दैवीय शक्ति से संभव हुआ अयोध्या का फैसला- गोगोई की किताब में राम मंदिर फैसले पर ‘गजब खुलासे’

यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रंजन गोगोई की किताब लॉन्च, अपनी किताब में लिखा- सुनवाई के आखिरी दिन एक पर्ची मिली, लेकिन मैंने नहीं दी उसे इजाजत' फैसला टालने की कोशिश को लेकर मुद्दा बना सकती है यूपी में भाजपा, फैसले वाले दिन साथी जजों के साथ ताज मानसिंह में चाइनीज फूड के साथ ऑर्डर की गई थी महंगी वाइन', फैसले के बदले राज्यसभा सीट और अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोपों पर भी लिखा गोगोई ने, स्वीकार की गलती

यूपी चुनाव से ठीक पहले रंजन गोगोई की किताब लॉन्च
यूपी चुनाव से ठीक पहले रंजन गोगोई की किताब लॉन्च

Politalks.News/Delhi. देश की राजनीति को एक अलग दिशा देने वाले बहुचर्चित अयोध्या (Ayodhya) में रामजन्म भूमि (Ram Janam Bhoomi) विवाद मामले में आए ऐतिहासिक फैसले पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) की किताब ‘सन राइज ओवर अयोध्या‘ के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की बुक लॉन्च हुई है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ex-CJI Ranjan Gogoi) ने ही अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर यह ऐतिहासिक फैसला दिया था. इसके बाद ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो पाया. गोगोई ने अपनी इस किताब में कई बड़े खुलासों के बीच लिखा है कि दैवीय शक्ति ने ही अयोध्या मामले में फैसले को संभव किया है. जस्टिस रंजन गोगोई ने अपनी किताब ‘जस्टिस फॉर द जज’ (Justice For The judge) में रामजन्म भूमि के मुकदमे से जुड़ी कई घटनाओं का जिक्र किया है.

इसके अलावा कॉलेजियम के कई विवादित फैसलों और जज के रूप में तमाम रोचक बातों का भी पूर्व सीजेआई और वर्तमान में राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई की इस किताब में कलेक्शन है. आपको बता दें, बीते रोज बुधवार को नेहरू मेमोरियल न्यूजिम एंड लाइब्रेरी में गोगोई की आत्मकथा का विमोचन पूर्व चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने किया. गौरतलब है कि राम जन्मभूमि और राफेल के फैसले, यौन उत्पीडन के आरोपों के साथ ही राज्यसभा का टिकट मिलने को लेकर गोगोई काफी सियासी चर्चाओं में रहे हैं. वहीं अब इस किताब के लॉन्चिंग टाइम को लेकर यानी उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गोगोई की इस किताब का लॉन्च होना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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अयोध्या पर फैसला मानवता के इतिहास में योगदान का बड़ा अवसर था- गोगोई
आपको बता दें, पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने 40 दिन तक लगातार सभी पक्षों की जिरह सुनने के बाद श्रीराम जन्म भूमि विवाद पर फैसला दिया था. अब सांसद रंजन गोगोई ने अपनी किताब में लिखा है कि, ‘यह भारत की न्यायपालिका का मानवता के इतिहास में योगदान का बड़ा अवसर था. इस फैसले के द्वारा उससे दुनियाभर के समुदायों में धार्मिक टकरावों को शांतिपूर्ण और न्यायिक ढंग से सुलझाने की इच्छा जगाने की अपेक्षा की गई थी’.

‘सुनवाई को टालने के भी किए गए बहुत प्रयास, अंत समय आई थी एक पर्ची’

जस्टिस रंजन गोगोई ने अपनी किताब में बड़ा खुलासा करते हुए लिखा है कि, ‘जन्मभूमि विवाद की सुनवाई को टालने के भी बहुत प्रयास किए गए’. सुनवाई के अंतिम दिन का वाक्या बताते हुए गोगोई ने लिखा कि, ‘उस दिन दोपहर में सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल की पर्ची मिली कि अयोध्या केस में एक पक्ष का प्रतिनिधि सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश की इजाजत मांग रहा है’. इस पर सेक्रेटरी जनरल को जवाब दिया कि, ‘उसे न आने दिया जाए, यह शख्स सेक्रेटरी जनरल या रजिस्ट्री के माध्यम से आना चाह रहा था, मुझे उसके इरादे ठीक नहीं लगे. वह सुनवाई में बाधा डालना चाहता था. अगर उसे ऐसा करने दिया जाता तो शायद सुनवाई स्थगित करनी पड़ती‘.

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फैसले के बाद ताज मानसिंह में साथी जजों के साथ किया डिनर, ऑर्डर की महंगी वाइन

रंजन गोगोई ने अपनी किताब में लिखा कि, ‘9 नवंबर, 2019 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सर्वसम्मति से फैसला सुनाने के बाद, फैसला सुनाने वाली बेंच के अन्य न्यायाधीशों के साथ होटल ताज मानसिंह में डिनर किया था. साथ ही उस दौरान सबसे अच्छी वाइन का ऑर्डर किया गया था’. गोगोई ने लिखा कि, ‘हमने चाइनीज खाना खाया और वहां उपलब्ध सबसे अच्छी वाइन की एक बोतल ली’.

अयोध्या फैसले के एवज में मिली राज्यसभा सीट? जानें क्या बोले गोगोई

अपनी आत्मकथा ‘जस्टिस फॉर द जज’ के विमोचन के मौके पर पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई ने विवादित मुद्दे समेत कई मसले पर खुलकर बात की. गोगोई ने 46वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान राज्यसभा की सदस्यता के एवज में अयोध्या पर फैसला सुनाने संबंधी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. आपको बता दें कि अयोध्या मामले में तत्कालीन सीजेआई गोगोई की अगुवाई में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था. जिसमें रंजन गोगोई के साथ जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नज़ीर भी शामिल थे.

‘हम सब करते हैं गलतियां, इसे कबूलने में नहीं है कोई नुकसान’

अपने पर लगे यौन उत्पीडन के मामले में पूर्व सीजेआई ने कहा कि, ‘अप्रैल 2019 में मेरे खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था. तब मुझे अपने खिलाफ आरोपों की सुनवाई वाले पैनल में बतौर जज शामिल नहीं होना चाहिए था. हम सब गलतियां करते हैं, इसे कबूलने में कोई नुकसान नहीं है. मेरे साढ़े 4 दशक के करियर पर दाग लगाया जा रहा था, इसलिए मुझसे भी यह गलती हुई‘.

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पूर्व कर्मचारी ने लगाए थे यौन उत्पीड़न के आरोप

साल 2019 में उच्चतम न्यायालय की एक पूर्व कर्मचारी ने न्यायमूर्ति गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जिसका स्वत: संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित की थी. बाद में गोगोई को न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक आंतरिक समिति ने क्लीन चिट दे दी थी.

उत्तरप्रदेश की राजनीति पर असर!

बीजेपी से राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई की इस किताब ने अयोध्या राम जन्मभूमि को लेकर बरसों से चली आ रही स्थानीय राजनीति में भी हलचल पैदा कर दी है. सियासी गलियारों में इस किताब की लॉन्चिंग के समय को लेकर जबरदस्त चर्चा है. यूपी में रामजन्मभूमि मुद्दे को लेकर सियासत गर्म हो सकती है. इस किताब का जिक्र वहां के चौराहों पर हो रहा है. किताब के पक्ष और विपक्ष में लोगों के बीच चर्चा की जा रही है. गोगोई ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए जिस निर्णय ने सारे रास्ते खोले उसका इस किताब में विस्तार से वर्णन किया गया है. पनी इस किताब में अयोध्या मुद्दे को लेकर कई रोचक खुलासे किए हैं. इसके बाद से अयोध्या मंदिर को लेकर राजनीतिक चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. यकीनन विधानसभा चुनाव 2022 में भी इस विषय को लेकर कुछ समीकरण बन सकते हैं. भाजपा राम जन्मभूमि मामले को कोर्ट में अटकाने को लेकर अन्य विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगाती आई है. अब गोगोई का फैसले के अंतिम समय में भी मामले को लटकाने का प्रयास किए जाने की जिक्र करना यूपी की राजनीति में मुद्दा बनना तय है.

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