पिछले कई वर्षों से पान मसाला और गुटखा (Gutkha) पर पाबंदी के प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे हैं. विभिन्न राज्यों में समय-समय पर पान मसाला, गुटखा की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश जारी होते रहे हैं, लेकिन राजस्थान (Rajasthan) में इस तरह की कोई सुगबुगाहट नहीं है. इस सिलसिले में ताजा आदेश बिहार की नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) की सरकार ने जारी किया है, जिसके तहत राज्य में एक साल तक पान मसाला और गुटखा पर पाबंदी रहेगी. बिहार में पहले भी इस तरह के आदेश जारी किए जा चुके हैं. मौजूदा आदेश में खैनी (तंबाकू) को इस पाबंदी से अलग रखा गया है. यह आदेश बिहार सरकार के खाद्य संरक्षा आयुक्त की ओर से जारी किया गया है, जिसके तहत बिहार में बिकने वाले विभिन्न ब्रांड के पान मसाला की बिक्री पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है.
जानकार बताते हैं कि राजस्थान में पिछले 2 से 3 वर्षों में जयपुर (Jaipur), उदयपुर (Udaipur), अजमेर (Ajmer) सहित सभी संभागों पर स्थित जनस्वास्थ्य प्रयोगशाला (Public Health Laboratory) में कई नामी कम्पनियों यथा तानसेन (Tansen), पान पराग (Paan Parag), विमल (Vimal), दिलबाग (Dilbag), नजर (Nazar), पान बहार (Paan Bahar), बहार सलेक्ट (Bahar Select), सिग्नेचर (Signature) आदि के पान मसाला ब्रांड्स के सैम्पल्स नमूना जांच के लिए आए. उनमें से करीब-करीब सभी ब्रांड्स में जहरीले तत्व मैग्नीशियम कार्बोनेट की उपस्थित पाई गई है (पॉलिटॉक्स के पास दस्तावेज मौजूद हैं). इनमें से कई मामलों में तो सम्बंधित मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने तथाकथित जहरीले ब्रांड वाले उत्पाद की बिक्री तुरन्त प्रभाव से रोकने और मार्केट से उक्त उत्पाद को हटाने के निर्देश भी दिए गए हैं. लेकिन आज तक राजस्थान में किसी भी नामी कम्पनी के पान मसाला ब्रांड्स पर कोई कार्रवाई कभी नहीं कि गई है.
गौरतलब है कि बिहार के खाद्य संरक्षा विभाग ने इस साल जून और अगस्त के बीच पान मसाला, गुटखा के नमूनों की जांच की थी, जिसमें इनमें मैग्नीशियम कार्बोनेट की मौजूदगी मिली है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इससे हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों की आशंका पैदा होती है. इनमें रजनीगंधा (Rajnigandha), राज निवास (Raj Niwas), पान पराग, पान पराग पान मसाला, बहार, बाहुबली, राजश्री, रौनक, सिग्नेचर, कमला पसंद, मधु ब्रांड का पान मसाला शामिल है. सरकारी आदेश के अनुसार बिहार के लोगों के स्वास्थ्य और भलाई के उद्देश्य से अब पान मसाला के उत्पादन और बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है.
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गुटखा, पान मसाला पर पाबंदी का मामला सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल 2013 में उठा था, जब गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशंस (Center for Public Interest Litigation) ने इस संबंध में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें गुटखा, पान मसाला की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की थी. जस्टिस जीएस संघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों को इस संबंध में हलफनामा पेश करने का आदेश दिया था. उस समय केंद्र सरकार के वकील ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों में कानून और नियमों की अनदेखी करते हुए गुटखा उत्पादन और बिक्री जारी रहने की बात कही थी. स्वास्थ्य सचिवों की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुटखा, पान मसाला की बिक्री रोकने के आदेश दिए थे. इसके बावजूद गुटखा, पान मसाला की बिक्री नहीं रुक पाई थी.
देश में गुटखा और पान मसाला का सेवन करने वालों की कमी नहीं है. अब तो महिलाओं में भी इसका चलन बढ़ रहा है. जब से पान, सुपारी के स्थान पर तैयार पान मसाला और गुटखा का चलन शुरू हुआ है, तब से इनकी खपत लगातार बढ़ रही है और अब गांवों, कस्बों तक इसका इस्तेमाल करने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. इस पर किए गए विभिन्न शोधों का निष्कर्ष यह है पान मसाला में मिलाए जाने वाले विभिन्न पदार्थों से देश में मुंह और गले के कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ी है. गुटखा चाहे महंगा हो या सस्ता, सभी ब्रांड के गुटखों, पान मसालों से सेहत को नुकसान ही होता है.
पान, पान मसाले, गुटखा, तंबाकू या सुपारी ज्यादा चबाने और देर तक मुंह में रखने से समबम्यबकस फाइब्रोसिस की बीमारी होती है, जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेती है. इससे मुंह के भीतर की त्वचा के तंतु सख्त हो जाते हैं, जिससे मुंह, गला और नाक पर विपरीत असर पड़ता है. इससे ऐसी स्थिति भी आ सकती है कि मुंह का खुलना बंद हो जाता है. इससे धड़कनें अनियिमत हो जाती है, जिससे दिल की बीमारी बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है. एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल औसतन आठ लाख लोग तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों से मर जाते हैं.
आश्चर्यजनक है कि राजस्थान में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पान मसाला, गुटखा की बिक्री धड़ल्ले से जारी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तंबाकू मिश्रित पान मसाला की बिक्री तो रुक गई, लेकिन उसकी जगह पान मसाला और तंबाकू के पाउच अलग-अलग बिकने लगे. राजस्थान सरकार ने हर महीने की आखिरी तारीख को तंबाकू निषेध दिवस घोषित किया था. शुरू में इस नियम का पालन हुआ, लेकिन अब वह भी शिथिल हो चुका है. अब दुकानदार इस नियम को भूल चुके हैं.
इससे तो यही समझा जायेगा कि राजस्थान की गहलोत सरकार गुटखा और पान मसाला की बिक्री रोकने के लिए ठोस प्रयास नहीं कर रही है और विभिन्न ब्रांड तानसेन, पान पराग, विमल, दिलबाग, नजर, पान बहार, बहार सलेक्ट, सिग्नेचर, रजनीगन्धा, राज निवास जैसे महंगी कम्पनियों के ये जहर युक्त ब्रांड्स स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से राजस्थान की हर गली मोहल्ले में धडल्ले से बेचे जा रहे हैं. राजस्थान सरकार को बिहार से प्रेरणा लेने की जरूरत है.
तंबाकू का सेवन करने वालों को ध्यान रखना चाहिए कि इसमें सिर्फ निकोटिन ही नहीं, बल्कित 33 तरह के जहरीले पदार्थ पाए गए हैं. निकोटिन से दिल की धड़कन और रक्तचाप बढ़ता है, शिराएं सिकुड़ जाती हैं, भूख कम होती है, आमाशय और आंत में विपरीत असर होता है, जिससे शरीर को बहुत नुकसान होता है. मुंह में तंबाकू रखने से सूजन, गांठ, उभार, लाल, बादामी, काले धब्बे, सफेद चकते, घाव, जलन, दर्द, खून आने जैसी समस्याएं उभरती है और दांतों को बहुत नुकसान पहुंचता है. कई लोगों के दांत तंबाकू, गुटखा के कारण ही समय से पहले गिर जाते हैं.
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इससे पहले सितंबर 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र सरकार को गुटखा, पान मसाला पर पाबंदी लगाने के लिए 14 दिन का समय दिया था. गुजरात में अगस्त 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुटखा, पान मसाला पर पाबंदी लगाने की घोषणा की थी. इससे पहले जुलाई 2012 में हरियाणा सरकार ने गुटखा, पान मसाला, जर्दा, तंबाकू और निकोटीन से बने चबाने वाले अन्य पदार्थों के उत्पादन, भंडारण, वितरण या बिक्री पर 15 अगस्त से रोक लगाने की घोषणा की थी. इसी दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी गुटखा, पान मसाला, मशेहरी, खैनी के भंडारण, विक्रय और वितरण को प्रदेश में अवैध घोषित किया था.
उत्तर प्रदेश सरकार ने जुलाई 2017 में उप्र की एक जेल में सरकार ने तंबाकू उत्पादों पर रोक लगाई थी, जिसके खिलाफ कैदियों ने भूख हड़ताल कर दी थी और एक कैदी की मौत हो गई थी. इससे पहले अप्रैल 2016 में दिल्ली सरकार ने राजधानी में तंबाकू, गुटखा, पान मसाला या कोई भी चबाने वाला तंबाकू उत्पाद बेचने, रखने या बनाने पर एक साल के लिए पाबंदी लगा दी थी, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के कारण यह फैसला लागू नहीं हो सका था.
महाराष्ट्र सरकार ने जुलाई 2012 में गुटखा और पान मसाला के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और वितरण पर रोक लगाने के आदेश जारी किए थे. इसके बाद मार्च 2015 में घोषणा की थी गुटखे की बिक्री में शामिल लोगों पर गैर जमानती अपराध के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. उस समय सरकार की तरफ से कहा गया था कि राज्य में गुटखे के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध है, लेकिन इसे प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया है, जिसकी वजह से अन्य राज्यों से महाराष्ट्र में गुटखे की तस्करी हो रही है. महाराष्ट्र सरकार ने पाबंदी को सख्ती से लागू करने के लिए चेतावनी थी.