महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन सरकार का कार्यकाल 8 नवंबर 2024 तक का है. इससे पहले विधानसभा चुनाव होने हैं. वैसे तो महाराष्ट्र देश की राजनीति में एक अहम हिस्सा रखता है लेकिन इस बार लगता है कि यहां विधानसभा चुनाव नहीं बल्कि खिचड़ी चुनाव होने जा रहे हैं. 4 प्रमुख दल, दो टूटी पार्टियां और एक मराठी मानुस एवं हिंदूत्व का झंडा उठाने वाली पार्टी सहित करीब 7 स्थानीय पार्टियां मुख्य रूप से इस चुनावी दंगल में भाग लेंगी. महायुति सरकार में भारतीय जनता पार्टी, अजित पवार की एनसीपी और सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना शामिल हैं. वहीं महाविकास अघाड़ी में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UTB), शरद पवार की एनसीपी (NCP -SP) और कांग्रेस शामिल है. राज ठाकरे की मनसे (MNS) भी यहां हिंदूत्व का झंडा लेकर मैदान में हैं.
हाल में बीजेपी की हुई एक प्रदेश स्तरीय बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग और टिकट बंटवारे का जिम्मा राज्य के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस दिया है. बैठक में चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारियों पर भी चर्चा की गई. यह भी कहा गया कि सीट शेयरिंग के बाद पार्टी जल्द ही उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकती है. चूंकि सीट बंटवारे व शेयरिंग की जिम्मेदारी फडणवीस को दी गयी है, ऐसे में महायुति को संभालने की जिम्मेदारी भी पूर्व सीएम के कंधों पर ही होगी.
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2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में 106 बीजेपी के कब्जे में आयी थी. मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी गठबंधन में बात नहीं बन पाई. 56 विधायकों वाली शिवसेना ने 44 विधायकों वाली कांग्रेस और 53 विधायकों वाली NCP के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी बनाकर सरकार बनाई. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने.
मई 2022 महाराष्ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी. वह बीजेपी के साथ मिल गए. 30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. इसके साथ ही शिवसेना पार्टी दो गुटों में बंट गई. एक धड़ा शिंदे गुट और दूसरा उद्धव गुट का बना. बाद में अजित पवार बगावत कर बीजेपी-शिवसेना में आकर मिल गए और यहां भी एक धड़ा अजित पवार और दूसरा शरद पवार की एनसीपी का बन गया. फिलहाल महायुति के पास 201 और महाविकास अघाड़ी के पास 67 विधायकों का समर्थन है.
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हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र की 48 सीटों में भाजपा सिर्फ 9 सीटें जीत सकी. गठबंधन की सहयोगी NCP ने एक सीट जीती. शिवसेना (शिंदे गुट) को 7 सीटों पर जीत मिली. कुल मिलाकर महायुति को केवल 17 सीटें मिली. टूटी फूटी महाविकास अघाड़ी ने 31 सीटों पर कब्जा जमा प्रमुख पार्टियों को मुंह तोड़ जवाब दिया. अब विधानसभा चुनाव में बीजेपी अकेले 160-180 सीटों पर चुनाव लड़ने का मानस बना रही है. अपनी सहयोगी एनसीपी और शिवसेना को 50-50 सीटें देने पर विचार कर रही है. वहीं एकनाथ शिंदे प्रदेश की 90 सीटों पर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. यही मंशा अजित पवार की भी है.
इधर, लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को देखते हुए अजित पवार को तो बाहर का रास्ता तक दिखाया जा सकता है. वहीं एकनाथ शिंदे को कुछ कम सीटों पर मनाया जा सकता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो प्रदेश में शिवसेना और एनसीपी के नाम पर 4 अलग अलग पार्टियां वोट मांगते हुए नजर आएंगी. वहीं हिंदूत्व और मराठी मानुष के नाम पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना और राज ठाकरे की मनसे आपस में भिड़ेंगी. दूसरी ओर एक तरफ ‘घड़ी’ अपनी चाल चलेगी, वहीं शरद पवार ‘नगाड़ा’ बजाते हुए नजर आएंगे. यानी जनता खुद पूरी तरह से कंफ्यूज रहेगी कि आखिर वोट दें तो किस को. ऐसे में ये सभी वोट महायुति और एमवीए के नाम पर मांगे जाएंगे. अब देखना ये होगा कि महाराष्ट्र के खिचड़ी चुनावी दंगल में देवेंद्र फडणवीस किस तरह की फिल्डिंग सेट कर पाने में सफल साबित होते हैं.