तिरुअनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर धीरे-धीरे रंग बदल रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करने के बाद वह अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर हैं. केरल प्रदेश कांग्रेस ने उन्हें नोटिस थमा दिया है कि मोदी की तारीफ क्यों की? थरूर से सफाई मांगने वालों में जयराम रमेश और अभिषेक मनु सिंघवी भी थे. शशि थरूर सफाई देने की बजाय उलटे कांग्रेस नेताओं को ही खरी-खोटी सुनाने लगे.
थरूर ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी की सरकार कोई अच्छा काम करती है तो उसकी तारीफ करना गलत नहीं है. उन्होंने अपने आलोचकों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, मैंने संसद में पचास से ज्यादा बार हस्तक्षेप किया है और 17 विधेयकों पर कांग्रेस सांसद के रूप में अपनी बात रखी है. केरल में जो लोग मेरी आलोचना कर रहे हैं, क्या उन्होंने इतना काम कभी किया है, जितना मैं कर रहा हूं.
थरूर की आलोचना करने वालों में केरल के कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला, के मुरलीधरन, बेनी बेहनन और टीएन प्रतापन शामिल हैं. थरूर तीन बार तिरुअनंतपुरम लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. उन्होंने मुस्लिम लीग के नेता पूर्व मंत्री एमके मुनीर और मुस्लिम यूथ लीग के अध्यक्ष सैयद मुनव्वर अली शहाब थंगल को धन्यवाद दिया है. इन दोनों नेताओं ने थरूर का समर्थन किया था.
थरूर और केरल प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के बीच खींचतान से ये अटकलें भी तेज हो गई हैं कि अनेक नेता पाला बदलकर भाजपा में जा सकते हैं. गौरतलब है कि थरूर की दूसरी पत्नी सुनंद पुष्कर की रहस्यमय मौत का मामला अभी तक उलझा हुआ है. शशि थरूर को विदेश जाने के लिए अदालत से अनुमति लेनी पड़ती है. सुनंदा पुष्कर की मौत 17 जनवरी 2014 को दिल्ली के पांच सितारा होटल लीली पैलेस में हुई थी. दिल्ली पुलिस ने थरूर पर सुनंदा को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है. उन्हें बाहर रहने के लिए अदालत से जमानत लेनी पड़ती है.
शशि थरूर देख रहे होंगे कि भाजपा और हिंदुत्व के कट्टर विरोधी की छवि अर्जित कर चुके पी चिदंबरम के साथ क्या हो रहा है. वह एक जमाने में कांग्रेस सरकार के सबसे ताकतबर मंत्री थे. वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय उन्होंने संभाला. लेकिन अब कानून पचड़ों में फंसे हुए हैं. सीबीआई के अधिकारी उन्हें घर से उठाकर ले गए थे. अब वह जिंदगी भर अदालतों के चक्कर लगाते रहेंगे, भले ही वह खुद सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील हैं. जब चिदंबरम के साथ ऐसा हो सकता है, तो थरूर का कद तो उनसे छोटा ही है.
भाजपा को केरल में अपना जनाधार बढ़ाना है और अब उसे अन्य पार्टियों के नेताओं को अपना सदस्य बनाने में कोई एतराज नहीं है. दर्जनों की संख्या में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी पार्टियों के नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं. केरल में भाजपा की मौजूदगी नगण्य है. केरल में विस्तार करना भाजपा की प्राथमिकताओं में शामिल है और इसके लिए केरल के माहौल में रचे-बसे नेताओं की जरूरत है. शशि थरूर केरल के ही हैं और विद्वान हैं. कई किताबें लिख चुके हैं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में काम कर चुके हैं.
थरूर पर सुनंदा पुष्कर को आत्महत्या के लिए उकसाने के अलावा और कोई गंभीर आरोप भी नहीं है. जिस तरह थरूर के खिलाफ केरल के कांग्रेस नेता ही लामबंद हो रहे हैं, उससे थरूर कांग्रेस से विदा होने का विचार कर सकते हैं. हालांकि यह बहुत मुश्किल है क्योंकि वह सोनिया गांधी के विश्वस्त लोगों में शामिल है. लेकिन आजकल जिस हिसाब से राजनीति चल रही है, उसमें परेशानी से बचने के लिए बड़े-बड़े नेताओं का पाला बदल लेना आश्चर्य की बात नहीं है. अगर थरूर कांग्रेस से छोड़ते हैं तो भाजपा उनका स्वागत कर सकती है.