लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी ने वायनाड और रायबरेली सहित दो संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ा और बड़े मार्जिन से जीता. राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से 3.90 लाख और केरल की वायनाड सीट से 3.64 लाख वोटों के अंतर से दमदार जीत दर्ज की. राहुल गांधी ने रायबरेली सीट से सोनिया गांधी से भी बड़ी जीत दर्ज करते कीर्तिमान भी स्थापित किया है. अब राहुल गांधी को दोनों सीटों में से एक सीट छोड़नी पड़ेगी. संविधान के अनुच्छेद 101(2) के अनुसार कोई जनप्रतिनिधि दो सीटों से चुना जाता है तो उसे रिजल्ट आने के 14 दिन के भीतर एक सीट से इस्तीफा देना होता है. यदि ऐसा नहीं करता है तो तो उसकी दोनों सीटें खाली मानी जाएंगी.
राहुल गांधी को 18 जून तक चुनाव आयोग को लिखित में बताना होगा कि वे कौन सी सीट खाली करके इस्तीफा देंगे. हालांकि राहुल गांधी अभी तक निर्णय नहीं ले पाएं हैं कि उन्हें कौनसी सीट छोड़नी है. सवाल ये भी है कि जब राहुल गांधी एक सीट खाली करेंगे तो उस सीट प्रियंका गांधी उप चुनाव लड़ेंगी या फिर किसी अन्य उम्मीदवार को वहां से उतारा जाएगा.
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इससे पहले राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ‘रायबरेली और वायनाड के जो वोटर्स हैं, उनका दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं. अब डिसाइड करना है कि कौन सी सीट पर मैं रहूंगा. दोनों सीटों पर तो नहीं रह सकते, लेकिन अभी डिसाइड नहीं किया है.’ पॉलिटॉक्स के अनुसार, राहुल गांधी रायबरेली से सांसद रहेंगे और वायनाड सीट छोड़ने का निर्णय लेंगे. इसकी एक सॉलिड वजह भी है.
गांधी परिवार 1952 से रायबरेली सीट जीतता आ रहा है. राहुल के दादा फिरोज गांधी, दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी पहले भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं. इंदिरा के पति फिरोज गांधी ने 1952 में पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इंदिरा गांधी ने 1967 से 1977 के बीच दस साल तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. 1980 में इंदिरा गांधी ने दो सीटों उत्तर प्रदेश में रायबरेली और अविभाजित आंध्र प्रदेश में मेडक से चुनाव लड़ा. दोनों सीटों पर जीत दर्ज की. इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट छोड़ दी और मेडक को बरकरार रखा था.
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1980 के बाद से गांधी परिवार के वफादार अरुण नेहरू, शीला कौल और कैप्टन सतीश शर्मा ने 2004 तक रायबरेली से जीत हासिल की. इनके बाद सोनिया गांधी यहां से लड़ती रहीं और 2019 तक यहीं से सांसद रहीं. सोनिया गांधी के राज्यसभा से चुने जाने के बाद 2024 में राहुल गांधी ने यहां से जीत दर्ज की है. यह गांधी परिवार की एक पारंपरिक सीट है जिसे अब राहुल गांधी गंवाना नहीं चाहेंगे.
हालांकि रायबरेली राहुल गांधी के लिए एक सुरक्षित सीट थी. इसके बावजूद सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनाव में रायबरेली में इकलौती रैली की. उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि वे अपना बेटा रायबरेली की जनता को सौंप रही हैं. सोनिया गांधी की भावुक अपील के बाद राहुल गांधी भावनात्मक रूप से भी यह सीट नहीं छोड़ना चाहेंगे. राहुल गांधी ने रायबरेली में बीजेपी उम्मीदवार को 3.90 लाख वोटों के भारी अंतर से हराया है. ऐसे में उन्हें वायनाड सीट छोड़नी पड़ेगी.
क्या प्रियंका लड़ेंगी वायनाड से उप चुनाव
राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ने के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि वायनाड से चुनाव कौन लड़ेगा. हालांकि पूरी संभावना जताई जा रही है कि प्रियंका गांधी को यहां से चुनाव लड़ाया जाएगा. लोकसभा चुनाव कैंपेन में प्रियंका ने जो छाप छोड़ी है, उससे सभी भली भांति परिचित हैं. प्रियंका का यूपी से खास लगाव है. प्रियंका ने ही रायबरेली में राहुल गांधी और अमेठी में किशोरी लाल शर्मा के लिए प्रचार किया. उसका असर ये है कि न केवल राहुल गांधी ने रायबरेली में सबसे बड़ी जीत दर्ज की है. असंभव से लग रहे किशोरी लाल शर्मा को अमेठी सीट भी छीनकर ले दी, जबकि यहां स्मृति ईरानी से पार पाना राहुल गांधी जैसे दिग्गज के लिए मुश्किल लग रहा था. एक बारगी तो स्मृति को स्वयं को ये विश्वास नहीं हो पा रहा है कि वे अमेठी से चुनाव हार बैठी हैं.
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी संभाल रहे अधीर रंजन चौधरी के चुनाव हारने के बाद सदन में बुलंद आवाज वाला कोई नेता चाहिए जिस पर कोई अंगुली न उठा सके. प्रियंका गांधी इस रोल में बिलकुल फीट बैठ रही हैं. सियासी गलियारों से भी खबर आ रही है कि इस बार प्रियंका को सक्रिय पारी खेलने से राहुल गांधी भी नहीं रोक पा रहे हैं.