Politalks.News/UttarPradesh. उत्तरप्रदेश की सियासत में आए एकाएक सियासी तूफान ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है. सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार के कई मंत्री ऐसे हैं जिन्हें अपनी ही सरकार से कई शिकायतें हैं. जी हां जल शक्ति विभाग के राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने अपने विभाग में काम का बंटवारा न होने और दलित होने की वजह से विभाग में उनकी सुनवाई ना होने के साथ ही विभाग की किसी भी बैठक में ना बुलाये जाने पर उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. यहीं नहीं दिनेश खटीक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिख अपना दर्द भी बयां किया. वहीं सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से बीजेपी में आए जितिन प्रसाद भी नाराज चल रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग में हुई बड़ी कार्रवाई के बाद से जितिन नाराज चल रहे हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगर उनकी मांगे भी नहीं मानी गई तो वे भी मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं.
उत्तरप्रदेश की योगी सरकार के दो मंत्री दिनेश खटीक और जितिन प्रसाद अपने अपने विभाग में हुई कार्रवाई के बाद से नाराज हो गए हैं. यूपी के सियासी गलियारे ऐसी चर्चा है कि सभी मंत्रियों को काम करने के लिए फ्री हैंड चाहिए. इसी बीच जल शक्ति विभाग के राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने पद से इस्तीफा दे दिया है. दिनेश खटीक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख मंत्री पद से इसतीफा दे दिया और साथ ही अपने विभाग के अफसरों पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लिखे अपने पत्र में खटीक ने दो टूक शब्दों में कहा कि, ‘क्या बस कार मिलना ही राज्यमंत्री का अधिकार है?’ गृह मंत्री को लिखी चिट्ठी में दिनेश खटीक ने कहा कि, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा व अमित शाह के अथक परिश्रम एवं कुशल नेतृत्व में दलितों और पिछड़ों को साथ लेकर चलने के कारण आज भाजपा सरकार का गठन हुआ है.’
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दिनेश खटीक ने कहा कि, ‘दलित समाज से जुड़े होने के कारण मुझे भी एक ईमानदार एवं स्वच्छ छवि वाले मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जल शक्ति विभाग में राज्य मंत्री नियुक्त किया गया है. लेकिन जल शक्ति विभाग में दलित समाज का राज्य मंत्री होने के कारण मेरे किसी भी आदेश पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है. और न ही मुझे किसी बैठक की सूचना दी जाती है.’ दिनेश खटीक ने आगे लिखा कि, ‘न ही विभाग में कौन-कौन सी योजनाएं वर्तमान में संचालित है तथा उस पर क्या कार्यवाही हो रही है इत्यादि कोई सूचना अधिकारियों द्वारा नहीं दी जाती है. सम्बंधित विभाग के अधिकारी राज्य मंत्री को केवल विभाग द्वारा गाड़ी उपलब्ध करा देना ही राज्य मंत्री का अधिकार समझते है और इतने से ही राज्य मंत्री के कर्त्तव्यों का निर्वहन हो जाना समझते हैं.
दिनेश खटीक ने आगे कहा कि, ‘इस विभाग में स्थानांतरण सत्र में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है. कई दिनों के बाद विभागाध्यक्ष से दूरभाष पर वार्ता करके सूचना हेतु कहा गया तब भी उन्होंने आजतक सूचना उपलब्ध नहीं करायी है. प्रमुख सचिव, सिंचाई, अनिल गर्ग को उक्त स्थिति से अवगत कराना चाहा तो उन्होंने बिना मेरी पूरी बात सुने ही टेलीफोन काट दिये और वह भी मेरे बात को अनुसुना कर दिये जो एक जनप्रतिनिधि का बहुत बड़ा अपमान है. मैं एक दलित जाति का मंत्री हूँ. इसीलिये इस विभाग में मेरे साथ बहुत ज्यादा भेदभाव किया जा रहा है.’ नमामि गंगे प्रोजेक्ट का जिक्र करते हुए दिनेश खटीक ने कहा कि, ‘नामामि गंगे योजना के अन्दर भी बहुत बड़ा भ्रष्टाचार फैला हुआ है जो ग्राउण्ड पर जाने पर पता चलता है और जब मैं कोई शिकायत किसी भी अधिकारी के विरूद्ध करता हूँ तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है. चाहें तो इसकी किसी एजेंसी से जांच भी करायी जा सकती है.’
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खटीक ने आगे कहा कि, ‘मुझे विभाग में अभीतक कोई अधिकार नहीं दिया गया है इसलिये मेरे पत्रों का जवाब नहीं दिया जाता है. मेरे द्वारा लिखे गये पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है. जीतना मैंने दलितों को बीजेपी के साथ लाने का प्रयास किया लेकिन उत्तर प्रदेश में सरकार के अन्दर अधिकारीगण उतना ही दलितों का अपमान कर रहे है. मुझे मेरे ही विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई तवज्हो न दिये जाने के कारण एवं दलितों को उचित मान-सम्मान न मिलने के कारण मेरा मंत्री पद पर बने रहना उचित नहीं है. जब विभाग में दलित समाज के राज्य मंत्री का विभाग में कोई अस्तित्व नहीं है तो फिर ऐसी स्थिति में राज्य मंत्री के रूप में मेरा कार्य करना दलित समाज के लिये बेकार है. इन्हीं सब बातों से आहत होकर मैं अपने पद से त्यागपत्र दे रहा हूँ.’
दिनेश खटीक के इस्तीफे के बाद प्रदेश की सियासत का गरमाना तय है. खटीक के अलावा जितिन प्रसाद भी नाराज बताये जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि जितिन जितिन प्रसाद पीडब्ल्यूडी विभाग में हुई कार्रवाई से नाराज हैं. मंत्री जितिन प्रसाद मंगलवार को हुई बैठक में शामिल हुए. बैठक के बाद जितिन प्रसाद निकल लिए. वह मीडिया से मुखातिब नहीं हुए. सियासी गलियारे में चर्चा है कि जितिन प्रसाद पीडब्ल्यूडी विभाग में हुई कार्रवाई से नाराज है. इसको लेकर उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी थी. यहीं नहीं वे जल्द ही दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं.