प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात से सटी उदयपुर सीट पर लोगों की जुबान से स्थानीय मुद्दे गायब हैं और मोदी का शोर है. ‘पॉलिटॉक्स’ ने यहां के सैकड़ों लोगों से बात की और ज्यादातर ने मोदी को वोट देने की बात कही. इनमें से कई ने मौजूदा सांसद अर्जुनलाल मीणा के कामकाज को अच्छा नहीं बताया, फिर भी मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उन्हें फिर से वोट देने की बात कही. 
 
जनता के इस रुख से बीजेपी उम्मीदवार अर्जुन मीणा का चेहरा चमका हुआ है और कांग्रेस प्रत्याशी रघुवीर मीणा मायूस हैं. एक दौर था जब यह सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. अब तक हुए 16 चुनाव में कांग्रेस ने 10 बार जीत दर्ज की है लेकिन ये आंकड़े रघुवीर मीणा का हौसला नहीं बढ़ा रहे. कांग्रेस के कार्यकर्ता खुले मन से यह स्वीकार कर रहे हैं कि मुकाबले में पार्टी की स्थिति कमजोर है.
 
डॉ. सीपी जोशी और गिरिजा व्यास की नाराजगी के चलते रघुवीर मीणा अकेले ही चुनाव की कमान संभाले हुए हैं. रही-सही कसर विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर जीत दर्ज कर सबको चौंका देने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी बीटीपी की सक्रियता ने पूरी कर रखी है. बीटीपी ने बिरधी लाल को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस को यह आशंका है कि बिरधी लाल आसपुर और खेरवाड़ा विधानसभा क्षेत्रों में रघुवीर मीणा के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे.
 
मतदान से पहले ही खुद को मुकाबले से बाहर मान रही कांग्रेस संघर्ष की स्थिति तक पहुंचने के जतन कर रही है. पार्टी के उम्मीदवार रघुवीर मीणा को यह डर सता रहा है कि पिछले चुनाव की तरह मुकाबला एक तरफा नहीं हो जाए. आपको बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अर्जुन मीणा ने कांग्रेस के रघुवीर मीणा को 2,36,762 मतों के भारी अंतर से पराजित किया था. अर्जुन को 6,60,373 वोट तो रघुवीर को 4,23,611 वोट मिले थे. 
 
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित यह सीट आदिवासी बाहुल्य है. यहां लगभग 20 लाख मतदाता हैं. इनमें 55 से 60 प्रतिशत एसटी वर्ग, 10 प्रतिशत ओबीसी, 7 प्रतिशत ब्राह्मण, 6 प्रतिशत राजपूत और 5 प्रतिशत अल्पसंख्यक वर्ग के वोटर हैं. पहले के चुनावों के ट्रेंड पर नजर डालें तो राजपूत, ब्राह्मण, वैश्यों का झुकाव बीजेपी के पक्ष में और जाट, गुर्जर, मीणा और दलितों का झुकाव कांग्रेस के पक्ष में रहा है. वहीं अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जातियों का मत स्थानीय समीकरण के हिसाब से दोनों दलों में बंटता रहा है. 
 
उदयपुर लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर भी आदिवासी मीणा समुदाय के वोटर सर्वाधिक हैं. बीटीपी के मुकाबले में आने के बाद मीणा आदिवासी समाज के वोट तीन जगह बंटते हुए दिखाई दे रहे हैं. तीनों दल इसमें से ज्यादा संख्या अपने पक्ष में करने के लिए पसीना बहा रहे हैं. बीजेपी को उम्मीद है कि आदिवासी वोट बराबर बंटने पर भी उसका पलड़ा भारी रहेगा, क्योंकि बाकी जातियों के एकमुश्त वोट उसे मिलेंगे. 
 
बीजेपी उम्मीदवार अर्जुन मीणा की बात करें तो उनके चुनाव प्रचार की कमान पूरी तरह से नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के हाथों में है. वे ही अर्जुन के रणनीतिकार हैं. कटारिया का मेवाड़ में कितना प्रभाव है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सत्ता से बाहर होने के बावजूद इस क्षेत्र में पार्टी का प्रदर्शन कांग्रेस से अच्छा रहा.  
 
मेवाड़ और वागड़ में दोनों दलों के दिग्गज सभाएं कर चुके हैं. पीएम नरेंद्र मोदी की उदयपुर में सभा से बीजेपी के पक्ष में माहौल और पुख्ता हुआ है. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बेणेश्वर में सभा हो चुकी है. हालांकि इससे बाद भी कांग्रेस उत्साहित नहीं है. सत्ता होने के बावजूद राहुल की सभा में 30 हजार लोग बमुश्किल जुट पाए. 
 
ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि मतदान के दिन लोगों का रुख क्या रहता है. उदयपुर में बीजेपी के अनुकूल दिख रहा माहौल बरकरार रहता है या कांग्रेस मुकाबले में आने में सफल होती है? फिलहाल तो इस सीट पर बीजेपी का पलड़ा भारी दिख रहा है. 

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