पाॅलिटाॅक्स न्यूज/दिल्ली. दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश देने वाली मोदी सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस हिजबुल के दो आतंकियों के साथ गिरफ्तार किए गए जम्मू कश्मीर में तैनात डीएसपी दविंदर सिंह के खिलाफ तय समय में चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई. जिसके चलते उसकी और एक अन्य आरोपी की जमानत हो गई. आरापियों को पटियाला कोर्ट से जमानत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. आखिर देश की सुरक्षा से जुडे़ इतने गंभीर मामले में दिल्ली पुलिस से ऐसी चूक कैसे हो गई?
आरोपियों के वकील ने पटियाला कोर्ट में जमानत का आधार दिल्ली पुलिस की ओर से कोई चार्जशीट दखिल नहीं करने को बनाया था. इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को चार्जशीट दाखिल करनी थी. आरोपी दविंदर के साथ आरोपी इरफान सैफी मीर को भी पटियाला हाउस कोर्ट ने एक लाख के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है.
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आरोपियों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की चूक की वजह से डिफॉल्ट जमानत मिली है. आरोपियों को इस मामले में जमानत भले ही मिल गई है, लेकिन फिलहाल आरोपी दविंदर सिंह अभी जेल में ही रहेंगे क्योकि वे एनआईए के केस में भी आरोपी हैं.
हिजबुल आतंकियों के साथ गिरफ्तार हुआ था डीएसपी देवेन्द्र सिंह
बता दें, दविंदर सिंह को उस वक्त गिरफ्तार किया गया था, जब वह 13 जनवरी को तीन आतंकियों को अपनी गाड़ी से जम्मू लेकर जा रहा था. उस गाड़ी में पांच ग्रेनेड थे और बाद में दविंदर सिंह के घर की तलाशी में दो AK-47 राइफल भी मिली थी. सिंह ने राज्य पुलिस के कई वरिष्ठ पदों पर काम किया है, ऐसे में जब पुलिस ने उसे दो आतंकवादियों के साथ गिरफ्तार किया तो पूरा मामला सनसनीखेज बन गया.
कांग्रेस ने उठाया मुद्दा
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस मामले में कई सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार को घेरा है. कांग्रेस नेता ने कहा कि देश के गृह मंत्री को इस मामले की तहकीकात करनी चाहिए और साफ करना चाहिए. इससे पहले सुरजेवाला ने आरोपी डीएसपी को मेडल दिए जाने पर भी सवाल उठाया था. कांग्रेस नेता ने कहा, एक तरफ दविंदर सिंह को पुलिस मेडल दिया गया. दूसरी तरफ दविंदर तीन आतंकियों को प्रवेश करा रहा था. सरकार कह रही है कि उसको इसकी एवज में 12 लाख रुपये मिलने थे. ये पूरी कहानी संशय पैदा करती है. इसकी जांच होनी चाहिए?
कांग्रेस ने पूछे सवाल-
- कांग्रेस नेताओं ने सरकार से पूछा कि 2001 में संसद पर हुए हमले में उसकी क्या भूमिका थी. पुलवामा में हुए आतंकी हमले में उसकी क्या भूमिका थी, यहां वो डीएसपी के पद पर तैनात था.
- क्या वो अपनी कार में हिज्बुल के आतंकियों को ले जा रहा था या वो पूरी साजिश का केवल एक मोहरा है
- क्या इसका मुख्य साजिशकर्ता कहीं और है?
- आरोप हैं कि वो 12 लाख रुपये के एवज में 2 आतंकवादियों और उनके एक सहयोगी को दिल्ली ला रहा था. ये षड्यंत्र क्या था?
- पुलवामा हमले में हमारे 42 जवान शहीद हुए थे. वो आरडीएक्स कहां से आया? वो आरडीएक्स लेकर कौन आया?
- इतनी सुरक्षा के बाद भी पुलवामा हमला कैसे हो गया?
- जो कार सेना के काफिले में नहीं आ सकती थी वो कार कहां से आ गई?
आतंकी अफजल गुरू ने भी लिया था नाम
संसद भवन पर आतंकी हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरू ने भी अपनी एक चिठठी में दविंदरसिंह के नाम का जिक्र किया था. अफजल गुरू ने लिखा था कि दविंदरसिंह ने उन्हें दिल्ली में मकान दिलाया साथ ही आने-जाने के लिए कार भी दिलाई. ऐसे ही कई आरोपों की जांच भी राष्टीय सुरक्षा एजेंसी द्वारा की जारी है.
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दविंदर सिंह की पटियाला कोर्ट से जमानत हो जाने के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. हालांकि जमानत होने के बाद भी देवेन्द्र सिंह जेल से बाहर नहीं आ सकता है. क्योंकि उस पर कई और मामले विचाराधीन है.