राजभर यूटर्न मार अखिलेश को देंगे झटका? शाह से मुलाकात के चर्चे, ‘मिशन लोकसभा’ में जुटी भाजपा

यूपी में हो सकता है भारी सियासी उलटफेर, क्या महाराष्ट्र में दोहराया गया पवार एपिसोड! राजभर के फिर से पाला बदलने की अटकलें, मिशन लोकसभा चुनाव में जुटी भाजपा को पूर्वांचल में है राजभर के साथ ही जरुरत

राजभर यूटर्न मार अखिलेश को देंगे झटका?
राजभर यूटर्न मार अखिलेश को देंगे झटका?

Politalks.News/UP/RajbharUturn. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद राज्य में बड़ा सियासी उलटफेर होने की संभावना जताई जा रही है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के एक बार फिर यूटर्न लेकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है. अब ऐसा क्यों हो सकता है इसका कारण यह है कि मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़े ओपी राजभर (Om Prakash Rajbhar)  की बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की है. हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. ऐसे में सियासी चर्चा यह शुरु हो गई है कि ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) अब एनडीए (NDA) में शामिल हो सकती है. चर्चा ये भी है कि राजभर को योगी आदित्यनाथ (Yogi AdityaNath) की नई सरकार में भी जगह मिल सकती है. गौरतलब है कि राजभर पहले भी योगी कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं और बीजेपी से नाराजगी के बाद उन्होंने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ा था.

भाजपा का मिशन लोकसभा चुनाव
कुछ सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा ने यूपी में विधानसभा में प्रचंड जीत के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. पूर्वांचल की सीटों पर राजभर के सहयोग से भाजपा जीत को सुनिश्चित करने की तैयारी में जुट गई है. वहीं कुछ राजनीतिक टिप्पणीकारों ने राजभर की लॉयल्टी पर भी सवाल उठाए हैं. कहीं भाजपा ने चुनाव से पहले खुद तो नहीं भेजा था राजभर को अखिलेश के पास, ठीक ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र में हो चुका है जब पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद NCP के वरिष्ठ नेता अजीत पवार पहले भाजपा के साथ चले गए थे और एन मौके पर भाजपा का साथ छोड़ घर वापसी कर ली थी. क्या यूपी में राजभर भाजपा के अजीत पवार तो नहीं थे.

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दिल्ली में शाह के साथ दिग्गजों से की मुलाकात- सूत्र

सूत्रों का कहना है कि ओम प्रकाश राजभर ने शुक्रवार को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह, यूपी के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के साथ मुलाकात की है. बैठक में यूपी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी मौजूद थे. चारों नेताओं के बीच लगभग एक घंटे तक बातचीत हुई. हालांकि, भाजपा या सुभासपा किसी भी पक्ष से इस मुलाकात की पुष्टि नहीं की गई है.

योगी सरकार में पहले भी मंत्री रह चुके हैं राजभर

सियासी अटकलें हैं कि ओपी राजभर एक बार फिर भाजपा के साथ जाकर योगी सरकार में मंत्री बन सकते हैं. 2017 में राजभार ने भाजपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और योगी सरकार में मंत्री भी बने थे, लेकिन बाद में वह बागी हो गए और हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के अहम गठबंधन साथी रहे. हालांकि, चुनाव में सपा की हार के बाद से ही अटकलें लगने लगीं कि राजभर एक बार फिर रास्ता बदल सकते हैं.

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सूत्र- ओपी राजभर ने भाजपा के सामने रखी अपनी बात

सूत्र बताते हैं कि अमित शाह के सामने राजभर ने अपनी मांग के साथ अपना पक्ष रखा. अब आगे का फैसला शाह और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को करना है. माना यह भी जा रहा है कि दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है. क्योंकि पूर्वांचल क्षेत्र में लोकसभा की करीब 26 सीटें ऐसी हैं, जहां राजभर समाज का प्रभाव है. वहीं, 14 लोकसभा सीटें तो ऐसी हैं जहां पर राजभर समाज का वोट नतीजों पर निर्णायक रहता है. ऐसे में यह भाजपा के लिए 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अहम हैं.

पूर्वांचल में राजभर वोटर काफी अहम

आपको बता दें कि पूर्वांचल के कई जिलों में राजभर समुदाय का वोट राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर का यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र की राजनीति में दबदबा है. 2022 के चुनाव में जहां एक तरफ भाजपा पश्चिम से लेकर अवध तक मजबूत नजर आई. वहीं, पूर्वांचल के चार जिलों में भाजपा का खाता तक नहीं खुला. गाजीपुर, अम्बेडकरनगर, मऊ, बलिया, जौनपुर, आजमगढ़ में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ.
इसके बाद भाजपा अभी से लोकसभा चुनाव को लेकर जुट गई है. भाजपा भी चाहती है कि ओमप्रकाश राजभर उनके साथ आ जाएं. यूपी में राजभर समुदाय की आबादी करीब 3 फीसदी है, लेकिन पूर्वांचल के जिलों में राजभर मतदाताओं की संख्या 12 से 22 फीसदी है. गाजीपुर, चंदौली, मऊ, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर और भदोही में इनकी अच्छी खासी आबादी है, जो सूबे की करीब चार दर्जन विधानसभा सीटों पर असर रखते है. इसका असर 2022 के चुनाव में दिखाई भी पड़ा.

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अगर ऐसा होता है तो अखिलेश के लिए होगा बड़ा झटका!

यदि ओपी राजभर सपा का साथ छोड़ते हैं तो 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगेगा, वहीं भाजपा राजभर के सहारे पूर्वांचल के कुछ जिलों में हुए नुकसान की भरपाई करना चाहेगी. इन क्षेत्रों में राजभर की पार्टी की पकड़ मजबूत हो चुकी है. ओपी राजभर की पार्टी ने इस चुनाव में छह सीटों पर कब्जा किया है. भाजपा गठबंधन ने जहां 273 सीटों पर जीत हासिल की है तो सपा गठबंधन 125 सीटों पर सिमट गया.

सपा के साथ राजभर ने दिखाए थे आक्रामक तेवर

हाल ही में संपन्न यूपी चुनाव में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन में शामिल होकर चुनाव मैदान में उतरी. चुनाव प्रचार के दौरान भी राजभर ने बीजेपी को लेकर आक्रामक तेवर दिखाए और सूबे से योगी आदित्यनाथ की सरकार को उखाड़ फेंकने का दंभ भरते रहे.

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