पीएम मोदी की गुलाम नबी को सदन से दी गई भावभीनी विदाई के बीच आठवले ने दिया आजाद को न्यौता

राज्यसभा में भावुक हुए पीएम मोदी, नम आँखों से गुलाम नबी आजाद को किया सेल्यूट, तो रामदास अठावले ने ली चुटकी, कहा- अगर कांग्रेस आपको वापस नहीं लाती है, तो, हम इसे करने के लिए तैयार हैं, इस सदन को आपकी जरूरत है

Pm Modi To Gulam Nabi
Pm Modi To Gulam Nabi

Politalks.News/RajySabha. कांग्रेस के दिग्गज नेता, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद समेत 4 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल आने वाली 15 फरवरी को समाप्त होने जा रहा है. मंगलवार को इन सांसदों की अंतिम विदाई के दौरान राज्यसभा का माहौल काफी भाव विभोर रहा. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भावुक होते पीएम मोदी ने आज़ाद को अंतिम विदाई दी. पीएम मोदी ने भावुक स्वर में कहा कि ‘मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी जी के बाद जो भी इस पद को संभालेंगे, उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्कत पड़ेगी. क्योंकि गुलाम नबी जी जितनी अपने दल की चिंता करते थे, उतनी ही देश और सदन की भी चिंता करते थे.’ आपको बता दें, गुलाम नबी आजाद के साथ शमशेर सिंह, मीर मोहम्मद फैयाज, नजीर अहमद ने भी आज राज्यसभा को अंतिम बार संबोधित किया.

चारों सांसदों को अंतिम विदाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं आप चारों महानुभावों को इस सदन की शोभा बढ़ाने के लिए, आपके अनुभव, आपके ज्ञान का सदन को और देश को लाभ देने के लिए और आपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान के लिए आपके योगदान का धन्यवाद करता हूं.

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पीएम मोदी ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की खूब तारीफ की और एक आंतकी घटना का जिक्र करते हुए भावुक हो गए और कहा कि वे एक मित्र के रूप में गुलाम नबी जी का घटनाओं और अनुभव के आधार पर आदर करते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि जब आप मुख्‍यमंत्री थे, मैं भी एक राज्‍य के मुख्‍यमंत्री के नाते काम करता था. हमारी बहुत गहरी निकटता रही है उस कालखंड में. शायद ही कोई ऐसी घटना मिल सकती है जबकि हम दोनों के बीच में कोई संपर्क-सेतु न रहा हो.

पीएम मोदी ने बताया कि एक बार गुजरात के यात्री क्‍योंकि जम्‍मू–कश्‍मीर में जाने वाले टूरिस्‍ट में गुजरात का बहुत बड़ा नंबर रहता है और टेरेरिस्‍टों ने उन पर हमला कर दिया. करीब आठ लोग शायद मारे गए. सबसे पहले गुलाम नबी जी का मुझे फोन आया और वो फोन सिर्फ सूचना देने का नहीं था. उनके आंसू रुक नहीं रहे थे फोन पर. उस समय प्रणब मुखर्जी साहब डिफेंस‍ मिनिस्‍टर थे. मैंने उनको फोन किया, मैंने कहा- साहब अगर फोर्स का हवाई जहाज मिल जाए डेड बॉडीज को लाने के लिए, रात देर हो गई थी. मुखर्जी साहब ने कहा आप चिंता मत कीजिए, मैं करता हूं व्‍यवस्‍था. लेकिन रात में फिर गुलाम नबी जी का फोन आया- वे एयरपोर्ट पर थे. उस रात को एयरपोर्ट से उन्‍होंने मुझे फोन किया और जैसे अपने परिवार के सदस्‍य की चिंता करते हैं वैसी चिंता…..

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भावुक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगे कहा कि पद, सत्‍ता जीवन में आती रहती हैं लेकिन उसे कैसे निभाना है, यह महत्वपूर्ण होता है…मेरे लिए बड़ा भावुक पल था वो. दूसरे दिन सुबह फोन आया कि वो कि सब लोग पहुंच गए? इसलिए एक मित्र के रूप में गुलाम नबी जी का घटना और अनुभवों के आधार पर मैं आदर करता हूं और मुझे पूरा विश्‍वास है कि उनकी सौम्‍यता, उनकी नम्रता, इस देश के लिए कुछ कर गुजरने की उनकी कामना, वो कभी उनको चैन से बैठने नहीं देगी और मुझे विश्‍वास है कि जो भी दायित्‍व, जहां भी वो संभालेंगे, वे जरूर value addition करेंगे, contribution करेंगे, और देश उनसे लाभान्वित भी होगा, ऐसा मेरा पक्‍का विश्‍वास है. मैं फिर एक बार उनकी सेवाओं के लिए आदरपूर्वक धन्‍यवाद करता हूं और व्‍यक्तिगत रूप से भी मेरा उनसे आग्रह रहेगा कि मन से मत मानो कि अब आप इस सदन में नहीं हो. आपके लिए मेरे द्वार हमेशा खुले हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि बहुत साल पहले की बात है, शायद अटलजी की सरकार होगी मुझे याद नहीं रहा, मैं यहां सदन में किसी काम से आया था. मैं तो तब राजनीति में नहीं था, यानी ये electroal politics में नहीं था, मैं संगठन का काम करता था, तो मैं और गुलाम नबी जी ऐसे ही लॉबी में गप्‍पें मार रहे थे और जैसा पत्रकारों का स्‍वाभाव रहता है, बराबर नजर लगाए बैठे थे कि ये इन दोनों का मेल कैसे हो सकता है. हम हंसी-खुशी से बातें कर रहे थे, तो हम जैसे ही निकले तो पत्रकारों ने घेर लिया. गुलाम नबी जी ने बहुत बढ़िया जवाब दिया था. वो जवाब हम लोगों के लिए बहुत काम आने वाला है. उन्‍होंने कहा, भई देखिए आप लोगों हमको अखबारों में या टीवी माध्‍यमों में या पब्लिक मीटिंग में लड़ते-झगड़ते देखते हो लेकिन सचमुच में इस छत के नीचे हम जैसे एक परिवार का वातावरण कहीं नहीं होता है. इतनी हमारी आत्‍मीयता होती है, इतने सुख-दुख होते हैं. ये जो स्पिरिट है, वो स्पिरिट अपने-आप में बहुत बड़ी बात होती है.

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पीएम मोदी ने कहा कि इन चारों मान्‍य सदस्‍यों के लिए मेरे घर के दरवाजे हमेशा खुले हैं. आपके विचार, आपके सुझाव, क्‍योंकि देश में सब बहुत जरूरी होता है. ये अनुभव बहुत काम आता है. मुझे मिलता रहेगा ये अपेक्षा मैं रखता ही रहूंगा. आपको मैं निवृत्त तो होने नहीं दूंगा. फिर एक बार बहुत शुभकामनाएं.

वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के नेता रामदास आठवले ने मजाकिया अंदाज में गुलाम नबी आजाद को अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया. अठावले ने कहा कि आपको (गुलाम नबी आजाद) सदन में वापस आना चाहिए. अगर कांग्रेस आपको वापस नहीं लाती है, तो, हम इसे करने के लिए तैयार हैं. इस सदन को आपकी जरूरत है.

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अंत में गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में अपना अंतिम भाषण दिया और भावुक होते हुए कहा कि ‘नवंबर 2005 में जब सीएम बना. मई में जब दरबार कश्मीर में खुला तो मेरा स्वागत गुजरात के मेरे भाई-बहनों की कुर्बानी से हुआ. वहां मिलिटेंट्स का स्वागत करने का यही तरीका था. वे बताना चाहते थे कि हम हैं, गलतफहमी में न रहना. निशात बाग में एक बस पर लिखा था कि वो गुजरात से है. उसमें 40-50 गुजराती टूरिस्ट सवार थे. उसमें ग्रेनेड से हमला हुआ. एक दर्जन से ज्यादा लोग वहीं हताहत हुए. मैं फौरन वहां पहुंचा. मोदीजी ने डिफेंस मिनिस्टर से बात की, मैंने प्रधानमंत्रीजी से बात की.’

‘जब मैं एयरपोर्ट पर पहुंचा तो किसी की मां, किसी का पिता मर गया था. वे बच्चे रोते-रोते मेरी टांगों से लिपट गए, तो जोर से मेरी चीख निकल गई. या खुदा, ये तुमने क्या किया. मैं कैसे जवाब दूं उन बच्चों को, उन बहनों को, जो यहां सैर-तफरीह के लिए आए थे और आज मैं उनके माता-पिता की लाशें लेकर उनके हवाले कर रहा हूं. (आजाद भावुक हो गए) आज हम अल्लाह से, भगवान से यही दुआ करते हैं कि इस देश से मिलिटेंसी खत्म हो जाए, आतंकवाद खत्म हो जाए. सिक्युरिटी फोर्सेस, पैरामिलिट्री, पुलिस के कई जवान मारे गए, क्रॉस फायरिंग में कई सिविलियंस मारे गए, हजारों माएं और बेटियां बेवा हैं, कश्मीर के हालात ठीक हो जाएं.’

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