

बीकानेर पूर्व की सीट का बड़ा हिस्सा कभी श्रीकोलायत विधानसभा का क्षेत्र था. राजपूत बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण यहां भाटी राजपूत समाज के लोगों को प्रभावित करने में काफी हद तक सफल हो रहे हैं. भाटी समर्थकों का यह दावा निराधार नहीं है कि वर्ष 2014 के चुनाव में जीत जाते तो सत्ता में राजपूत समाज की भागीदारी बढ़ जाती. यहां कांग्रेस प्रत्याशी की ओर से कोई ज्यादा प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं. यहां तक की सिद्धि कुमारी को कड़ी टक्कर देने वाले कन्हैयालाल झंवर भी कहीं नजर नहीं आए. बीजेपी के लिए चिंता का विषय है कि क्षेत्र से उनकी विधायक सिद्धि कुमारी भी वोट बटोरने का प्रयास नहीं कर रही है.

श्रीकोलायत
श्रीकोलायत विधानसभा क्षेत्र में देवीसिंह भाटी का असर आज भी कायम है. यहां वें बीजेपी को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं. राजपूत समाज पर भाटी का खासा प्रभाव है. हालांकि इस बार उनकी पुत्रवधु पूनम कंवर दस हजार से अधिक वोटों से हार गई लेकिन ब्राह्मण व अन्य समाजों के लोग आज भी भाटी के साथ हैं. कांग्रेस के भंवरसिंह भाटी सत्ता में राज्य मंत्री है और उनका व्यवहार हर किसी को प्रभावित करता है. भाटी देशनोक में बीजेपी को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में हैं.

नोखा
नोखा में भाटी का विशेष असर फिलहाल नहीं दिख रहा लेकिन उन्होंने यहां बीजेपी के बिहारीलाल बिश्रोई को जीत दिलाने में भूमिका निभाई थी. अब बिहारी स्वयं देहात बीजेपी के अध्यक्ष है. नोखा में राजपूत समाज के वोट हैं और भाटी के समर्थक भी है लेकिन अर्जुनराम की खिलाफत का झंडा उठाने वाले लोग ज्यादा नहीं हैं. कभी देवीसिंह के खेमे में रहने वाले कन्हैयालाल झंवर भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. गौर करने वाली बात यह है कि झंवर न तो कांग्रेस के लिए प्रचार करते नजर आ रहे हैं और न बीजेपी प्रत्याशी की खिलाफ करते.

बीकानेर पश्चिम
देवीसिंह भाटी यहां जगह-जगह अर्जुनराम मेघवाल के खिलाफ सभाएं कर चुके हैं. बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भाटी का मजबूत स्तंभ पूर्व शहर अध्यक्ष रामकिशन आचार्य है. आचार्य और उनकी पूरी टीम शिद्दत के साथ भाटी के साथ लगी हुई है. यानि सीधे तौर पर बीजेपी प्रत्याशी का विरोध है. दूसरी ओर, युवा मतदाता ‘मोदी-मोदी’ का नारा लगा रहे हैं.

श्रीडूंगरगढ़
श्रीडूंगरगढ़ में स्वयं मेघवाल का विरोध है. ऐसे में विरोधियों को भाटी का समर्थन मिल गया है. बीजेपी प्रत्याशी रहे ताराचंद सारस्वत स्वयं मजबूत स्थिति में नहीं है. ऐसे में पार्टी को यहां संघर्ष करना पड़ेगा. पूर्व विधायक किशनाराम नाई यहां चुनाव को प्रभावित करते हैं लेकिन वो किसके साथ है, यह देखना होगा.

खाजूवाला
खाजूवाला में भी भाटी का अपना प्रभाव है. कांग्रेस यहां से पहले ही 30 हजार वोटों से बढ़त बना चुकी है. इतनी बढ़त तोड़ पाना बीजेपी के लिए चुनौती है. भाटी के खास रहे पूर्व विधायक डॉ.विश्वनाथ यहां से दो बार जीते लेकिन इस बार वो हार गए. अब वे अपनी पार्टी को कितना सहयोग कर पाएंगे, यह 23 मई को ही पता चल पाएगा.

लूणकरनसर
लूणकरनसर में भी स्थिति नोखा जैसी ही है. यहां विजयी रहे बीजेपी के सुमित गोदारा को भाटी का समर्थन मिला था लेकिन उन्हें भी पार्टी लाइन से आगे जाने की इजाजत नहीं है. सुमित गोदारा अपने बूते पर बीजेपी के लिए जी जान लगा रहे हैं. उनका यह प्रयास बीजेपी को कितनी बढ़त दिला पाता है, यह भविष्य के गर्त में छिपा है.

अनूपगढ़
श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल का विरोध है तो कांग्रेस प्रत्याशी मदन गोपाल मेघवाल से भी नाराजगी है. यहां भाटी की दखलंदाजी साफ नजर आ रही है. भाटी सिंचाई मंत्री काल के अपने संबंधों को अर्जुनराम की खिलाफत के लिए काम में ले रहे हैं.

Google search engineGoogle search engine
RELATED ARTICLES

Leave a Reply

विज्ञापन

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img