देशभर में हो रहे लोकसभा चुनाव का पांचवा चरण 6 मई को संपन्न होगा. राजस्थान में भी इस बार 2 चरणों में चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो रही है. पहले चरण के चुनाव 29 अप्रैल हो चुके हैं, जिसमें प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई. बाकी बची 12 सीटों पर 6 मई को वोट डाले जाएंगे. इन 12 सीटों में नागौर सीट पर सबसे दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है.
नागौर में जहां एक और मिर्धा परिवार की राजनीतिक दांव पर है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश की राजनीति में अपने बूते अलग तरह की धाक रखने वाले हनुमान बेनीवाल के राजनीतिक कौशल की भी परीक्षा है. आपको बता दें कि कांग्रेस ने नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा को नागौर के चुनावी रण में उतारा है जबकि बीजेपी ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी यानी आरएलपी के साथ गठबंधन करते हुए हनुमान बेनीवाल को मौका दिया है.
दोनों उम्मीदवार धुंआधार प्रचार में लगे हुए हैं. हनुमान बेनीवाल खुद की छवि और नरेंद्र मोदी का नाम लेकर वोट मांग रहे हैं तो ज्योति मिर्धा सांसद रहते हुए करवाए विकास कार्यों को गिनाकर वोट मांग रही हैं. प्रचार के इस प्रपंच के बावजूद चुनाव जाति की जाजम पर पसरता हुआ दिखाई दे रहा है. सबकी निगाह जाट और राजपूत समाज पर टिकी हुई हैं. राजनीति के जानकार यह मानकर चल रहे हैं कि इन दोनों जातियों का रुख ही इस चुनाव में हार-जीत तय करेगा.
दोनों उम्मीदवार जाट और राजपूतों को अपने-अपने पाले में लाने की मशक्कत कर रहे हैं. इस बीच यह सवाल भी नागौर की जनता के मन में उठ रहा है कि क्या एक बार फिर जाट और राजपूत एक मंच पर आकर राजनीति का नया अध्याय लिखेंगे. आपको बता दें कि प्रदेश की राजनीति में दिग्गज नेता रहे नाथूराम मिर्धा और कल्याण सिंह कालवी पहले भी दोनों जातियों को एक पाले में ला चुके हैं.
आमतौर पर जाट और राजपूत जातियों के बीच हमेशा तनाव की स्थिति रहती है, लेकिन राजनीति में कभी कोई स्थाई शत्रु और मित्र नहीं होता. क्या इस चुनाव में भी जाट और राजपूत एक जाजम पर बैठने वाले हैं? बता दें कि नागौर सीट पर लगभग 2 लाख राजपूत मतदाता हैं. वैसे तो राजपूतों को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है, लेकिन इस बार बीजेपी ने आरएलपी से गठबंधन कर हनुमान बेनीवाल को मैदान में उतारा है, जिनकी छवि कट्टर जाट नेता की रही है.
बेनीवाल के मैदान में आने के बाद से नागौर के राजपूत बीजेपी से छिटकते हुए दिखाई दे रहे हैं. कई राजपूत संगठन हनुमान बेनीवाल का विरोध करने के लिए मैदान में उतर चुके हैं. करणी सेना के लोकेंद्र सिंह कालवी भी बेनीवाल के खिलाफ वोट देने की अपील कर चुके हैं. दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत राजपूत समाज को बेनीवाल के पक्ष में करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं.
गौरतलब है कि गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. उनकी सीट पर पहले चरण में मतदान हो चुका है. हनुमान बेनीवाल ने उनके समर्थन में दो सभाओं को संबोधित करते हुए जाट समाज से गजेंद्र सिंह शेखावत के पक्ष में मतदान करने की अपील की थी. अब गजेंद्र सिंह शेखावत ने बेनीवाल का सियासी कर्ज उतारने के लिए नागौर में डेरा डाल रखा है.
गजेंद्र सिंह शेखावत हर भाषण में यह संदेश दे रहे हैं कि नागौर लोकसभा सीट से हनुमान बेनीवाल नहीं गजेंद्र सिंह शेखावत चुनाव लड़ रहा है. शेखावत भावुक अपील के जरिए एक बार फिर राजपूत समाज को भाजपा के पक्ष में खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं. यदि उनकी अपील ने असर किया तो नागौर में जाट-राजपूत एकता की नई मिसाल देखने को मिल सकती है. बहरहाल, सबको 6 मई को वोटिंग और 23 मई को काउटिंग का इंतजार है.