देश के दो बार के प्रधानमंत्री और सिख समुदाय के पहले पीएम डॉ.मनमोहन सिंह रविवार सुबह पंच तत्व में विलीन हो गए. निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ मनमोहन सिंह को भावभीनी विदाई दी गयी और पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया. इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य मंत्रीगण भी पहुंचे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को कंधा दिया. अंतिम संस्कार से पहले मनमोहन की पार्थिव देह को 21 गन सैल्यूट दिया गया. अब एक बार फिर से डॉ.मनमोहन सिंह पर राजनीति शुरू हो गई. इतना ही नहीं, कांग्रेस ने अंतिम संस्कार की व्यवस्थाओं को लेकर भी भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार पर आरोप जड़े हैं. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो केंद्र ने अंतिम संस्कार में भी पूर्व पीएम और उनके परिवार का अपमान किया है.
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कांग्रेस ने 9 पॉइंट में सरकार पर अंतिम संस्कार से जुड़ी आपत्तियां गिनाई हैं. इस संबंध में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि इस अव्यवस्था और अनादर से ये साफ होता है कि एक महान नेता के प्रति सरकार की प्राथमिकताओं और लोकतांत्रिक मूल्यों में कितनी कमी है जबकि डॉ.मनमोहन सिंह सम्मान और गरिमा के हकदार थे.
पवन खेड़ा की तरफ से दर्ज कराई गईं 9 आपत्तियां…
- डीडी को छोड़कर किसी भी न्यूज एजेंसी को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम को कवर करने की अनुमति नहीं दी गई. डीडी का ध्यान केवल मोदी और शाह पर था. डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार को मुश्किल से दिखाया गया.
- मनमोहन सिंह के परिवार के लिए केवल 3 कुर्सियां रखी गई थीं. कांग्रेस नेताओं को उनके परिवार की बेटियों और अन्य सदस्यों के लिए सीटें मांगनी पड़ीं.
- राष्ट्रीय ध्वज उनकी विधवा को सौंपे जाते समय और मनमोहन सिंह को गन सैल्यूट दिए जाने के दौरान PM और मंत्री खड़े नहीं हुए.
- मनमोहन सिंह की चिता के पास परिवार को पर्याप्त जगह नहीं दी गई. सैनिकों ने एक तरफ की जगह ले रखी थी.
- जनता को बाहर रखा गया. लोग केवल बाहर से कार्यक्रम देखते रहे.
- अमित शाह के काफिले ने अंतिम यात्रा को बाधित किया. परिवार की गाड़ियां बाहर रह गईं, गेट बंद कर दिया गया. परिवार के सदस्यों को ढूंढकर अंदर लाना पड़ा.
- डॉ. सिंह के पोते-पोतियों को अंतिम संस्कार की रस्में निभाने के लिए चिता तक पहुंचने में धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ा.
- विदेशी राजनयिक अलग जगह बैठाए गए थे और दिख नहीं रहे थे. भूटान के राजा खड़े हुए, लेकिन PM ने खड़े होने की जहमत नहीं उठाई.
- अंतिम संस्कार स्थल बहुत तंग और अव्यवस्थित था. जुलूस में शामिल कई लोगों के लिए कोई जगह नहीं थी.
स्मारक को लेकर थमा नहीं विवाद
बतौर प्रधानमंत्री सबसे लंबा कार्यकाल पूर्ण करने वाले पीएम रहे डॉ.मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जमीन आवंटन का विवाद भी अभी तक थमा नहीं है. एक तरफ विपक्ष की ओर से इस मुद्दे पर बीजेपी द्वारा पक्षपात करने के आरोप लगाए जा रहे हैं. वहीं बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को कहा था कि डॉ. सिंह के स्मारक के लिए जगह आवंटित कर दी गई. इसके बारे में उनके परिवार को भी जानकारी दे दी गई है. हालांकि नड्डा ने यह नहीं बताया कि जमीन कहां दी गई है.
कांग्रेस की मांग थी कि अंतिम संस्कार जहां हो, वहीं स्मारक बनाया जाए. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, डॉ.मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर भी यही चाहती थीं. इस पर गृह मंत्रालय ने कहा कि अंतिम संस्कार के लिए निगमबोध घाट चुना गया है. स्मारक दिल्ली में बनेगा. इसके लिए उचित जगह तलाशी जाएगी और ट्रस्ट बनेगा. प्रक्रिया में समय लगेगा. इधर, अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘ये खबर सुनकर मैं स्तब्ध हूं. मनमोहन के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए बीजेपी सरकार 1000 गज जमीन भी न दे सकी. अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार राजघाट पर किया जाता था.’