Friday, January 17, 2025
spot_img
Homeविशेष रिपोर्टगृह मंत्री अमित शाह कैसे बीजेपी को 'अध्यक्ष' से भी ऊंचे मुकाम...

गृह मंत्री अमित शाह कैसे बीजेपी को ‘अध्यक्ष’ से भी ऊंचे मुकाम पर ले जा सकते हैं?

Google search engineGoogle search engine

अमित शाह ने कभी कहा था कि ‘बीजेपी के बिना मैं सार्वजनिक तौर पर कुछ भी नहीं हूं. अगर बीजेपी को मेरे जीवन से निकाल दिया जाए, तो सिर्फ़ ज़ीरो ही बचेगा. मैंने जो कुछ भी सीखा और देश को दिया है, सब बीजेपी का ही है.’ जाहिर है बीजेपी की सेवा उनका परम धर्म है और इसके लिए वे एड़ी-चोटी का जोर लगाने के साथ दिन-रात एक करते रहे हैं. लगातार दूसरी बार मोदी सरकार की केंद्र में वापसी में किसी भी लिहाज से इनकी भूमिका को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कमतर नहीं आंका जा सकता.

अब जब अमित शाह देश के नये गृह मंत्री बन चुके हैं, तो सवाल उठ रहे हैं कि अब उनकी भूमिका क्या होगी? जवाब है- जैसी भूमिका वह पहले नरेंद्र मोदी के लिए गुजरात में निभा चुके हैं, अब वही भूमिका वह केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के लिए निभाएंगे. गृह मंत्री बनने का अनुभव अमित शाह को पहले से रहा है. गौरतलब है कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने अमित शाह को गृहमंत्री बनाया था.

यानी भूमिका पहले-सी होगी, बस फ़र्क होगा राज्य और केंद्र का. छोटे स्तर और बड़े स्तर का. अब शाह समूचे देश के स्तर पर उस भूमिका को निभाएंगे, जो वह कभी गुजरात में निभा चुके हैं. यह अलग बात है कि इस भूमिका में वे जबरदस्त विवादों में भी रहे और फर्जी मुठभेड़ के मामले में उन्हें जेल तक जाना पड़ा.

बहरहाल, अमित शाह के बारे में एक चीज़ कही जाती है कि वे अपने निर्धारित लक्ष्य से कुछ भी कम हासिल करने के लिए आसानी से तैयार नहीं होते और लक्ष्य वह कई बार जाहिर कर चुके हैं- बीजेपी और उसकी विचारधारा को सबसे ऊंचे पायदान पर ले जाना. पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते उन्होंने इस दिशा में लगातार कड़ी मेहनत की.

इस मेहनत का परिणाम भी हासिल हुआ है कि आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजनीतिक संगठन बीजेपी की उपस्थिति उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक कायम हुई है. ऐसे में अब बीजेपी के इस सिपाही का अपने नये रोल यानी केंद्र सरकार में गृह मंत्री के रूप में ‘लक्ष्य’ क्या होगा? और उस लक्ष्य से बीजेपी को कैसे और मजबूत किया जा सकेगा?

बताया जा रहा है कि कुछ महत्वपूर्ण ‘लक्ष्यों’ को साधने के लिए ही अमित शाह को मोदी सरकार में नंबर दो की हैसियत में शामिल किया गया है, जबकि पहले उनके वित्त मंत्री बनने के कयास लगाये जा रहे थे. गृह मंत्रालय के बारे में कहा जाता रहा है कि इसकी कमान मिलने का मतलब है सरकार में नंबर दो का रुतबा.

रक्षा मंत्रालय का नंबर इसके बाद ही आता है, जहां मोदी के पहले कार्यकाल में गृहमंत्री रहे राजनाथ सिंह को बिठाया गया है. यह फैसला कइयों के लिए चौंकाने वाला था, लेकिन अब इसी भूमिका में रहकर अमित शाह आगे भी लोगों को चौंकायेंगे और बीजेपी के लिए चौंकाने वाली उपलब्धियां अर्जित करने का प्रयास करेंगे.

पूरी संभावना है कि अपनी नई भूमिका में अमित शाह का मुख्य ध्यान कश्मीर में धारा 370, 35 ए, नक्सलवाद, आंतरिक सुरक्षा, समान नागरिक संहिता, एनआरसी, कुछ राज्यों की अस्थिरता आदि जैसे मुद्दों पर होगा. माना जा रहा है कि वैसे मुद्दों पर, जो बीजेपी के एजेंडे में होने के बावजूद मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उचित प्रतनिधित्व नहीं पा सके, अब नई सरकार में उन पर गंभीर पहल होगी.

अमित शाह चुनाव प्रचार के दौरान स्वयं भी कहते रहे हैं कि बीजेपी सरकार दोबारा आई तो कश्मीर में धारा 370 को खत्म करेगी. यानी ये ऐसे मसले हैं, जिन पर कदम बढ़ाकर बीजेपी अपनी लोकप्रियता को और उफान पर ले जा सकती है. स्वाभाविक है कि बीजेपी की तैयारी अमित शाह के जरिये इस दिशा में बढ़ने की हिम्मत जुटाने की है. तभी उन्हें गृह मंत्री बनाया गया है.

अगर वाकई अमित शाह इन विवादास्पद मुद्दों पर आगे बढ़कर इन्हें अंजाम तक पहुंचाने में कामयाब हुए, तो बीजेपी के लिए 2024 का चुनाव भी आसान होगा. इन मुद्दों में कई देश के विकास के लिए बतौर समस्या लोगों की जेहन में है, तो कई से सियासी मंतव्य सधने की भी पूरी गुंजाइश है और दोनों ही किसी दल के लिए मुफीद है. शायद इसी से उसे सत्ता का स्वाभाविक दावेदार बनने का मौका मिले.

बीजेपी वैसे भी पहले से इसके लिए प्रयासरत है और अमित शाह कह चुके हैं कि पार्टी के लिए अभी गोल्डन पीरियड नहीं आया है. वह तब आयेगा जब पंचायत से पार्लियामेंट तक हर जगह बीजेपी होगी. नि:संदेह अमित शाह अब इसके लिए कोई कसर नहीं छोडेंगे, भले ही भूमिका नई हो.

हालांकि जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में आतंकवाद से लेकर देश के अंदर नक्सलवाद तक नए गृह मंत्री अमित शाह के सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन चुनौतियों से भिड़ने वाले ‘चाणक्य’ भी तो वह हैं ही. कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव कराने की वह पहल कर सकते हैं जहां पिछले साल नवंबर में विधानसभा भंग कर दी गई थी. तब से चुनाव आयोग वहां चुनाव कराने के लिए गृह मंत्रालय के संकेत का इंतज़ार कर रहा है.

इसके साथ धारा 370 को खत्म करना और अनुच्छेद 35 ए को निरस्त करने की चुनौती से शाह कैसे निपटेंगे, यह देखना भी दिलचस्प होगा. हांलाकि कश्मीर के लोग इसमें किसी छेड़छाड़ के ख़िलाफ़ हैं, विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और सख्ती का अंजाम भी देखा जा चुका है. सरकार की तमाम सख्ती के बावजूद युवाओं में आतंकवादी संगठनों का असर बढ़ता गया है. पाकिस्तान से होने वाली घुसपैठ में भी कमी नहीं आई है.

पूर्वोतर में भी आतंकवाद व्याप्त है. एनआरसी का मसला गहराने के बाद इसे लेकर और गंभीरता जताई जा रही है. हाल में एनएससीएन-आईएम कैडर और सुरक्षा बलों के बीच कई टकराव हुए हैं. पिछले दिनों आतंकियों ने नेशनल पीपल्स पार्टी के एक विधायक की हत्या भी कर दी थी. एनआरसी के मसले पर विवाद की वजह से असम में तनाव बढ़ा है.

यहां माओवाद की चुनौती तो है ही, नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों पर हाल में हमलों की संख्या बढ़ी है. जाहिर है गृह मंत्री अमित शाह माओवादी हिंसा को पूरी तरह से कुचलने की कोशिश करेंगे. इन्हीं कोशिशों से वह ‘नया भारत’ का आभास करायेंगे, जहां बीजेपी की उम्मीदें भी पहले से ज्यादा परवाज भर सकें.

उल्लेखनीय है कि अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद दिल्ली प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने भी अपना 6 साल पुराना ट्वीट शेयर करते हुए लिखा है कि ‘सपना सच हुआ’. दरअसल, 30 जून, 2013 को किये गये अपने ट्वीट में बग्गा ने लिखा था कि भारत को नरेंद्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री और अमित शाह जैसे गृह मंत्री की ज़रूरत है.

आज किस्मत से ये दोनों नेता इसी पद पर हैं और शायद यही वो परिस्थितियां भी हैं, जो बीजेपी के सपने को पूरा कर सकती हैं. वह सपना जो यक़ीनन मोदी का भी होगा और अमित शाह का भी. क्योंकि ये दोनों आज की तारीख में बीजेपी के ही पर्याय हैं….और, वैसे भी अब इसमें कोई शक नहीं रहा कि मोदी है तो मुमकिन है.

वैसे याद दिलाते चलें कि एक ट्वीट दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मतदान से ठीक दो दिन पहले 10 मई को किया था. इसमें उन्होंने देशवासियों को आगाह करते हुए कहा था कि अगर मोदी फिर से सत्ता में आये, तो गृह मंत्री अमित शाह होंगे. जिस देश का गृह मंत्री अमित शाह हो, उस देश का क्या होगा, ये सोच के वोट डालना. यह अलग बात कि जनता ने उनकी अपील पर ध्यान नहीं दिया और बीजेपी को चुनाव में ऐतिहासिक विजय मिली.

केजरीवाल की वह बात आज सही साबित हुई है और नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अमित शाह देश के नये गृह मंत्री बन गए हैं. अब देश का क्या होगा, यह समय के गर्भ में है. लेकिन इतना तय है कि बीजेपी को अमित शाह की नई भूमिका से अपने लिए संभावनाओं के नये द्वार खुलने की भरपूर उम्मीद नज़र आ रही है.

(लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फ़ेसबुक, ट्वीटर और यूट्यूब पर पॉलिटॉक्स से जुड़ें)

Google search engineGoogle search engine
Google search engineGoogle search engine
RELATED ARTICLES

Leave a Reply

विज्ञापन

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img